उत्तराखण्ड के प्रमुख त्यौहार | Uttrakhand ke Pramukh Tyohaar

उत्तराखण्ड के प्रमुख त्यौहार

मानव का स्वभाव सदैव आनंदमयी तथा उत्सव प्रेमी होता है। वह जीवन में सदा सुख-समृद्धि, मान-सम्मान एवं प्रगति की कामना करता है और इन्हें प्राप्त करने हेतु निरन्तर प्रयासरत भी रहता है। यह प्रयास वास्तव में जीवन पर्यन्त चलने वाली एक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में मानव को अनेक संघर्षों, समस्याओं तथा चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान उसे अपने जीवन काल में कई बार असफलता, निराशा, हताशा एवं थकान का अनुभव भी होता है। ऐसी परिस्थितियों में मानव के जीवन में त्यौहार, मेले, नृत्य, गीत-संगीत, विविध ललित कला आदि महती भूमिका का निर्वाह करते हुए हमारे जीवन को उमंग एवं हर्षोल्लास से भर देते हैं। इनके माध्यम से ही हमारे जीवन में एक नई ऊर्जा और चेतना का संचार होता है। यह मानव के आनन्दमयी स्वभाव को पोषण प्रदान करते हैं। यह तत्व मानव के सांस्कृतिक पक्ष का भी सृजन करते हैं। यदि उत्तराखण्ड राज्य के परिप्रेक्ष्य में चर्चा करें, तो यह देवभूमि सांस्कृतिक रूप से उन्नत दिखायी देती है। सांस्कृतिक प्रगति के संदर्भ में यह क्षेत्र एक विशिष्ट पहचान रखता है। यहाँ स्थानीय त्यौहार, मेले, नृत्य, गीत-संगीत, तथा विविध कला समाज की स्थानीय भाषाओं, मान्यताओं, खान-पान, मनोरंजन, पर्यावरण आदि को दर्शाते हैं और यहाँ के लोगों की समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा का प्रतिनिधित्व करते हैं। उत्तराखण्ड राज्य भी इसका अपवाद नहीं है। यह देवभूमि अपने विभिन्न तीज-त्यौहारों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ प्रमुख राष्ट्रीय त्यौहारों के साथ-साथ अनेक स्थानीय तथा क्षेत्रीय त्यौहार भी मनाये जाते हैं। 

उत्तराखण्ड की संस्कृति विभिन्न त्यौहारों से भरी हुई है, जो यहाँ की परंपराओं, मान्यताओं और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं। ये त्यौहार मानव जीवन में उल्लास, खुशी और सामाजिक एकता का संचार करते हैं। यहाँ के प्रमुख त्यौहार निम्नलिखित हैं:

1. फूलदेई त्यौहार

फूलदेई उत्तराखण्ड का एक प्रसिद्ध लोक पर्व है, जो चैत्र मास की संक्रांति में मनाया जाता है। इस दिन बच्चे फ्यूंली, बुरांश, कचनार आदि के फूल एकत्र कर घरों की दहलीज पर डालते हैं और गीत गाते हैं। इस त्यौहार का संबंध भगवान शिव और माँ पार्वती के मिलन से भी जोड़ा जाता है।

2. मरोज पर्व

उत्तरकाशी जनपद की रूपिन घाटी में मनाया जाने वाला यह पर्व जनवरी माह में आयोजित होता है। इस अवसर पर विभिन्न प्रकार के पकवान बनाये जाते हैं और स्थानीय नृत्य किया जाता है। मरोज पर्व जीवन के प्रति सकारात्मक सोच और उमंग का प्रतीक है।

3. इगास पर्व

यह पर्व दीपावली के ग्यारह दिन बाद मनाया जाता है, जब भगवान राम रावण का वध करके घर लौटे थे। इस दिन देवपूजन के साथ भैलों नृत्य का आयोजन होता है। इसे बूढ़ी दीपावली भी कहा जाता है।

4. गोवर्द्धन पूजा

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रथम दिन गोवर्द्धन पूजा होती है, जिसे अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है। इस दिन दूध देने वाले पशुओं की पूजा की जाती है।

5. रनोशा त्यौहार

यह त्यौहार गढ़वाल में गांव की समस्याओं और दुःख-दर्दों से रक्षा हेतु मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न अनाजों को एकत्रित कर गांव के चारों ओर घूमाया जाता है और खिचड़ी का प्रसाद बांटा जाता है।

6. जागड़ा उत्सव

भाद्र मास में आयोजित होने वाला यह त्यौहार जौनसारियों का है, जिसमें महासू देवता की पूजा की जाती है।

