1)Google News यहाँ क्लिक करें 2)
Join Update WathsApp चैनल से जुड़े
क्ला कर नहा - कुर्सी का घमंड: एक चेतावनी
खोख्लै हाल्यान पहाड़ भली कैं
आपना मनै तति क्ला कर नहा।
मया कैका ना गै दगडा कभै लै
येति हैकातरि तुम क्ला कर नहा।
खानो छ सबौ लै अनाजे को दानौ
त कोचि-कोचि घर क्ला भर नहा।
काला करमौ है डरया कभै ना
गोबरानि देखि तुम क्ला डर नहा।
कुर्सी मिली तुम सबौ की सुध ली
एकला सबौ भागो क्ला चर नहा।
रोजैकि थैं तेरी "राजू" कुर्सी न्हान
घमंड येतुक तुम क्ला कर नहा।
शब्दार्थ:
- हाल्यान: कर दिए हैं
- तति: इतना
- क्ला: क्यों
- नहा: रहे हो
- मया: दौलत
- कैका: किसी के
- गै: गयी
- दगडा: साथ
- येति: इतनी
- हैकातरि: और ज्यादा
- त: तो
- कोचि-कोचि: ठूस-ठूस कर
- गोबरानि: गोबर की खुशबू
अर्थ और विश्लेषण:
1. स्थानीय समस्याएँ और उदासीनता:
- गीत में पहाड़ी इलाकों की खराब स्थिति और लोगों की उदासीनता को दर्शाया गया है। यहाँ पर "क्ला" का अर्थ है "क्यों", जो बताता है कि लोग ऐसी समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं।
2. धन और ऐश-ओ-आराम:
- धन और ऐश-ओ-आराम की बात करते हुए गीत में यह भी दिखाया गया है कि लोग अपनी सुख-सुविधाओं के लिए अपने आसपास की समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं।
3. सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी:
- गीत में सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारियों की अनदेखी की आलोचना की गई है, जैसे कि लोगों का अपने घरों को अनाज से भरना लेकिन सामाजिक समस्याओं को नजरअंदाज करना।
4. सत्ता और घमंड:
- कुर्सी मिलने के बाद लोगों का घमंड और आत्म-संतोष को भी गीत में उल्लेखित किया गया है। यह दिखाता है कि कैसे कुछ लोग सत्ता मिलने पर अपनी जिम्मेदारियों को भूल जाते हैं।
5. अंतिम संदेश:
- "राजू" नाम से व्यक्तकर्ता खुद को इस स्थिति का हिस्सा मानते हैं और लोगों को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाते हैं कि उन्हें अपनी स्थिति को सुधारना चाहिए।
Keywords:
- पहाड़
- धन
- सामाजिक जिम्मेदारी
- सत्ता
- घमंड
"क्ला कर नहा" गीत समाज की उन कमियों और विसंगतियों को उजागर करता है, जो आमतौर पर लोगों द्वारा नजरअंदाज की जाती हैं। यह गीत एक सामाजिक जागरूकता का संदेश देता है और लोगों को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाता है।
यहाँ भी पढ़े
- उत्तराखंड: मेरी मातृभूमि
- उत्तराखंड मेरी मातृभूमि - एक गीत, एक वंदना
- मेलु - पाइरस पाशिया: जंगली हिमालयी नाशपाती के लाभ और उपयोग
- लिंगड़ की सब्जी - एक मनोरम उत्तराखंडी आनंद
- गंडेरी के गुटके: हरी धनिया के साथ पहाड़ी स्वाद का आनंद
- उत्तराखंडी : जहाँ स्वर्ग धरती पर उतर आता है
- हिमाचल: स्वर्ग का एहसास
- देवताओं का फल: काफल
- अपना पहाड़ का स्वाद: पहाड़ी फल
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें