कुमाऊनी पहेलियाँ ( ऐंणां अहण या आँण ) - Paheli (Ainam) Kumaoni Riddles ( Annaam Ahna Ya Aan )

पहेली (ऐंणां) कुमाऊनी पहेलियाँ ( ऐंणां अहण या आँण )

पुराने समाजों में कथागोई और पहेली कहने की परम्परा थी। इसी से संबन्धित पेहेलियों को सुनने को लेकर आम कहावत यहां कुमाउ के सामाजों में प्रचलन में हैं कि दिन में ऐण सुनने से आंख फूट जाती है। यह नियमन सुनने में बहुत ही हल्का और अतार्कीक लग सकता है। पर इसके इस नियमन के पीछे ऐंणा की उस सवाली षास्त्रीय ताकत का भान होता है जिससे इस तरह का नियमन हुआ हो।
क्योंकि एंणा में पूछे जाने वाले सवाल को खोजना बड़ी टेढ़ी खीर हुआ करती है। इसीलिए इसको रात को ही सुनाने का जिक्र मिलता है तांकि ऐणा डालने वाले इत्मीनान से काम से फुर्सत पाकर सवालों को सोचकर जवाब दें। दिन में ऐंणा सुनने से आंख फूटने वाली कहावत शायद इसी वजह से प्रचलित हुई कि किसी कामगार फिर दिनचर्या के काम छोड़ कर इसी के पीछे लग जाते हो। बहुत हद तक पुराने समाजों में इस तरह ही नियमन होते रहे हैं। जाड़े की लम्बी रातों में कुमाऊ में आग के पास बैठकर पहेली बूझना कहानियाँ, बातें, यात्रा सस्मरण सुनाने का वृद्धों को बड़ी रुचि होती थी। पहेलियों (ऐणां) का उत्तर जटिल भी होते हैं ये पहेलियाँ पषु, पक्षी, वस्तु, वा आदि कई चीजों के बारे में पूछे जाते है। कुछ कुमाऊँनी में पहेलियाँ निम्नवत हैं।

पहेली (ऐंणां) कुमाऊनी पहेलियाँ ( ऐंणां अहण या आँण )

