कहावते -कुमाऊँनी कहावते (पहाड़ी कहावतें)Sayings – Kumaoni Sayings (Pahari Proverbs)

कहावते -कुमाऊँनी कहावते (पहाड़ी कहावतें)Sayings – Kumaoni Sayings (Pahari Proverbs)

कुमाऊनी कहावतें कहां कहां प्रचलित है पहाड़ी कहावतें संक्षिप्त विवेचन के लिए संपूणं कृमाउंनी लोकसाहित्य को सात प्रकार का मान सकते टै ---(१) लोकगीत, (२) कथागीत, (३) लोकगाथाएं, (४) कथाएं, (५) लोकोक्तियां, (६) पहेलियां, (७) अन्य रचनाएँ । पहाड़ी कहावतें
कहावते
लोकोक्ति, कहावतें संसार की सभी भाषाओं में प्रचलित है इनके व्यवहार से भाषा का सौन्दर्य भी बढ़ जाता है, केवल लिखने में ही नहीं बोलने में भी इनका प्रयोग भाषा के आकर्षण को बढ़ा देते हैं। कुमाऊनी भाषा में भी इनका प्रयोग बात- बात पर किए जाते है। कहावतों के पीछे बातपोष बहुत कहानियां जोड़ते हैं। हर कहावत के पीछे कोई न कोई कहानी होती है। कई बातपोष तो अपनी बातपोषी को कहावतों मे सजाकर करते है। पहाड़ों में किस्सागाई का अपना महत्व है हमारे समाज में किस्सागो को फसकिया या फसकबाज कहते हैं। गढ़वाल की तरफ छुयांल। समाज को समझने में इन्हे भी महत्वपूर्ण औजार है। किसी भी लोकभाषा की संपन्नता का अन्दाजा लगाना हो तो उस भाषा की कहावतों से अन्दाजा लगा सकते हैं। कहवातें लोकभाषा भाषी क्षेत्र के सामाजिक संरचनाओं को समझने का महत्वपूर्ण औजार है। जिस भाषा में कहवाते हैं उसके लिखित साहित्य में इसका व्यापक असर पड़ता है क्योंकि इससे लिखित साहित्य में भी कहावतें उर्वरक का काम करती है। समाज अध्ययनों में भी कहावतों का महत्वपूर्ण योगदान है।

