उत्तराखंड की प्रमुख वनौषिधियां या जड़ी -बूटियां | Main Herbs of Uttrakhand in Hindi

उत्तराखंड की प्रमुख वन औषधियां और जड़ी-बूटियां

औषधीय पौधों की समृद्धि

  • हिमालय का भंडार: हिमालय क्षेत्र में औषधीय पौधों का एक बहुत बड़ा भंडार है, जो पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों, जैसे कि आयुर्वेद, यूनानी और तिब्बती चिकित्सा का आधार है।
  • पौधों की विविधता: भारतीय हिमालयी क्षेत्र में कुल लगभग 18,440 पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से 45% औषधीय गुणों से भरपूर हैं। यह जानकारी सामंत एट अल द्वारा प्रस्तुत की गई है, जिसमें संवहनी पौधों की 1,748 प्रजातियाँ औषधीय मानी गई हैं।
यह एक औषधीय पौधा है। किलमोड़ा जड़, तना, पत्ती से लेकर फल तक का इस्तेमाल होता है।

उत्तराखंड का महत्व

  • समृद्ध विविधता: उत्तराखंड औषधीय और सुगंधित पौधों की समृद्ध विविधता का केंद्र है। यहाँ की जलवायु और भूगोल जड़ी-बूटियों के विकास के लिए अनुकूल हैं।
  • किसान और सुगंधित पौधे: उत्तराखंड में सुगंधित पौधों की खेती में वृद्धि हुई है। 2003-04 में केवल 301 किसान इस क्षेत्र में सक्रिय थे, जो 2006-07 में बढ़कर 2714 हो गए हैं। यह विकास इस बात का प्रमाण है कि किसान अब औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती को एक आर्थिक अवसर के रूप में देख रहे हैं।
  • कृषि क्षेत्र में वृद्धि: सुगंधित पौधों के अंतर्गत क्षेत्रफल में दस गुना वृद्धि ने उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है और इसके साथ ही पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण और प्रोत्साहन में मदद की है।

उत्तराखंड एक अद्भुत जैव विविधता का खजाना है, जहाँ पौधों की लगभग 1750 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से लगभग 700 औषधीय उपयोग के लिए महत्वपूर्ण हैं। यहाँ की प्राकृतिक वनस्पतियों को "वानस्पतिक बगीचा" और "हिमवन्त औषधि भूमि" के नाम से जाना जाता है। कई जड़ी-बूटियाँ यहाँ के जनजीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जैसे कि:

1. बांज (Oak)


बांज  ( Oak) ट्री 
  • वैज्ञानिक नाम: Quercus leucotrichophora
  • विशेषताएँ: यह एक शीतोष्ण कटिबंधीय वृक्ष है, जिसे उत्तराखंड का वरदान और शिव की जटाएं कहा जाता है। यह अग्नि पुराण में "दशपुत्रों समुद्रम" के नाम से भी जाना जाता है।

2. ब्राह्मी (Brahmi)

  • वैज्ञानिक नाम: Centella asiatica
  • विशेषताएँ: यह एक बहु-वर्षीय शाक है जो बुद्धिवर्द्धक औषधि के रूप में प्रसिद्ध है। इसे हरिद्वार में बहुतायत में पाया जाता है।

3. ममीरा (Mamira)

  • वैज्ञानिक नाम: Thalictrum foliolosum
  • विशेषताएँ: यह हिमालयी क्षेत्र में 7000 फीट की ऊँचाई पर पाया जाता है और इसका उपयोग आँखों की दवा के रूप में किया जाता है।

4. जिरेनियम (Geranium)

  • विशेषताएँ: यह सुगन्धित पौधा है, जिसे गुलाब की सुगंध के लिए जाना जाता है। इसका उपयोग खाद्य पदार्थों, साबुन और त्वचा की क्रीम बनाने में होता है।

5. जैट्रोफा (Jatropha)

  • विशेषताएँ: इसे रतनजोत के नाम से जाना जाता है। इसका उपयोग साबुन, सौंदर्य प्रसाधन और बायोडीजल तैयार करने में किया जाता है।

6. भैंकल (Bhekal)

  • वैज्ञानिक नाम: Principia utilis
  • विशेषताएँ: यह 13000 फीट की ऊँचाई पर पाया जाता है और इसके फलों का उपयोग गठिया रोग के उपचार के लिए किया जाता है।

7. अमीश (Amesh)

  • वैज्ञानिक नाम: Hippophae rhamnoides
  • विशेषताएँ: यह 6000 से 13000 फीट की ऊँचाई पर पाया जाता है और इसके फल फेफड़े संबंधी रोगों के लिए उपयोगी हैं।

8. बिच्छू घास (Scorpion Grass)

  • वैज्ञानिक नाम: Urtica dioica
  • विशेषताएँ: यह हिमालय में खरपतवार के रूप में पाया जाता है और इसका सेवन एनिमिया रोग के उपचार में किया जाता है।