  1.  नानी वामुनि का ठुला कान, जै भान मरिग्यो बुड़ामान ज्वान। (केला)
  2.  तीन भाईन कि एक्कै पगड़ि। (जांती)
  3.  सफेद गोरु का मुख में हरियो सौलो (मूली)
  4.  बिना आगा पानि का दम दम्या रोट। (शहद)
  5.  बन जान बखत घर मूंख, घर ऊंन बखतं बन मूंखा (कुल्हाड़ी)
  6.  लम्बा बेला का मिठा फला (मछली)
  7.  धार में जोगि झाकरा फिजालि बैठि संछा (बाब्यो, बाविला)
  8.  सिराकोट को राजा नडरकोट में मारी ग्यो। (जुआं)
  9.  नानी वामुनि का हात भरी चूड़ा। (झाडू)
  10.  चार भाईन कि एक्कै पगड़ि। (चारपाई)
  11.  खाना कि खांछ पचन्वे नै, जै कि डाड़ हालि बचन्वे नै। (बन्दूक)
  12.  झलमल्या बल्द जोति नै सकीन, स्यौलि को सियको होड़ि नै सकीन, थालि भरि रुप्या गाणि नै सकीन। (शेर, सांप, तारे)
  13.  च्यां कर क्यां कर मैं बिना क्या कर। (नमक)
  14.  सडयूं-पड्यों घ्वाड़ा में चड्यो। (गोबर की खाद)
  15.  हरै गै हरकत है गै, पाइ गै ख्वारा पड़ि गै। (टोपी)
  16.  धर्ति तलिपनि रकत कि खाल। (हल्दी)
  17.  रातै रातै मतारि चेलि के ढोग दिछि। (गगरी-लोटा)
  18.  पुछड़ पानि में, मुंख में आगो (बत्ती)
  19.  हात्ति का पेट गजमजाट (घर)
  20.  रातकि रतन थलि दिनकि भकौलि। (बिस्तर)
  21.  हरयि चढ़ि दो पुछड़ि। (पूड़ा)
  22.  गोठ गै पाणां गै, भुर्र पठै। (रोटी)
  23.  जामिग्यो क्नी भुतो नै फोड़नो। (दही)
  24.  धुरीनि को मौर्या खोको। (गांण, घेघा)
  25.  ब्यै ग्यो ब्या म्यो कुनीं थोरि काटो के नै हुनो। (रात ब्यान)
  26.  काला गोरु का पेट सफेद बाच्छी। (रीठे की गुठली)
  27.  धर्ति तालि पानि का गड लोड़ा। (आलू)
  28.  घर्ति तालि पनि मुटक्या बौड़ा (चूहा, भुसो)
  29.  चार बाग एके ग्वैर ध्वीरनाना (धन)
  30. , बीस भाईन का पिठि पाथर। (नाखून)
  31.  मेरि इजा ले बाग घेक्यो तेरि इजा कुनधुरी (बिल्ली)
  32.  ननी बामुनि का पेट भरि लोना (मिर्च)
  33.  गाड़ गुड़-गुड़ लेखा ध्वां। (हुक्का चिलम)
  34.  घार में साल्लो दोवें ढल्लो। (तेल पेलने का कोल्हू)
  35.  दर्गिया को घोड़ो दोर्वे मुत्तो। (छत, पाखो)
  36.  परै घांघर जलिजांछ नड़ो नै जलन। (रास्ता)
  37.  गाड़े गाड़ निडाला को बाड़। (हौला, कोहरा)
  38.  हिटने म्याड़ा भुटनै। (बकरी)                                                                                                   (कुमाऊँनी पहेलियाँ) आइए कुमाऊँनी के आण का जवाब दें ।। कुमाऊनी पहेलियां
  39.  हिटनै खोज मेटन्वे। (सुर्र)
  40.  काठकि बिण्डि सुनकि उझिण्डिा (चूख)
  41.  बन जान बखत फुसरो घर ऊंन बखत चिल्लो। (गगरी)
  42.  सेतो गड़ो कालो बी हातले बोयो खायले टिप्यो। (किताब, लिखना, पढ़ना)
  43.  ईजा कून्या एक बाबा कून्या द्वी। (थोल, होंठ)
  44.  आलङ गड़ा दोष, पालङ गड़ा ओस, तेरि ईजा ऊंन तक मैं नहांथिन होस। (घाम, धूप)
  45.  काठ कि कठखुलि चमकनि सुवा, फलों की झक मक बास नै आई। (डोली)
  46.  अन्यारा क्वाड़ा तितरि जुङ मलासि । (बिल्ली)
  47.  सिमली का द्वार, बाबा ज्यू का दौना आया उपाड़ दौज्यू द्वार। (दूध रखने का बक्स)
  48.  सवै कौतिक म्या नकटो घरै रुछ। (चूल्हा)
  49.  सफेद गोरु हरी पूंछ, लाग-लाग भाई उच्चै लुछा (मूली)
  50.  खांछ मुठी को पचन्वे नै, जै कि घात लगूंछ। (कुल्हाड़ी)
  51.  पूर्व कि रानि मुख बटे व्यानी। (केला)
  52.  धार में वे कलुवा-कलुवा के धात लगूंछ। (कुल्हाड़ी)
  53.  खुटा काटि भिङ धरि जांछ, अफ रुख जांछ। (जूता)
  54.  छोट्वे ज्वान वांकि कमान मारी कमान गिरि जी ज्वाना (बिच्छू)
  55.  सूर्ज ले आंखा तान्यो, बानर को खोरो फुट्‌यो। (कपास)
  56.  धार में खिरखा जा फोगी र्याना (चींटी)
  57.  खुडवुड ख्याट्, पुछड़ तेरो न्याट् बोले बांसा कां रैथे चिण्डा खे व्याट्। (ताला)
  58.  खानाकि खानान ब्यू नै धरना। (नमक)
  59.  मेरा बाबा ले रुपै गण्यो, तेरो बाबा को पुछड़ चिमड़ियो। (बटुवा)
  60. काल बल्दै सफेद बल्दै पानि पिन म्या काल बल्द बांई यों सफेद बल्द घर आयो। (मांस, उड़द)
  61.  जागसेरा कि बुड़ी वागसेट पोलि, पोलि-पालि मंख जै वोलिा (बैल की घंटी)
  62.  काठकि कठघोड़ि लुवाकि लगाम बै में बैठ्यो कलुवा पधान। (हुक्का चिलम)
  63.  लाल गोरु पानि पी बेर ऊंन लागिरी, सफेद गोरु पानि पिनहीं लागिरी। (पूरी, लगड़)
  64.  कालो छ किरविरालो छ, सिङ नहा थिन पुछड़ छा (बिल्ली)
  65.  काठा में सुकिली बर्यात ऐरे। (दांत)
  66.  रात्ते तेरि ईजा गुनां को मूख घूंछि। (चूल्हा)
  67.  काटे, मांणे हाथ जन लगाये। (पालक)
  68.  रुखली-रुखलि, रुख झाना कि दुखलि। (सिसणों)
  69.  अफ रुख जांछ अनाड़ा-पितड़ा भिङ खिति जांछा (तरुड़)
  70.  बाबा का नवान कि चेलो पानि छोड़ो। (पिनालू)

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