  1. अदपुरि विद्या जीवे काल।
  2. अधीन वामुनकि भैंसान खीर।
  3. अक्ल को पुरी।
  4. आग लगै पानि हूं दौड़ना
  5. अफन मैंत को कुकुर लै लाड़ो।
  6. अफनो सुनु खोटो परखनेर बांच।
  7. आफी नैग आफी पैगा
  8. जैकि गांठि तैकी जांठि।
  9. एक कौधा को नौ कव्वा बनून।
  10. एक गंगोलो सौ रंगलो।
  11. अखट जोगी फटकी छाला, जथके जाला उथकै खाला,
  12. एक दिन की पौन, द्वि दिन को पौन, तिसरा दिन निमट्ना
  13. एकै खाड़ा का पिणांलू।
  14. कच्यार् में ढूंग हाण्यो, अफनै आडा
  15. कालू बिष्टा का धान।
  16. कुकुर मुंख लगायो, थाल चाटंछो।
  17. काण विरालू माण लै पत्यून।
  18. लाटिका ब्या में हजार खुचाङ।
  19. कां जै राजाकि शनि का भुगबाकि कानि।
  20. देखीं आदिम कि देखन, तापीं धाम कि तापन।
  21. खायो आदिम कि जाणू भुखाकि बात।
  22. पनि हैं पतलो नौनि हैं नरम।
  23. नखनियां ब्वारिका नौ पतैड़।
  24. जैकि बड़ि-बड़ि आस, उइले दे कौन् को गासा
  25. हाथ नैं चटायो कून लपक।
  26. कुच्चाले झाड़नाको बयाल उड़ै ल्हिग्यो।
  27. बीसकि उन्नीस हुना
  28. थुकिनाको थूक चाटना
  29. ग्रीबकि स्याणि, सबकी बौजि।
  30. च्याला कि देखन, व्याला का यार देखन।
  31. ज्यौड़ो जलि जांछ, पैण नै जलनि।
  32. हात पड़िनाकि कुशला
  33. या दौनी छाजी, या ठेकी बाजौ।
  34. खान खै बेर जात पुछन।
  35. कुकुर का पुछड़ लै थेलुवा बादयो फिर लै टेड़ा को टेड़ो।
  36. काचे गू आग हालना
  37. खैबड़िनाक।
  38. चूख चाटन्या भाजी पड़यो, पात चाटन्या हात पड्‌यो
  39. विधांता कि लेखा
  40. गोरख्यौल है रे।
  41. स्याप को पोथो, स्यापै जसो।
  42. फना मनकि करना
  43. रावण को जसो घमण्ड।
  44. अत्ती उमलिनाथो घौल जांछ।
  45. कुकुरका घरा लै बासि रोटा।
  46. नपून्याले पायो चबै-चबै खायो।
  47. कौवा धत्यायो चील फड़ फड़ायो।
  48.  गुनो अफनो पुछड़ नानूं देखंछा
  49. जेठज्यू मरिग्या, कुकरम करिम्या।
  50. गी का लछिन ग्वैठा बटे।
  51. बाग में ढूंट पड्‌यो।
  52. गरीब का दीन ग्या सौकारा का दीन आया।
  53. चैन का चुपड़ा गुलप्या का ड्योड़ा।
  54. तात्वे खूं जलि मरूंच
  55. ले बाग मेरि खुट्टी।
  56. छपड़ा को जसो रङ बदलना
  57. जैकि खाप चलि बीकि नी हल बल्द चलि।
  58. जो काका कि खूल सोचूं उ बाबा कि लै नै खै सकनो।
  59. लगनकि बखतको हगन।
  60. ढूंड खोजना को दपायता मिलि पड्‌यो।
  61. तल्ला पेट को पानि जन हलकै।
  62. पेट पैठि बेर खुटा तानन।
  63. नाई दगड़ा सल्लाग में दाडि भिजे बैठन।
  64. न पट्योक गोपिया बामणा
  65. नौल गोरु का नौ पुला घासा
  66. बाटै ल्वार बाटै आफरा
  67. खै बेर जाड़ो नै बेर न्या।
  68. नै पुजे अलम्बाड़ा, नै लाग्या गजमोड़ा।
  69. सानन थे पधान हो कयो राते में टेडी टेडी आयो।
  70. आसमानका फला
  71. अभागि मंगलुवा कौतिक ग्यो कौतिकै नि भ्यो।
  72. हात पड़िनाको छाड़ि दियो हात सान करि बोलयो।
  73. एक दुसरा को थोल चाटना
  74. हाजिरकि सोद नै गैर हांजरकि तलास।
  75. दालभात छोड़ि दिनान दगड़ो नै छोड़ना।
  76. सब हैं हल्को पराल वी है हल्को सोराला
  77. कानो घालि हुनो पाजि।
  78. मुसाकि चेलि मुसाका गै।
  79. जो जसो करुंछ दुसरा के लै उसै समजंछ।
  80. जसो बोयो उसो काट्‌यो।
  81. नाक बाल काटि बेर भेजन्।
  82. जैक बिसा नै वै कि ठुलि नालिा
  83. बिना भेद जाण्यां स्यापका डुला हात हात हालन।
  84. डज्या घरको कुच्चै सही।
  85. ठुसराक ख्वार लै खोरो पोसिबेट नैं कि चोपड़ो हुंछ।
  86. कुलो टुक्यो गाड़, चेलि रिसै मैत्।
  87. स्थानी पुख्र्यालि बाकर वटारो।
  88. नचनि खेलनि मुखै थे ऊंछी।
  89. कलूं खोजन लगाप क्वासा खान्वे घर आयो।
  90. भैंसाका सीङ भैसा लै मारि नैं कि हुनाना
  91. घर पिणांलू, बन पिणांलू मांमा का वां गयो द्वी हात लम्भा पिणांलू।
  92. गैन बाच्छी नीने अच्छी, ज्वान चेलो सांसै सेलो।
  93. खान दिन सासु का न खान दिन ब्वारिका।
  94. तित्त बेलाका तित्ता फल जस्सी मतारि उस्सी चेलि।
  95. पातल का चड़ा कि वासनान कि नै वासना।
  96. कुकुर का घरो लै कपास।
  97. चैन बखत का ध्वाड़ा खोजना
  98. काटिया में नून हालन।
  99. आंखान में धूल झोंकन।
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