उत्तराखण्ड - भूगोल
उत्तराखण्ड, जिसे "देवभूमि" के नाम से भी जाना जाता है, हिमालय की गोद में स्थित एक ऐसा राज्य है जो अपने विविध भूगोल, प्राकृतिक संपदा, और पर्यावरणीय महत्त्व के लिए प्रसिद्ध है। राज्य का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 53,483 वर्ग किमी है, जिसमें से 43,035 किमी² क्षेत्र पर्वतीय और 7,448 किमी² क्षेत्र मैदानी है। इसके अतिरिक्त, राज्य का 34,651 किमी² क्षेत्र वनाच्छादित है, जो इसकी जैव विविधता का केंद्र है।
भौगोलिक स्थिति और संरचना
उत्तराखण्ड का भौगोलिक विस्तार 28°43' उ. अक्षांश से 31°27' उ. अक्षांश और 77°34' पू. देशांतर से 81°02' पू. देशांतर के बीच है।
- राज्य का उत्तरी भाग वृहद हिमालय श्रृंखला का हिस्सा है, जहाँ ऊँची हिमालयी चोटियाँ और हिमनदियाँ स्थित हैं।
- निम्न तलहटी वाले क्षेत्र सघन वनों से आच्छादित हैं, जिनका ऐतिहासिक रूप से दोहन हुआ, लेकिन हाल के वनीकरण प्रयासों से स्थिति में सुधार हुआ है।
पर्यावरणीय महत्त्व
उत्तराखण्ड में हिमालय का विशिष्ट पारिस्थितिक तंत्र अनेक दुर्लभ वनस्पतियों और जड़ी-बूटियों का घर है। यह क्षेत्र हिम तेंदुआ, बाघ और तेंदुए जैसे जंगली जीवों का प्राकृतिक आवास भी है।
नदियाँ और जलस्रोत
उत्तराखण्ड भारत की दो प्रमुख नदियों गंगा और यमुना का उद्गम स्थल है। ये नदियाँ हिमालय की चोटियों से बहने वाली हिमनदों की पिघली बर्फ और तालाबों-झीलों से जल ग्रहण करती हैं।
- गंगोत्री और यमुनोत्री इन नदियों के उद्गम स्थल हैं।
- जलस्रोतों और हिमनदों के कारण यह क्षेत्र न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि लाखों लोगों के लिए जीवनरेखा भी है।
वनस्पति और जलवायु विविधता
उत्तराखण्ड में ऊँचाई के अनुसार मौसम और वनस्पति में काफी परिवर्तन होता है:
- 5,000 मीटर और उससे ऊपर: बर्फ और पत्थरों से ढकी चोटियाँ।
- 3,000 से 5,000 मीटर: घासभूमि और झाड़ीभूमि।
- 2,600 से 3,000 मीटर: शंकुधारी समशीतोष्ण वन।
- 1,500 से 2,600 मीटर: चौड़ी पत्तियों वाले समशीतोष्ण वन।
- 1,500 मीटर से नीचे: उपोष्णकटिबंधीय पाइन वन।
नीचे की भूमि में भाभर क्षेत्र और गंगा के मैदानों में नम पतझड़ी वन मिलते हैं। यह क्षेत्र कृषि और बस्तियों के लिए उपयुक्त है।
राष्ट्रीय उद्यान और संरक्षित क्षेत्र
उत्तराखण्ड में भारत के कुछ सबसे प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान और संरक्षित क्षेत्र स्थित हैं:
- जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान (नैनीताल) - भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान।
- फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (चमोली) - अपनी अद्भुत जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध।
- नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान (चमोली) - फूलों की घाटी के साथ यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल।
- राजाजी राष्ट्रीय उद्यान (हरिद्वार) - समृद्ध जैव विविधता का केंद्र।
- गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान (उत्तरकाशी) - हिमालय के प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत उदाहरण।
- गोविंद पशु विहार (उत्तरकाशी) - जंगली जानवरों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण।
भौगोलिक और पर्यावरणीय चुनौतियाँ
हालाँकि उत्तराखण्ड का भूगोल इसे एक अद्वितीय पर्यावरणीय क्षेत्र बनाता है, लेकिन यह क्षेत्र जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, और हिमनदों के पिघलने जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है।
निष्कर्ष
उत्तराखण्ड का भूगोल इसकी प्राकृतिक संपदा और सांस्कृतिक महत्त्व को परिभाषित करता है। यह राज्य न केवल पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन के लिए एक आदर्श स्थान है, बल्कि भारत की जल और जैव विविधता का भी अभिन्न हिस्सा है।
पोएम:
“हिमालय की गोद में बसा,
प्रकृति का अनुपम उपहार।
जंगल, नदी, और ऊँची चोटियाँ,
उत्तराखण्ड है सबका प्यार।"
FAQs:
उत्तराखण्ड का भौगोलिक क्षेत्रफल कितना है? उत्तराखण्ड का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 53,483 वर्ग किमी है, जिसमें से 43,035 किमी² पर्वतीय और 7,448 किमी² मैदानी क्षेत्र हैं।
उत्तराखण्ड का उच्चतम भाग कौन सा है? उत्तराखण्ड का उच्चतम भाग वृहद हिमालय श्रृंखला में स्थित है, जहां ऊँची हिमालयी चोटियाँ और हिमनदियाँ हैं।
उत्तराखण्ड में प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान कौन से हैं? उत्तराखण्ड में प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों में जिम कॉर्बेट, फूलों की घाटी, नंदा देवी, राजाजी, और गंगोत्री शामिल हैं।
उत्तराखण्ड के जलस्रोत कौन से हैं? उत्तराखण्ड में गंगा और यमुना जैसी प्रमुख नदियाँ उत्पन्न होती हैं, जो हिमालय की चोटियों से बहने वाली हिमनदियों और झीलों से जल ग्रहण करती हैं।
उत्तराखण्ड में वनस्पति और जलवायु का परिवर्तन किस प्रकार होता है? उत्तराखण्ड में ऊँचाई के अनुसार मौसम और वनस्पति में बड़ा परिवर्तन होता है। यहाँ हिमनदों से लेकर उपोष्णकटिबंधीय पाइन वन तक विभिन्न प्रकार के वन पाए जाते हैं।
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