7. मण उत्सव

यह त्यौहार जौनसार-बावर के प्रमुख त्यौहारों में से एक है, जिसे कई खतें मिलकर मनाते हैं। यह त्यौहार मछली पकड़ने और मेले का आयोजन करने के लिए जाना जाता है।

8. चैतोल त्यौहार

पिथौरागढ़ में चैत्र मास की अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन स्थानीय देवता की पूजा की जाती है और उनके साथ धार्मिक शोभायात्रा निकाली जाती है।

पिथौरागढ़ जनपद में चैत्र मास की अष्टमी को चैतोल त्यौहार का आयोजन किया जाता है। इस पर्व का उद्देश्य अपने कुटुम्ब के कल्याण की कामना करना है। इस दिन यहाँ के स्थानीय देवता देवल समेत की धार्मिक शोभायात्रा के रूप में पूजा की जाती है। देवल समेत देवता की इस क्षेत्र में बड़ी मान्यता है। उन्हें भगवान शिव का अंश माना जाता है। स्थानीय लोग शिव से सम्बंधित कथा व गीत गाकर इस पर्व का आयोजन करते हैं। माना जाता है कि सोर घाटी के 22 गांवों में देवल समेत महाराज की 22 बहनें रहती हैं, जिन्हे वह भिटौली देने भी जाते हैं। 22 गांवों के लोग प्रतिवर्ष चैत्र माह में इस मंदिर में देवल समेत की पूजा करते हैं और उनका डोला निकालते हैं। इस समारोह को चैतोल कहा जाता है।

9. जुगात त्यौहार

यह चमोली जनपद के मल्ला नागपुर क्षेत्र में मनाया जाता है। यह त्यौहार माँ नंदा को समर्पित है और हर साल छोटी नंदा राजजात तथा बारह वर्षों में बड़ी नंदा राजजात का आयोजन होता है।

10. लोसर त्यौहार

भोटिया बौद्ध पंचांग के अनुसार मनाया जाने वाला यह त्यौहार फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से आरंभ होता है। लोसर के अवसर पर भोटियों द्वारा प्रीति-भोज और समारोहों का आयोजन किया जाता है।

11. नाग पंचमी त्यौहार

यह त्यौहार उत्तराखण्ड में बहुत प्रमुख है। इसे कुमाऊँ में विरूड़पंचमी तथा ऋषि पंचमी भी कहा जाता है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है।

12. बिखौती त्यौहार (विषुवत संक्रांति)

  • समय: बैशाख माह के प्रथम दिन।
  • विशेषता: बच्चों को तालू लगाने का प्रचलन, मेले का आयोजन (थल, लोहारखेत, आदि)।
  • सांस्कृतिक गतिविधियाँ: गाना, बजाना और नृत्य।

13. घुघुतिया त्यौहार

काले कौवा काले घुघुति माला खा ले
  • समय: माघ मास के प्रथम दिन, मकर संक्रांति पर।
  • विशेषता: आटे से 'घुघुत' बनाना और कौवों को बुलाना।
  • अन्य: बागेश्वर में उत्तरायणी मेले का आयोजन, कुली बेगार प्रथा का अंत (1921)।

14. हरेला

  • समय: श्रावण मास की संक्रांति।
  • विशेषता: सात अनाजों की खेती, हरेला काटना और बड़े बुजुर्गों द्वारा आशीर्वाद।
  • गाना: "जी राया जाग राया"।

15. दुबडी त्यौहार (टिहरी गढ़वाल)

  • समय: भाद्रपद का शुक्ल पक्ष।
  • विशेषता: विवाहित कन्याएं मायके आती हैं और भाई के लिए पूजा करती हैं।

16. श्री गंगा दशहरा

  • समय: ज्येष्ठ मास की दशमी।
  • विशेषता: गंगा नदी में स्नान का महत्व, गंगा की पूजा और परिवार की सुरक्षा के लिए पोस्टर लगाना।

17. घी या घृत संक्रांति

  • समय: भाद्रपद की संक्रांति (09 गते)।
  • विशेषता: परिवार के सदस्यों के सिर में घी लगाना, उड़द की दाल और घी का सेवन।

18. रामलीला

  • विशेषता: भगवान राम के जीवन का चित्रण, अल्मोड़ा की रामलीला प्रसिद्ध।

19. होली

  • समय: फाल्गुन की पूर्णिमा।
  • विशेषता: होलिका दहन और रंग खेलना, गुझिया और भांग का सेवन।

20. खतड़वा त्यौहार

  • समय: अश्विन मास की संक्रांति।
  • विशेषता: चंदों और पंवारों के युद्ध की विजय का उत्सव, खतड़ सिंह का पुतला जलाना।

