पिथौरागढ़: कर व्यवस्था, गुफाएं, झीलें और झरने पीडीएफ - Pithoragarh: Tax System, Caves, Lakes and Waterfalls PDF

पिथौरागढ़: कर व्यवस्था, गुफाएं, झीलें और झरने

पिथौरागढ़ जिले में कई विशेष कर व्यवस्थाएं, ऐतिहासिक गुफाएं, सुंदर झीलें और आकर्षक जलप्रपात हैं। यह ब्लॉग इन सबकी जानकारी प्रदान करता है।


कर व्यवस्था

पिथौरागढ़ में विभिन्न उद्देश्यों के लिए कर व्यवस्था थी। यहाँ के पारंपरिक कर निम्नलिखित हैं:

  1. हिलपानी धूल कर - बरसात या गर्मी में कीचड़ या धूल से बचाव के लिए सड़कों हेतु लिया जाने वाला कर।
  2. शाउलि कर - ताम्रपत्र निर्माण करने वालों के लिए लगाया जाने वाला कर।
  3. शोल कर - जल्लाद के लिए कर।
  4. रोउक कर - शाही सेवकों हेतु कर।
  5. परि कर - राजमहल के प्रहरियों के लिए कर।
  6. विसौदी - बेगार (मुफ्त सेवा) करने के लिए कर।

गुफाएं

पिथौरागढ़ जिले में कई प्राचीन और पवित्र गुफाएं हैं, जो धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं:

  • पाताल भुवनेश्वर गुफा - एक पवित्र गुफा, जो हिंदू धर्म के पौराणिक कथाओं से जुड़ी है।
  • स्वधम, सुमेरु, राजा-रानी, नागधरौड़ की गुफाएं - ये सभी पाताल भुवनेश्वर के आसपास की गुफाएं हैं और रहस्य एवं धार्मिक महत्व रखती हैं।
  • भवानी उडियार, भाटकोट की गुफा, कपिलेश्वर की गुफा - पिथौरागढ़ में स्थित प्रसिद्ध गुफाएं हैं।
  • व्यास गुफा - माना जाता है कि महर्षि व्यास ने यहां ध्यान लगाया था।
  • सिर गुफा - इस गुफा का धार्मिक महत्व है।

गुफाओं का विशेष संकलन - गुप्तगंगा, दानेश्वर, भोलेश्वर, शैलेश्वर, और मुक्तेश्वर जैसी पवित्र गुफाएं गंगोलीहाट में स्थित हैं। धारचूला क्षेत्र में पिंखु उड्यार, बरम उडियार और गल्छिया (मालपा) प्रमुख गुफाएं हैं। छीनी गुफा अस्कोट में और शैमणा गुफा कनार क्षेत्र में प्रसिद्ध है।


झीलें

पिथौरागढ़ की सुंदर झीलें यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य को और अधिक बढ़ा देती हैं:

  • छिपला कुण्ड, पटौज कुण्ड, ककरौल कुण्ड - इन झीलों की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है।
  • गौरी कुण्ड, पार्वती कुण्ड, हरदेव कुण्ड - धार्मिक महत्व से जुड़ी यह झीलें पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।
  • मौताड़ ताल - धारचूला में स्थित यह ताल एक प्रमुख पर्यटक स्थल है।
  • थामरी कुण्ड, गौरी ताल, नन्दा कुण्ड (मिलम) - मुनस्यारी के पास स्थित ये झीलें क्षेत्र की सुंदरता में चार चाँद लगाती हैं।
  • गरमपानी (मदकोट) और आंचरी ताल - गरमपानी झील अपनी प्राकृतिक गर्म जल के लिए जानी जाती है।

झरने/जलप्रपात

पिथौरागढ़ जिले में कई आकर्षक झरने हैं जो यहां की प्राकृतिक छटा को और अद्वितीय बनाते हैं:

