उत्तराखंड की जैव विविधता: एक समृद्ध प्राकृतिक धरोहर - Biodiversity of Uttarakhand: A Rich Natural Heritage

उत्तराखंड की जैव विविधता: एक समृद्ध प्राकृतिक धरोहर

भारत गणराज्य के 27वें राज्य, उत्तराखंड, का भौगोलिक क्षेत्रफल 53,483 वर्ग किमी है। यह राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता, जैव विविधता, और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। उत्तराखंड 28°44' से 31°28' उत्तरी अक्षांश और 77°35' से 81°01' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर बना यह राज्य मुख्य रूप से पहाड़ी इलाकों से घिरा हुआ है, जिसमें बर्फीली चोटियाँ, घने जंगल, और समृद्ध जैव विविधता शामिल है।

भौगोलिक स्थिति और संरचना

उत्तराखंड का भूभाग विभिन्न भौगोलिक संरचनाओं में बँटा हुआ है, जो इसे हिमालय के विकासवादी इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाता है। राज्य में तीन प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है:

  1. हिमालय क्षेत्र: यह क्षेत्र बर्फ से ढके ऊँचाई वाले पर्वतों और ग्लेशियरों का घर है। यहाँ की प्रमुख नदियाँ जैसे गंगा, यमुना, भागीरथी, और अलकनंदा इन्हीं हिमालयी क्षेत्रों से निकलती हैं।
  2. शिवालिक और मध्य हिमालय: यह क्षेत्र अपनी भौगोलिक विशेषताओं के कारण महत्वपूर्ण है, जो पारिस्थितिकीय दृष्टि से नाजुक हैं। यहाँ की शिवालिक पर्वतमाला पुरानी और स्थानिक संरचनाओं का प्रतिनिधित्व करती है।
  3. तराई और भाबर क्षेत्र: यह इलाका गंगा के मैदानों का हिस्सा है और जैव विविधता के लिए प्रवेश द्वार है, जो आर्द्रभूमि और समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र के लिए जाना जाता है।

जैव विविधता और वन आवरण

उत्तराखंड में वन आवरण का क्षेत्रफल लगभग 3.47 मिलियन हेक्टेयर है, जो राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 71% है। यह क्षेत्र उष्णकटिबंधीय, उप-उष्णकटिबंधीय, शीतोष्ण, उप-अल्पाइन, और अल्पाइन वनस्पतियों का मिश्रण है। यहाँ पाए जाने वाले वनस्पति प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • उष्णकटिबंधीय नम वन (500-1000 मीटर): यह क्षेत्र तराई और भाबर बेल्ट में स्थित है।
  • उप-उष्णकटिबंधीय पाइन वन (1000-2000 मीटर): इस क्षेत्र में चीड़ के पेड़ और अन्य शंकुधारी वनस्पतियाँ पाई जाती हैं।
  • हिमालयी नम शीतोष्ण वन (2000-3000 मीटर): यहाँ प्रमुख रूप से ओक, देवदार, और रोडोडेंड्रोन के जंगल हैं।
  • उप-अल्पाइन और अल्पाइन वन (3400-5000 मीटर): इन ऊँचाई वाले क्षेत्रों में बर्फीली वनस्पति पाई जाती है।

वन्यजीव और आर्द्रभूमियाँ

उत्तराखंड के समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र में 3748 जीव प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया गया है, जिसमें स्तनधारी, पक्षी, सरीसृप, उभयचर, और अकशेरुकी जीव शामिल हैं। राज्य में 1060 कशेरुकी प्रजातियाँ, 2020 कीट प्रजातियाँ, और 4346 अकशेरुकी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इसके अलावा, नंदा देवी और अन्य उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले अम्मोनाइट जीवाश्म टेथिस महासागर के भूगर्भीय अतीत की याद दिलाते हैं।

राज्य की प्रमुख नदियाँ जैसे गंगा, यमुना, भागीरथी, अलकनंदा, रामगंगा, और शारदा राज्य की आर्द्रभूमियों को समृद्ध करती हैं। ये आर्द्रभूमियाँ विभिन्न प्रकार के प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण आवास और प्रजनन स्थल हैं।

जैव विविधता संरक्षण के प्रयास

उत्तराखंड की जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा अनेक प्रयास किए गए हैं। राज्य को हर्बल राज्य घोषित किया गया है, जो कि हर्बल और सुगंधित पौधों की कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों की उपस्थिति को स्वीकारता है। इसके अलावा, यहाँ के प्राचीन पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने के लिए कई राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभ्यारण्य भी स्थापित किए गए हैं, जैसे कि जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान, और राजाजी राष्ट्रीय उद्यान

