पिथौरागढ़ जिले के प्रमुख मेले
पिथौरागढ़ जिले की सांस्कृतिक धरोहर में मेलों का विशेष स्थान है। ये मेले न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं, बल्कि स्थानीय लोगों के जीवन का अहम हिस्सा भी हैं। यहां के प्रमुख मेलों के बारे में जानकारी इस प्रकार है:
1. मोष्टामानु मेला
- तिथि: प्रतिवर्ष नाग पंचमी को।
- स्थान: पिथौरागढ़ जिले के विभिन्न गांवों में।
- महत्व: यह मेला नाग पंचमी के दिन मनाया जाता है और खासकर सांपों की पूजा की जाती है।
2. गंगोलीहाट का मेला
- तिथि: प्रतिवर्ष चैत्र और अश्विन की अष्टमी को।
- स्थान: गंगोलीहाट।
- महत्व: यह मेला धार्मिक अनुष्ठान और पूजा के लिए प्रसिद्ध है। इस दिन हाट में बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं।
3. गबला देव मेला
- तिथि: दारमा घाटी में आयोजित।
- स्थान: दारमा घाटी।
- महत्व: यह मेला भोटिया जनजाति का पारंपरिक मेला है, जो सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव का प्रतीक है।
4. थल मेला
- तिथि: प्रतिवर्ष बैशाखी को, 13 अप्रैल, 1940 को जलियावाला की स्मृति में शुरू।
- स्थान: रामगंगा तट।
- महत्व: इस मेले का ऐतिहासिक महत्व है और यह जलियावाला बाग हत्याकांड की याद में मनाया जाता है।
5. मलयनाथ का रात्रि मेला
- तिथि: प्रतिवर्ष आश्विन के कृष्ण चतुर्दशी पर।
- स्थान: मलयनाथ मंदिर।
- महत्व: इस मेले का आयोजन रात्रि में होता है और यह धार्मिक आयोजन के रूप में जाना जाता है।
6. कनरा का मेला
- तिथि: प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष की शुक्ल चतुर्दशी को।
- स्थान: कनरा।
- महत्व: यह जागरण मेला है, जहां श्रद्धालु रात भर भजन और कीर्तन करते हैं।
7. कंडाली उत्सव
- तिथि: प्रत्येक 12 वर्ष अगस्त-सितंबर में।
- स्थान: कंडाली।
- महत्व: यह उत्सव कंडाली (किर्जी) का पारंपरिक उत्सव है, जो 12 वर्ष में एक बार आयोजित होता है।
8. धनलेख का मेला
- तिथि: सिंगाली में छुरमल देवता के मंदिर में।
- स्थान: सिंगाली, डीडीहाट।
- महत्व: यह मेला धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, खासकर स्थानीय देवता की पूजा के लिए।
9. नन्दा उत्सव
- तिथि: डीडीहाट और मुनस्यारी में।
- स्थान: डीडीहाट और मुनस्यारी।
- महत्व: यह मेला देवी नन्दा की पूजा और समर्पण के रूप में मनाया जाता है।
10. मिल्बू फेंकना
- तिथि: दारमा में आयोजित।
- स्थान: दारमा।
- महत्व: यह कृषि उत्सव है, जिसमें स्थानीय लोग मिल्बू (बीज) फेंकने की परंपरा निभाते हैं।
11. हिल यात्रा
- तिथि: वर्षा ऋतु की समाप्ति और भादो मास के आगमन पर।
- स्थान: पिथौरागढ़ जिले के विभिन्न स्थल।
- महत्व: यह यात्रा भादो मास के दौरान हिल क्षेत्रों में धार्मिक और सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए होती है।
12. जनपद के उत्तरायणी मेले
- रामेश्वर का उत्तरायणी मेला
- पाताल भुवनेश्वर का उत्तरायणी मेला
- झूलाघाट का उत्तरायणी मेला
- थल का उत्तरायणी मेला
- महत्व: उत्तरायणी मेला खासकर जनवरी महीने में आयोजित होता है और यह मकर संक्रांति के साथ जुड़ा होता है।
13. जनपद के शिवरात्रि मेले
- रई
- झूलाघाट
- धारचूला
- कपिलेश्वर
- बेरीनाग
- डीडीहाट
- थल
- पाताल भुवनेश्वर
- हंसेश्वर
- महत्व: शिवरात्रि के मौके पर ये मेले पूजा और अनुष्ठान के लिए आयोजित होते हैं।
14. छलिया महोत्सव
- तिथि: 1997 से।
- स्थान: पिथौरागढ़।
- महत्व: यह नृत्य उत्सव नाट्यशास्त्र में वर्णित है और अशोकमल्ल के विवाह अवसर से जुड़ा हुआ है। यह जीत और उल्लास का प्रतीक है।
15. जौलजीबी का मेला
- तिथि: मार्गशीर्ष संक्रांति को।
- स्थान: गोरी-काली नदी का संगम।
- महत्व: 1914 में शुरू हुआ यह मेला पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय द्वारा 2007 में गोद लिया गया था और 2014 में इसे राजकीय मेला घोषित किया गया।
प्रमुख समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं
पिथौरागढ़ जिले के महत्वपूर्ण समाचार पत्र और पत्रिकाएं, जो स्थानीय और राष्ट्रीय समाचारों को प्रकाशित करती हैं:
- एक पथिक (1954-55) - हीरा बल्लभ जोशी द्वारा।
- उत्तराखण्ड ज्योति (1961) - हीरा बल्लभ जोशी द्वारा।
- पर्वत पीयूष (1976) - भगत सिंह कोश्यारी द्वारा।
- आज का पहाड़ (1985 से) - बद्री दत्त कशनियाल द्वारा।
निष्कर्ष:
पिथौरागढ़ जिले में आयोजित ये मेले न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यहां की लोक परंपराओं और रिवाजों का प्रतीक भी हैं। प्रत्येक मेला अपने आप में एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है, जो स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र बनता है।
पिथौरागढ़ जिले के प्रमुख मेलों और सांस्कृतिक आयोजनों पर आधारित कुछ FQCs (Frequently Asked Questions)
1. मोष्टामानु मेला कब आयोजित होता है?