9. किल्मोडा (Kilmoda)

  • वैज्ञानिक नाम: Berberis aristata
  • विशेषताएँ: यह औषधीय पौधा आँखों से संबंधित रोगों के इलाज में उपयोगी है। इसे दारूहरिद्रा भी कहा जाता है।

10. भीमल (Bhimal)

  • वैज्ञानिक नाम: Grewia oppositifolia
  • विशेषताएँ: यह शीतोष्ण भागों में पाया जाता है और इसका प्रयोग हर्बल शैम्पू बनाने में होता है।

11. झूला (Jhula Vanaspati)

  • विशेषताएँ: यह 5500 फीट की ऊँचाई तक पाया जाता है। इसका उपयोग मसालों, रंगों, और हवन सामग्री बनाने में होता है।

12. घिंघारू (Ghingharu)

  • विशेषताएँ: यह 3600 मीटर की ऊँचाई पर उगता है और इसके फल हृदय रोगों के लिए लाभकारी होते हैं।

13. शिकाकाई (Shikakai)

  • विशेषताएँ: यह 2500 मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है और इसके फलों से आयुर्वेदिक शैम्पू बनाया जाता है।

14. श्यांवाली (निर्गुण्डी) (Nirgundi)

  • विशेषताएँ: यह औषधीय गुणों से भरपूर है और इसके सभी भाग औषधीय उपयोग में आते हैं।

15. धुनेर (Dhuner)

  • विशेषताएँ: यह पौधा 2000 मीटर से अधिक ऊँचाई पर पाया जाता है और इससे कैन्सर के इलाज के लिए टैक्साल रसायन प्राप्त किया जाता है।

16. अतिविषा (Aconitum heterophyllum)

  • वानस्पतिक नाम: Aconitum heterophyllum
  • उपयोग: इसे अतिविषा के नाम से जाना जाता है। इसके पत्ते, फल, फूल, बीज और टहनियाँ सभी औषधीय रूप से उपयोग में लाए जाते हैं। इसका उपयोग ज्वर, सूजन, और दर्द निवारक के रूप में किया जाता है।

17. बुरांश (Rhododendron arboreum)

  • वानस्पतिक नाम: Rhododendron arboreum
  • उपयोग: उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है। इसके फूलों का इस्तेमाल औषधियों, चाय और शहद बनाने के लिए किया जाता है। ये फूल कई रोगों के इलाज में सहायक होते हैं।

18. जटामांसी (Nardostachys jatamansi)

  • वानस्पतिक नाम: Nardostachys jatamansi
  • उपयोग: इसके रोएदार तने और जड़ें औषधि के रूप में उपयोग की जाती हैं। इसका उपयोग तीखे महक वाले इत्र बनाने में और तनाव कम करने में किया जाता है।

19. दूब घास (Cynodon dactylon)

  • वानस्पतिक नाम: Cynodon dactylon
  • उपयोग: यह घास 12 महीने हरी रहती है। इसमें एसिटिक एसिड, फ़ेरुलिक एसिड, फ़ाइबर, विटामिन ए और सी की प्रचुरता होती है। इसे विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

20. निर्गुंडी (Vitex negundo)

  • वानस्पतिक नाम: Vitex negundo
  • उपयोग: इस पौधे की पत्तियों और चावल को पानी में मिलाकर एक मिश्रण बनाया जाता है, जिसे गोनोरिया से पीड़ित रोगियों को दिया जाता है। यह दर्द निवारक और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है।

21. जंगल अंगूर (Grewia asiatica)

  • वानस्पतिक नाम: Grewia asiatica
  • उपयोग: कच्चे अंगूर का इस्तेमाल गले की खराश के इलाज के लिए किया जाता है। वहीं, पके अंगूर का इस्तेमाल कैंसर, चेचक, नेत्र विकारों, और यकृत विकारों के उपचार के लिए किया जाता है।

इन जड़ी-बूटियों और औषधियों का उपयोग न केवल औषधीय गुणों के लिए किया जाता है, बल्कि ये उत्तराखंड की सांस्कृतिक और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का भी अभिन्न हिस्सा हैं। इनका संरक्षण और संवर्धन आवश्यक है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इनका लाभ उठा सकें।

(Frequently Asked Questions - FAQ)

1. उत्तराखंड में औषधीय पौधों की कितनी प्रजातियाँ पाई जाती हैं?

उत्तर: उत्तराखंड में लगभग 1750 पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से लगभग 700 औषधीय उपयोग के लिए महत्वपूर्ण हैं।

2. उत्तराखंड में औषधीय पौधों की खेती में किसानों की संख्या में क्या परिवर्तन हुआ है?

उत्तर: 2003-04 में केवल 301 किसान औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती में सक्रिय थे, जो 2006-07 में बढ़कर 2714 हो गए हैं।

3. बांज (Oak) का वैज्ञानिक नाम क्या है और इसके क्या विशेषताएँ हैं?