21. बैसी

  • समय: श्रावण और पौष मास।
  • विशेषता: देवी-देवताओं की निरंतर पूजा, 22 दिनों तक मंदिर में रहकर एक समय का भोजन।

22. रक्षाबंधन

रक्षाबंधन हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो भाई-बहन के रिश्ते को दर्शाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई में राखी बांधकर उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है। भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, राजा इन्द्र और असुरराज बलि के बीच के संबंध से इस त्यौहार का संबंध है।

23. भिटौली

उत्तराखंड में चैत्र मास में मनाया जाने वाला भिटौली त्योहार, विवाहित लड़कियों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन माता-पिता या बड़े भाई ससुराल जाकर अपनी बेटी को उपहार देते हैं। यह त्यौहार इस बात का प्रतीक है कि विवाह के बाद भी पुत्री का अपने माता-पिता से अटूट संबंध बना रहता है।

24. दीपावली

दीपावली का त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है और इसे असत्य पर सत्य की विजय का पर्व माना जाता है। यह कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन महालक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से की जाती है और पूरे क्षेत्र में दीप जलाकर दीपावली का प्रकाश उत्सव मनाया जाता है।

25. विजयादशमी

विजयादशमी या दशहरा, अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। यह दिन भगवान राम द्वारा रावण का वध करने और माता दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन रामलीला का मंचन भी किया जाता है और रावण के पुतले का दहन किया जाता है।

26. गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी, भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसे विशेष रूप से कुमाऊँ और गढ़वाल में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

27. शिवरात्रि

शिवरात्रि, फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है। इसे महादेव के विवाह और सृष्टि की उत्पत्ति के पर्व के रूप में मनाते हैं। इस दिन व्रत रखकर शिव मंदिरों में जल चढ़ाया जाता है।

28. कृष्ण जन्माष्टमी

कृष्ण जन्माष्टमी, भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मनाया जाता है। भगवान कृष्ण के जन्म को लेकर यह पर्व उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसमें व्रत, भजन और नृत्य का आयोजन होता है।

29. दुर्वाष्टमी व्रत

दुर्वाष्टमी व्रत भाद्र शुक्ल अष्टमी को किया जाता है। इस दिन महिलाएँ अपने परिवार की समृद्धि और संतान प्राप्ति के लिए व्रत करती हैं और विशेष पूजा अर्चना करती हैं।

निष्कर्ष

उत्तराखण्ड के त्यौहार न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि ये सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक हैं। ये त्यौहार लोगों को एकजुट करने, उनकी खुशियों को बढ़ाने और उनकी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

(Frequently Asked Questions - FAQ)

1. फूलदेई त्यौहार क्या है और इसे कब मनाया जाता है?

  • उत्तर: फूलदेई उत्तराखंड का एक प्रमुख लोक पर्व है, जो चैत्र मास की संक्रांति में मनाया जाता है। इस दिन बच्चे फ्यूंली, बुरांश, और कचनार के फूल एकत्र कर घरों की दहलीज पर डालते हैं और गीत गाते हैं।

2. मरोज पर्व का महत्व क्या है?

  • उत्तर: मरोज पर्व जनवरी में उत्तरकाशी जनपद की रूपिन घाटी में मनाया जाता है। यह जीवन के प्रति सकारात्मक सोच और उमंग का प्रतीक है, और इस अवसर पर विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं।

3. इगास पर्व कब मनाया जाता है?

  • उत्तर: इगास पर्व दीपावली के ग्यारह दिन बाद मनाया जाता है। इसे बूढ़ी दीपावली भी कहा जाता है और इस दिन देवपूजन के साथ भैलों नृत्य का आयोजन किया जाता है।

4. गोवर्धन पूजा किस प्रकार मनाई जाती है?

  • उत्तर: गोवर्धन पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पहली दिन होती है। इस दिन दूध देने वाले पशुओं की पूजा की जाती है और विशेष पकवान तैयार किए जाते हैं।

5. रनोशा त्यौहार का उद्देश्य क्या है?

  • उत्तर: रनोशा त्यौहार गढ़वाल में गांव की समस्याओं और दुःख-दर्दों से रक्षा हेतु मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न अनाजों को एकत्रित कर गांव के चारों ओर घूमाया जाता है।

6. जागड़ा उत्सव किस समुदाय से संबंधित है?

  • उत्तर: जागड़ा उत्सव भाद्र मास में जौनसारियों द्वारा मनाया जाता है, जिसमें महासू देवता की पूजा की जाती है।

7. मण उत्सव क्या है?

  • उत्तर: मण उत्सव जौनसार-बावर के प्रमुख त्यौहारों में से एक है, जिसे कई खतें मिलकर मनाते हैं। यह त्यौहार मछली पकड़ने और मेले का आयोजन करने के लिए जाना जाता है।

8. चैतोल त्यौहार का महत्व क्या है?