निष्कर्ष

उत्तराखंड की समृद्ध जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधन न केवल राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को परिभाषित करते हैं बल्कि इसके पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों, घने जंगलों, आर्द्रभूमियों, और विविध वनस्पतियों का यह मिश्रण राज्य को एक अनूठा जैव विविधता हॉटस्पॉट बनाता है।

उत्तराखंड की जैव विविधता को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए सतत प्रयास की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस प्राकृतिक धरोहर का आनंद ले सकें और इसके पारिस्थितिकी तंत्र का लाभ उठा सकें

Frequently Asked Questions (FQCs)

  1. उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति क्या है?
    उत्तराखंड 28° 44' और 31° 28' उत्तरी अक्षांश और 77° 35' और 81° 01' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है।

  2. उत्तराखंड राज्य का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल कितना है?
    राज्य का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 53,483 वर्ग किमी है।

  3. उत्तराखंड के कितने जिले हैं और ये किस क्षेत्र में स्थित हैं?
    उत्तराखंड में कुल 13 जिले हैं, जिन्हें गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में विभाजित किया गया है।

  4. राज्य का सबसे प्रमुख भौगोलिक विशेषता क्या है?
    उत्तराखंड की अधिकांश भूमि पर्वतीय है, जिसमें हिमालय की ऊंची पर्वत श्रृंखलाएँ हैं।

  5. उत्तराखंड किन देशों और राज्यों के साथ अंतरराष्ट्रीय और अंतर-राज्यीय सीमाएँ साझा करता है?
    उत्तराखंड की सीमा चीन, नेपाल, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के साथ मिलती है।

  6. उत्तराखंड की प्रमुख नदियाँ कौन-कौन सी हैं?
    राज्य की प्रमुख नदियाँ गंगा, यमुना, भागीरथी, अलकनंदा, रामगंगा, नयार, कोसी, सरयू, और शारदा हैं।

  7. उत्तराखंड में जैव विविधता की स्थिति कैसी है?
    राज्य में 3748 जीव प्रजातियों की सूची बनाई गई है, जिसमें विभिन्न प्रकार के कशेरुकी और अकशेरुकी शामिल हैं।

  8. उत्तराखंड की वन संपदा में किस प्रकार के वन हैं?
    उत्तराखंड में उष्णकटिबंधीय नम वन, उप-उष्णकटिबंधीय पाइन वन, हिमालयी नम शीतोष्ण वन, उप-अल्पाइन वन, और अल्पाइन वन हैं।

  9. उत्तराखंड की औसत वार्षिक वर्षा कितनी होती है?
    राज्य की औसत वार्षिक वर्षा लगभग 1550 मिमी होती है।

  10. उत्तराखंड में पारिस्थितिकी तंत्र के कौन-कौन से स्तर देखने को मिलते हैं?
    राज्य में पारिस्थितिकी तंत्र के स्तर में जंतु, वनस्पति, जैव विविधता, और विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में विभाजन देखा जाता है।

  11. कौन सी वनस्पतियाँ और जीव-जंतु उत्तराखंड में पाए जाते हैं?
    राज्य में ऑर्किड, बांस, कुछ खेती की गई प्रजातियाँ, और कई जंगली जर्मप्लाज्म जैसे पौधे मिलते हैं, जबकि जीवों में कीट, कशेरुकी और अकशेरुकी प्रजातियाँ शामिल हैं।

  12. उत्तराखंड को हर्बल राज्य क्यों घोषित किया गया है?
    उत्तराखंड को हर्बल राज्य घोषित किया गया है क्योंकि यहाँ हर्बल और सुगंधित पौधों की कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

  13. शिवालिक पारिस्थितिकी तंत्र की विशेषता क्या है?
    शिवालिक पारिस्थितिकी तंत्र अपनी विशिष्ट जैव विविधता के कारण महत्वपूर्ण है और यह ऊँचे व निचले क्षेत्रों के जीवों के प्रवास के लिए एक निस्पंदन क्षेत्र के रूप में काम करता है।

  14. उत्तराखंड के कौन-कौन से क्षेत्र अधिक भूकंप और भूस्खलन के प्रति संवेदनशील हैं?
    हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र विशेष रूप से भूकंप और भूस्खलन के प्रति अधिक संवेदनशील हैं।

  15. उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले जीवाश्म क्या संकेत करते हैं?
    नंदा देवी में अम्मोनाइट जीवाश्मों की खोज संकेत देती है कि यह क्षेत्र प्राचीन भूगर्भीय काल में टेथिस सागर के नीचे डूबा हुआ था।

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