ईजा है ठूला जिन होया - This is big gin hoya

एक माँ के प्रति श्रद्धांजलि


कविता:

नानछिना और ईजै-काखि फौम जिन खोया
खूब ठूला होया पर ईजा है ठूला जिन होया।

आपनो पेट काटी काटी हाम पाल्या पोषया
मयाली ईजा के भुखी राखि कभै जिन सोया।
खूब ठूला होया पर ईजा है ठूला जिन होया।।

कतुक पाज माफ करि कति पिटन है बचाया
भूलि लै कभै ईजा बे तुम नराज जिन होया।
खूब ठूला होया पर ईजा है ठूला जिन होया।।

कभै किस्सा कहानी कभै गीत गा सुलाया
आगझै आपनी बातो लै उके कभै जिन पोया।
खूब ठूला होया पर ईजा है ठूला जिन होया।।

"UK" मजबूरी की दूरि कभै लै है सक्छि
कोई लै कभै मन बठी ईजा है दूर जिन होया।
खूब ठूला होया पर ईजा है ठूला जिन होया।

शब्दार्थ:

  • ईजै-काखि: माँ की गोदी
  • फौम: अहसास
  • जिन खोया: मत खोना
  • पाज: शैतानी
  • आगझै: जलती
  • पोया: जलाना

~ राजू पाण्डेय


अर्थ और विश्लेषण:

"ईजा है ठूला जिन होया" एक भावुक और श्रद्धांजलि स्वरूप कविता है, जो माँ के प्रति गहरी श्रद्धा और कृतज्ञता को दर्शाती है।

1. माँ का त्याग और बलिदान:

  • कविता में माँ के द्वारा अपने बच्चों की देखभाल और उनके लिए अपने सुखों का बलिदान करने की बात की गई है। माँ ने अपनी मेहनत और त्याग से बच्चों को पाला, बावजूद इसके वह कभी भी खुद की खुशियों की चिंता नहीं करतीं।

2. माँ की यादें और कृतज्ञता:

  • कवि ने याद किया है कि माँ ने किस प्रकार अपनी कठोर मेहनत और त्याग से बच्चों की परवरिश की और कितनी बार उन्होंने अपने बच्चों के लिए अपनी इच्छाओं का बलिदान किया।

3. भूल और माफी:

  • कविता में यह भी संकेत है कि कभी-कभी बच्चे माँ की भावनाओं और त्याग को समझ नहीं पाते, और माँ को नाराज कर देते हैं। कवि ने स्वीकार किया है कि माँ की शैतानी (गलती) को माफ कर दिया जाना चाहिए और उनके त्याग को सराहा जाना चाहिए।

4. माँ का प्यार और देखभाल:

  • कविता में यह भी बताया गया है कि माँ ने किस तरह अपनी कहानियों और गीतों से बच्चों को सुलाया और हमेशा उनके साथ रही।

5. माँ का महत्व:

  • अंत में, कवि ने यह जताया है कि माँ का प्यार और बलिदान किसी भी अन्य चीज़ से बड़ा है और उसकी अहमियत को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

Keywords:

  • माँ का त्याग
  • श्रद्धांजलि
  • भावनात्मक कृतज्ञता
  • परिवार और माँ

"ईजा है ठूला जिन होया" एक सजीव चित्रण है माँ की निस्वार्थ सेवा और त्याग का, जो भावनात्मक रूप से माँ के प्रति श्रद्धा और सम्मान को प्रकट करता है।

यहाँ भी पढ़े

  1. उत्तराखंड: मेरी मातृभूमि
  2. उत्तराखंड मेरी मातृभूमि - एक गीत, एक वंदना
  3. मेलु - पाइरस पाशिया: जंगली हिमालयी नाशपाती के लाभ और उपयोग
  4. लिंगड़ की सब्जी - एक मनोरम उत्तराखंडी आनंद
  5. गंडेरी के गुटके: हरी धनिया के साथ पहाड़ी स्वाद का आनंद
  6. उत्तराखंडी : जहाँ स्वर्ग धरती पर उतर आता है
  7. हिमाचल: स्वर्ग का एहसास
  8. देवताओं का फल: काफल
  9. अपना पहाड़ का स्वाद: पहाड़ी फल

टिप्पणियाँ