- उत्तर: मोष्टामानु मेला प्रतिवर्ष नाग पंचमी को आयोजित होता है, जो पिथौरागढ़ जिले का एक प्रमुख धार्मिक मेला है।
2. गंगोलीहाट के मेले की तिथि क्या है?
- उत्तर: गंगोलीहाट का मेला प्रतिवर्ष चैत्र और अश्विन की अष्टमी को आयोजित होता है।
3. गबला देव मेला किस जनजाति से संबंधित है?
- उत्तर: गबला देव मेला भोटिया जनजाति से संबंधित है और यह दारमा घाटी में आयोजित होता है।
4. थल मेला क्यों महत्वपूर्ण है?
- उत्तर: थल मेला रामगंगा तट पर प्रतिवर्ष बैशाखी को आयोजित होता है और इसकी शुरुआत 13 अप्रैल, 1940 को जलियावाला बाग की घटना की स्मृति में की गई थी।
5. मलयनाथ का रात्रि मेला कब होता है?
- उत्तर: मलयनाथ का रात्रि मेला प्रतिवर्ष आश्विन के कृष्ण चतुर्दशी पर आयोजित होता है।
6. कनरा का मेला किस तिथि को आयोजित होता है?
- उत्तर: कनरा का मेला प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष की शुक्ल चतुर्दशी को आयोजित होता है, जो एक जागरण के रूप में होता है।
7. कंडाली उत्सव कब आयोजित होता है?
- उत्तर: कंडाली उत्सव प्रत्येक 12 वर्ष में अगस्त-सितंबर में आयोजित होता है।
8. धनलेख का मेला कहां आयोजित होता है?
- उत्तर: धनलेख का मेला छुरमल देवता के मंदिर में आयोजित होता है और यह विशेष रूप से स्थानीय धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है।
9. नन्दा उत्सव कब और कहां मनाया जाता है?
- उत्तर: नन्दा उत्सव डीडीहाट और मुनस्यारी में मनाया जाता है और यह नंदा देवी के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है।
10. मिल्बू फेंकना क्या है?
- उत्तर: मिल्बू फेंकना दारमा घाटी में आयोजित एक कृषि उत्सव है, जो स्थानीय किसानों के लिए महत्वपूर्ण है।
11. हिल यात्रा कब आयोजित होती है?
- उत्तर: हिल यात्रा वर्षा ऋतु की समाप्ति और भादो मास के आगमन पर आयोजित होती है।
12. उत्तरायणी मेला क्या है और कहां आयोजित होता है?
- उत्तर: उत्तरायणी मेला पिथौरागढ़ जिले के विभिन्न स्थानों पर आयोजित होता है, जैसे रामेश्वर, पाताल भुवनेश्वर, झूलाघाट और थल।
13. शिवरात्रि मेला कहां आयोजित होता है?
- उत्तर: शिवरात्रि मेला पिथौरागढ़ जिले के विभिन्न स्थानों पर आयोजित होता है, जैसे रई, झूलाघाट, धारचूला, कपिलेश्वर, बेरीनाग, डीडीहाट, थल, पाताल भुवनेश्वर और हंसेश्वर।
14. छलिया महोत्सव कब और कहां आयोजित होता है?
- उत्तर: छलिया महोत्सव 1997 से पिथौरागढ़ में आयोजित किया जा रहा है, और यह नृत्य उत्सव जीत और उल्लास का प्रतीक है।
15. जौलजीबी का मेला कब शुरू हुआ था?
- उत्तर: जौलजीबी का मेला मार्गशीर्ष संक्रांति को आयोजित होता है, और इसे 1914 में स्व. गजेन्द्र बहादुर पाल द्वारा शुरू किया गया था। 2007 में इसे उत्तराखंड सरकार द्वारा गोद लिया गया और 2014 में इसे राजकीय मेला घोषित किया गया।
16. पिथौरागढ़ के प्रमुख समाचार पत्र और पत्रिकाएं कौन सी हैं?
- उत्तर: पिथौरागढ़ के प्रमुख समाचार पत्र और पत्रिकाएं हैं:
- एक पथिक (1954-55) – हीरा बल्लभ जोशी द्वारा।
- उत्तराखंड ज्योति (1961) – हीरा बल्लभ जोशी द्वारा।
- पर्वत पीयूष (1976) – भगत सिंह कोश्यारी द्वारा।
- आज का पहाड़ (1985 से) – बद्री दत्त कशनियाल द्वारा।
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