उत्तर: बांज का वैज्ञानिक नाम Quercus leucotrichophora है। यह शीतोष्ण कटिबंधीय वृक्ष है और इसे उत्तराखंड का वरदान कहा जाता है।

4. ब्राह्मी (Brahmi) का वैज्ञानिक नाम क्या है और इसका उपयोग कैसे होता है?

उत्तर: ब्राह्मी का वैज्ञानिक नाम Centella asiatica है। इसका उपयोग बुद्धिवर्धक औषधि के रूप में किया जाता है।

5. क्या जड़ी-बूटियाँ उत्तराखंड की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में महत्वपूर्ण हैं?

उत्तर: हाँ, ये जड़ी-बूटियाँ उत्तराखंड की सांस्कृतिक और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का अभिन्न हिस्सा हैं और इनका संरक्षण आवश्यक है।

6. ममीरा (Mamira) का वैज्ञानिक नाम क्या है और इसका उपयोग क्या है?

उत्तर: ममीरा का वैज्ञानिक नाम Thalictrum foliolosum है। इसका उपयोग आँखों की दवा के रूप में किया जाता है।

7. क्या जटामांसी (Jatamansi) का उपयोग तनाव कम करने के लिए किया जा सकता है?

उत्तर: हाँ, जटामांसी का उपयोग तनाव कम करने में और तीखे महक वाले इत्र बनाने में किया जाता है।

8. धुनेर (Dhuner) पौधे से किस औषधीय रसायन का निर्माण होता है?

उत्तर: धुनेर से कैन्सर के इलाज के लिए टैक्साल रसायन प्राप्त किया जाता है।

9. उत्तराखंड का राज्य वृक्ष कौन सा है और इसके फूलों का क्या उपयोग होता है?

उत्तर: उत्तराखंड का राज्य वृक्ष बुरांश (Rhododendron arboreum) है। इसके फूलों का इस्तेमाल औषधियों, चाय और शहद बनाने के लिए किया जाता है।

10. निर्गुंडी (Vitex negundo) का उपयोग किस प्रकार किया जाता है?

उत्तर: निर्गुंडी की पत्तियों और चावल को पानी में मिलाकर एक मिश्रण बनाया जाता है, जिसे गोनोरिया से पीड़ित रोगियों को दिया जाता है। यह दर्द निवारक और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है।

Uttarakhand Geography,

यहाँ भी पढ़े

  1. उत्तराखंड की प्रमुख फसलें | Major Crops of Uttarakhand in Hindi
  2. उत्तराखण्ड में सिंचाई और नहर परियोजनाऐं | Irrigation And Canal Project in Uttarakhand
  3. उत्तराखण्ड की मृदा और कृषि | Soil and Agriculture of Uttarakhand in Hindi
  4. उत्तराखण्ड में उद्यान विकास का इतिहास | History of Horticulture Development in Uttarakhand in 
  5. उत्तराखंड की प्रमुख वनौषिधियां या जड़ी -बूटियां | Main Herbs of Uttrakhand in Hindi
  6. उत्तराखण्ड के प्रमुख त्यौहार | Uttrakhand ke Pramukh Tyohaar
  7. उत्तराखण्ड के प्रमुख लोकनृत्य | Uttarakhand ke Pramukh Loknrityan
  8. उत्तराखंड में वनों के प्रकार | Types of Forests in Uttrakhand in Hindi
  9. उत्तराखंड के सभी राष्ट्रीय उद्यान | All National Parks of Uttarakhand in Hindi
  10. उत्तराखंड के सभी राष्ट्रीय उद्यान | All National Parks of Uttarakhand in Hindi
  11. उत्तराखंड के सभी वन्य जीव अभ्यारण्य | All Wildlife Sanctuaries of Uttarakhand in Hindi
  12. उत्तराखंड की जैव विविधता: एक समृद्ध प्राकृतिक धरोहर - Biodiversity of Uttarakhand: A Rich Natural Heritage

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट

जी रया जागी रया लिखित में , | हरेला पर्व की शुभकामनायें (Ji Raya Jagi Raya in writing, | Happy Harela Festival )

केदारनाथ स्टेटस हिंदी में 2 लाइन(kedarnath status in hindi 2 line)

हिमाचल प्रदेश की वादियां शायरी 2 Line( Himachal Pradesh Ki Vadiyan Shayari )

हिमाचल प्रदेश पर शायरी स्टेटस कोट्स इन हिंदी(Shayari Status Quotes on Himachal Pradesh in Hindi)

महाकाल महादेव शिव शायरी दो लाइन स्टेटस इन हिंदी (Mahadev Status | Mahakal Status)

गढ़वाली लोक साहित्य का इतिहास एवं स्वरूप (History and nature of Garhwali folk literature)

हिमाचल प्रदेश पर शायरी (Shayari on Himachal Pradesh )