  • विर्थी फॉल - मुनस्यारी में स्थित यह झरना अपनी ऊंचाई और जल की तेज धारा के लिए प्रसिद्ध है।
  • किमसेन छीड़ - एलागाड़ नदी (धारचूला) में स्थित एक सुंदर जलप्रपात है।
  • रॉथी झरना - धारचूला से आगे की ओर स्थित यह झरना यात्रा के दौरान दर्शनीय स्थल है।
  • ज्यौं रुथा जल प्रपात - नज्यं नदी में, मालपा के निकट यह प्रपात अपने अद्भुत दृश्य के लिए प्रसिद्ध है।
  • तिथा जलप्रपात - सेला गांव (धारचूला) में स्थित इस झरने का शांत दृश्य यात्रियों को आकर्षित करता है।
  • भेल छीड़ - हथिया देवाल के निकट स्थित एक प्राकृतिक जलप्रपात।
  • गराऊं जलप्रपात - बेरीनाग के निकट स्थित यह झरना एक सुंदर पिकनिक स्थल है।

पिथौरागढ़ अपनी प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक स्थल और ऐतिहासिक धरोहर के लिए जाना जाता है। जिले में पर्यटन के सभी पहलू मौजूद हैं जो इसे एक अद्वितीय गंतव्य बनाते हैं।

पिथौरागढ़ जिले की प्रमुख नदियां

पिथौरागढ़ जिले में कई महत्वपूर्ण नदियां हैं, जो यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को और समृद्ध करती हैं। ये नदियां न केवल जल आपूर्ति का मुख्य स्रोत हैं, बल्कि कृषि, पर्यावरण और पर्यटन के लिहाज से भी महत्वपूर्ण हैं। यहां जिले की प्रमुख नदियों का विवरण दिया गया है:


1. पूर्वी धौली गंगा

  • उद्गम स्थान: दारमा घाटी से निकलती है।
  • सहायक नदियां:
    • लिस्सर नदी, नागलिंग यांग्टी, नन्दर्मा (कुटी से आकर सेला में सम्मिलित होती है), सेला यांग्टी, न्यूलागाड़ (पंचाचूली से निकलकर दुग्तु में मिलती है)।
    • कन्च्यूति गाड़ और महादेव गाड़ (सेला गांव) इसकी अन्य सहायक नदियां हैं।
  • विशेषता: लिस्सर और दारमा नदियों के मिलने से यह धौलीगंगा नदी कहलाती है, जो तवाघाट (खेला गांव) में काली नदी में मिल जाती है।

2. गौरी नदी

  • उद्गम स्थान: मिलम ग्लेशियर से निकलती है।
  • विशेषता: यह काली नदी की सबसे लंबी सहायक नदी है और काली के जल प्रवाह में महत्वपूर्ण योगदान करती है।

3. काली नदी

  • उद्गम स्थान: कालापानी से निकलती है।
  • विशेषता: उत्तराखण्ड में प्रवाहित होने वाली सबसे लंबी नदी है, जिसकी लंबाई लगभग 252 किलोमीटर है। यह नदी नेपाल और भारत के बीच की सीमा निर्धारित करने में भी सहायक है।

4. एलागाड़ नदी

  • उद्गम स्थान: छिपलाकेदार क्षेत्र से निकलती है।
  • विशेषता: यह नदी कूला गाड़ के पास कूला नामक स्थान पर काली नदी में मिल जाती है।

पिथौरागढ़ की ये नदियां यहां के प्राकृतिक वातावरण को सजीव बनाती हैं और क्षेत्र के भौगोलिक व सांस्कृतिक महत्व को बढ़ाती हैं।

पिथौरागढ़: कर व्यवस्था, गुफाएं, झीलें, और झरने - FQCs


1. पिथौरागढ़ में कौन-कौन से पारंपरिक कर लगाए जाते थे और उनके उद्देश्य क्या थे?