  • उत्तर: चैतोल त्यौहार पिथौरागढ़ में चैत्र मास की अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन स्थानीय देवता की पूजा की जाती है और धार्मिक शोभायात्रा निकाली जाती है।

9. जुगात त्यौहार किसके लिए मनाया जाता है?

  • उत्तर: जुगात त्यौहार चमोली जनपद के मल्ला नागपुर क्षेत्र में मनाया जाता है और यह माँ नंदा को समर्पित है।

10. लोसर त्यौहार किस प्रकार मनाया जाता है?

  • उत्तर: लोसर त्यौहार भोटिया बौद्ध पंचांग के अनुसार मनाया जाता है और इसे फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से आरंभ किया जाता है। इस अवसर पर भोटियों द्वारा प्रीति-भोज का आयोजन किया जाता है।

11. नाग पंचमी त्यौहार का महत्व क्या है?

  • उत्तर: नाग पंचमी उत्तराखंड में बहुत प्रमुख त्यौहार है, जिसमें नागों की पूजा की जाती है। इसे कुमाऊँ में विरूड़पंचमी तथा ऋषि पंचमी भी कहा जाता है।

12. बिखौती त्यौहार कब मनाया जाता है?

  • उत्तर: बिखौती त्यौहार बैशाख माह के प्रथम दिन मनाया जाता है। इसमें बच्चों को तालू लगाने का प्रचलन होता है और मेले का आयोजन किया जाता है।

13. घुघुतिया त्यौहार का विशेष उत्सव क्या है?

  • उत्तर: घुघुतिया त्यौहार माघ मास के प्रथम दिन मकर संक्रांति पर मनाया जाता है। इस दिन आटे से 'घुघुत' बनाया जाता है और कौवों को बुलाने की परंपरा है।

14. हरेला त्यौहार कब मनाया जाता है?

  • उत्तर: हरेला श्रावण मास की संक्रांति पर मनाया जाता है। इस दिन सात अनाजों की खेती और हरेला काटने की परंपरा होती है।

15. दुबडी त्यौहार का क्या महत्व है?

  • उत्तर: दुबडी त्यौहार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। इस दिन विवाहित कन्याएं मायके आती हैं और अपने भाई के लिए पूजा करती हैं।

16. श्री गंगा दशहरा का पर्व कब मनाया जाता है?

  • उत्तर: श्री गंगा दशहरा ज्येष्ठ मास की दशमी को मनाया जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान का महत्व है।

17. घी या घृत संक्रांति का विशेष आयोजन क्या होता है?

  • उत्तर: घी या घृत संक्रांति भाद्रपद की संक्रांति पर होती है। इस दिन परिवार के सदस्यों के सिर में घी लगाया जाता है और उड़द की दाल का सेवन किया जाता है।

18. रामलीला का महत्व क्या है?

  • उत्तर: रामलीला भगवान राम के जीवन का चित्रण करती है और अल्मोड़ा की रामलीला विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

19. होली कब मनाई जाती है और इसमें क्या विशेष होता है?

  • उत्तर: होली फाल्गुन की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन होलिका दहन और रंग खेलने की परंपरा है।

20. खतड़वा त्यौहार किस प्रकार मनाया जाता है?

  • उत्तर: खतड़वा त्यौहार अश्विन मास की संक्रांति पर मनाया जाता है, जिसमें चंदों और पंवारों के युद्ध की विजय का उत्सव मनाया जाता है।

21. बैसी त्यौहार का आयोजन कब होता है?

  • उत्तर: बैसी त्यौहार श्रावण और पौष मास में मनाया जाता है, जिसमें देवी-देवताओं की निरंतर पूजा की जाती है।

22. रक्षाबंधन का त्यौहार कब मनाया जाता है?

  • उत्तर: रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते को दर्शाता है और इसे भाई की रक्षा का वचन देने के लिए मनाया जाता है।

23. भिटौली त्यौहार का महत्व क्या है?

  • उत्तर: भिटौली त्यौहार विवाहित लड़कियों के लिए विशेष महत्व रखता है, जहां माता-पिता अपनी बेटी को उपहार देते हैं।

24. दीपावली का त्योहार कब मनाया जाता है?

  • उत्तर: दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है और इसे असत्य पर सत्य की विजय का पर्व माना जाता है।

25. विजयादशमी का उत्सव कब मनाया जाता है?

  • उत्तर: विजयादशमी अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाई जाती है, जो भगवान राम द्वारा रावण का वध करने के उपलक्ष्य में होती है।

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