15 + कुमाऊँनी कहावते (पहाड़ी कहावतें)15 + Kumaoni proverbs (Pahari proverbs)

कुमाऊँनी कहावते (पहाड़ी कहावतें)  15 Kumaoni proverbs (Pahari proverbs) 15

कहावते

लोकोक्ति, कहावतें संसार की सभी भाषाओं में प्रचलित है इनके व्यवहार से भाषा का सौन्दर्य भी बढ़ जाता है, केवल लिखने में ही नहीं बोलने में भी इनका प्रयोग भाषा के आकर्षण को बढ़ा देते हैं। कुमाऊनी भाषा में भी इनका प्रयोग बात- बात पर किए जाते है। कहावतों के पीछे बातपोष बहुत कहानियां जोड़ते हैं। हर कहावत के पीछे कोई न कोई कहानी होती है। कई बातपोष तो अपनी बातपोषी को कहावतों मे सजाकर करते है। पहाड़ों में किस्सागाई का अपना महत्व है हमारे समाज में किस्सागो को फसकिया या फसकबाज कहते हैं। गढ़वाल की तरफ छुयांल। समाज को समझने में इन्हे भी महत्वपूर्ण औजार है। किसी भी लोकभाषा की संपन्नता का अन्दाजा लगाना हो तो उस भाषा की कहावतों से अन्दाजा लगा सकते हैं। कहवातें लोकभाषा भाषी क्षेत्र के सामाजिक संरचनाओं को समझने का महत्वपूर्ण औजार है। जिस भाषा में कहवाते हैं उसके लिखित साहित्य में इसका व्यापक असर पड़ता है क्योंकि इससे लिखित साहित्य में भी कहावतें उर्वरक का काम करती है। समाज अध्ययनों में भी कहावतों का महत्वपूर्ण योगदान है।

कुमाऊँनी कहावतें (पहाड़ी कहावतें) Kumaoni proverbs (Pahari proverbs)

जाहिर है उत्तराखंड में भी ऐसी अनेक लोकोक्तियाँ प्रचलित हैं जिनका समय-समय पर उपयोग किया जाता रहा है. उत्तराखंड के कुमाऊँ और गढ़वाल के ग्रामीण अंचलों से निकली अनेक कहावतें और लोकोक्तियाँ अब लुप्त हो चुकी हैं. इन्हें संरक्षित करने के अनेक उपाय होते रहे हैं. इन सिलसिले में अनेक कोष भी तैयार किये गए हैं. काफल ट्री के लिए मशहूर व्यंग्यकार बसंत कुमार भट्ट ने चुनी हुई कुमाऊनी लोकोक्तियों को उनके अर्थ-सन्दर्भों सहित प्रस्तुत करने का कार्य किया है.
कुमाऊनी कहावतें कहां कहां प्रचलित है

कुमाऊनी कहावतें 
  1. स्थानी पुख्र्यालि बाकर वटारो।
  2. नचनि खेलनि मुखै थे ऊंछी।
  3. कलूं खोजन लगाप क्वासा खान्वे घर आयो।
  4. भैंसाका सीङ भैसा लै मारि नैं कि हुनाना
  5. खै बेर जाड़ो नै बेर न्या।
  6. नै पुजे अलम्बाड़ा, नै लाग्या गजमोड़ा।
  7. सानन थे पधान हो कयो राते में टेडी टेडी आयो।
  8. आसमानका फला
  9. अभागि मंगलुवा कौतिक ग्यो कौतिकै नि भ्यो।
  10. हात पड़िनाको छाड़ि दियो हात सान करि बोलयो।
  11. एक दुसरा को थोल चाटना
  12. हाजिरकि सोद नै गैर हांजरकि तलास।
  13. दालभात छोड़ि दिनान दगड़ो नै छोड़ना।
  14. सब हैं हल्को पराल वी है हल्को सोराला
  15. कानो घालि हुनो पाजि।
  16. मुसाकि चेलि मुसाका गै।

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