पिथौरागढ़ में विभिन्न पारंपरिक कर व्यवस्था मौजूद थी, जैसे:

  • हिलपानी धूल कर: सड़कों के रखरखाव के लिए लिया जाता था।
  • शाउलि कर: ताम्रपत्र (धातु) निर्माण करने वालों पर।
  • शोल कर: जल्लाद के लिए लगाया जाने वाला विशेष कर।
  • रोउक कर: शाही सेवकों के लिए।
  • परि कर: राजमहल के प्रहरियों के लिए।
  • विसौदी: बेगार (मुफ्त सेवा) करने हेतु।

2. पिथौरागढ़ की कौन-कौन सी गुफाएं धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं?

पिथौरागढ़ की कुछ प्रसिद्ध गुफाएं हैं:

  • पाताल भुवनेश्वर गुफा: पौराणिक कथा और धार्मिक महत्त्व से भरपूर।
  • स्वधम, सुमेरु, राजा-रानी और नागधरौड़ की गुफाएं: रहस्य और धार्मिक महत्त्व।
  • व्यास गुफा: मान्यता है कि महर्षि व्यास ने यहाँ तपस्या की थी।
  • गुप्तगंगा, दानेश्वर, भोलेश्वर: ये गंगोलीहाट क्षेत्र में स्थित हैं और पवित्र मानी जाती हैं।
  • छीनी गुफा (अस्कोट) और शैमणा गुफा (कनार): ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व वाली गुफाएं।

3. पिथौरागढ़ में स्थित सुंदर झीलें कौन-कौन सी हैं?

पिथौरागढ़ की प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाने वाली प्रमुख झीलें:

  • छिपला कुण्ड, पटौज कुण्ड, ककरौल कुण्ड: प्राकृतिक आकर्षण का केंद्र।
  • गौरी कुण्ड, पार्वती कुण्ड, हरदेव कुण्ड: धार्मिक महत्त्व से जुड़ी।
  • मौताड़ ताल: धारचूला में स्थित एक प्रसिद्ध ताल।
  • थामरी कुण्ड, गौरी ताल, नन्दा कुण्ड (मिलम): मुनस्यारी के पास, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • गरमपानी (मदकोट): इसका जल प्राकृतिक रूप से गर्म है।

4. पिथौरागढ़ जिले में कौन-कौन से प्रमुख झरने हैं?

पिथौरागढ़ जिले के दर्शनीय झरने:

  • विर्थी फॉल (मुनस्यारी): ऊंचाई और तेज जलधारा के लिए प्रसिद्ध।
  • किमसेन छीड़ (एलागाड़ नदी): धारचूला में स्थित।
  • रॉथी झरना: धारचूला के निकट स्थित।
  • ज्यौं रुथा जलप्रपात: नज्यं नदी के किनारे, मालपा के पास।
  • तिथा जलप्रपात: सेला गांव (धारचूला) का शांत झरना।
  • भेल छीड़ (हथिया देवाल के पास): प्राकृतिक सौंदर्य से भरा जलप्रपात।

5. पिथौरागढ़ जिले की प्रमुख नदियां कौन-कौन सी हैं और उनके उद्गम स्थान क्या हैं?

पिथौरागढ़ जिले की मुख्य नदियां और उनके उद्गम स्थल:

  • पूर्वी धौली गंगा: दारमा घाटी से निकलती है, लिस्सर और दारमा नदियों के मिलने से यह धौलीगंगा कहलाती है।
  • गौरी नदी: मिलम ग्लेशियर से निकलती है, यह काली नदी की सबसे लंबी सहायक नदी है।
  • काली नदी: कालापानी से निकलती है और भारत-नेपाल सीमा का निर्धारण करती है।
  • एलागाड़ नदी: छिपलाकेदार क्षेत्र से निकलती है और काली नदी में मिलती है।

6. पिथौरागढ़ जिले के पर्यटन स्थलों में किस प्रकार की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विविधता है?

पिथौरागढ़ जिले में प्राकृतिक झीलों, पवित्र गुफाओं, ऐतिहासिक कर व्यवस्थाओं, और बहने वाली प्रमुख नदियों का संगम है। धार्मिक महत्त्व और प्राकृतिक सौंदर्य का अनूठा मेल यहाँ के पर्यटन को एक अद्वितीय अनुभव बनाता है।

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