स्वतंत्रता आन्दोलन में उत्तराखण्ड की भूमिका/Role of Uttarakhand in Freedom Movement
स्वतंत्रता आन्दोलन में उत्तराखण्ड की भूमिक
- उत्तराखण्ड में क्रांति का विद्रोह 1824 ई० में रूड़की के कुंजा तालुका से प्रारम्भ हुआ
- 1857 चम्पावत के कालू सिंह महरा ने कुमाऊँ में अंग्रेजों के विरोध में क्रान्तिवीर नामक गुप्त संगठन चलाया इन्हे, उत्तराखण्ड के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा मिला
- कालू सिह महरा को गुप्त संगठन चलाने के लिए अवध नवाब वाजिद अली शाह ने प्रेरित किया
- कुमाऊँ क्षेत्र के हल्द्वानी में 17 सितम्बर 1857 को राज्य के लगभग 1000 क्रांतिकारियों द्वारा हल्द्वानी पर अधिकार कर लिया गया था
- नाना साहेब या घोडू पंत जोगी के भेष में उत्तरकाशी में रहे थे
- नाना साहब 1857 की क्रांति में कानपुर से विद्रोह का नेतृत्व किया
- 1870 में अल्मोड़ा में डिबेटिंग क्लब की स्थापना की गई 1883 में अल्मोड़ा में बुद्धिबल्लभ पंत की अध्यक्षता में इलबर्ट बिल में के समर्थन में एक सभा हुई
- देहरादून में राजनीतिक चेतना जाग्रत करने का प्रमुख श्रेय आर्य समाज को है
- 1867 में स्वामी दयानन्द ने हरिद्वार में कुम्भ मेले के अवसर में पाखण्ड खन्डनी पताका फहरायी
- गढ़वाल क्षेत्र में प्रथम जाति आधारित संस्था सरोला सभा थी जिसकी स्थापना तारादत गैरोला ने की 1886 कांग्रेस के कलकता अधिवेशन में कुमाऊँ क्षेत्र के प्रतिनिधित्व करने वाले ज्वालादत जोशी सहित दो लोगो ने भाग लिया था
- 1903 में अल्मोड़ा में गोविन्द बल्लभ पंत तथा हरगोविन्द पंत के प्रयत्नों से हैप्पी क्लब की स्थापना हुयी
- गढवाल यूनियन की ओर से सन् 1905 में देहरादून से गढ़वाली नामक पत्र का प्रकाशन हुआ
- 1907 ई० में धनीराम वर्मा ने कोटद्वार में गोरक्षणी सभा की स्थापना की 1907 ई० को मथुरा प्रसाद नैथानी ने गढ़वाल भातृमंडल सभा की स्थापना लखनऊ में की
- गढवाल भातृमंडल की प्रथम बैठक 1908 को कोटद्वार में हुई, जिसकी अध्यक्षता कुलानंद बड़थ्वाल ने की
- 1912 में अल्मोड़ा में कांग्रेस की स्थापना ज्वालादत जोशी, सदानंद सनवाल आदि के योगदान से हुयी थी
- 1913 स्वामी सत्यदेव परिव्राजक अमेरिका भ्रमण के बाद अल्मोड़ा में शुद्ध साहित्य समिति की स्थापना की
- 1914 में मोहन जोशी, चिरंजीलाल, बद्रीदत पांडे आदि नेताओं ने अल्मोड़ा में होमरूल लीग की एक शाखा स्थापित की, लेकिन यह तिथि तर्कसंगत प्रतीत नहीं होती है क्योंकि तिलक ने 1916 में होमरूल लीग की स्थापना की।
- 1915 ई० को दुगड्डा में स्टोवल प्रेस की स्थापना हुयी 1918 में स्वामी विचारानंद ने देहरादून में होमरूल लीग की एक शाखा स्थापित की
उत्तराखण्ड में ब्रिटिश शासन
- 1815 ई0 में उतराखण्ड में ब्रिटिश शासन प्रारम्भ हुआ गढ़वाल दो। भागों में विभक्त हुआ, अलकनन्दा नदी के पूर्व के भूभाग पर अंग्रेजों का अधिकार होने से ब्रिटिश गढ़वाल व अलकनंदा के पश्चिमी भाग को टिहरी गढ़वाल कहा गया
- अग्रेंजों ने सर्वप्रथम काशीपुर में भांग की फैक्ट्री लगायी
- मई 1815 ई0 में एडवर्ड गार्डनर ब्रिटिश कुमाऊँ के प्रथम कमीश्नर नियुक्त हुए
- गार्डनर का कार्यकाल कुल 9 महीने तक रहा, और उसकासहायक ट्रैल था
- टिहरी रियासत में ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कुमाऊँ कमीश्नर को अधिकार दिया गया
- 1825 से 1842 ई0 तक देहरादून का कमीश्नर टिहरी रियासत में ब्रिटिश एजेंट के रूप में कार्य किया
- टिहरी रियासत को 1937 में पंजाब हिल स्टेट एजेंसी के साथ संयुक्त किया गया
- 1864 ई0 में कुमाऊँ कमीश्नर का पद स्वयं में उच्च न्यायालय बन गया था
- 1926 में कुमाऊँ क्षेत्र को इलाहबाद हाईकोर्ट के न्यायाधिकार के अन्तर्गत रखा गया
- 1839 ई0 में गढ़वाल जिले का गठन किया गया तराई जिले का गठन 1842 ई0 में किया गया
- कुमाऊँ में कुल 23 ब्रिटिश कमिश्नर व एक भारतीय कमिश्नर रहा कुमाऊँ में स्वतंत्रता के बाद 1947 से 1948 ई0 तक के एल. मेहता ने कुमाऊँ कमिश्नर का पद संभाला
- ब्रिटिश कुमाऊँ का 23वां कमिश्नर डब्ल्यू फिनले जो 1943 से 1947 तक इस पद पर बना रहा
- भारत स्वतंत्रता के समय कुमाऊँ कमीश्नर डब्ल्यू फिनले था
- ब्रिटिश कुमाऊँ का 22वां कमिश्नर जे सी एक्टन था, जो 1941 से 1943 तक रहा इससे पहले कमिश्नर मि० स्टाईफ थे
- असहयोग आन्दोलन के समय कुमाऊँ कमिश्नर पीं विढम था, जिसका कार्यकाल 1914 से 1921 तक रहा
- स्वदेशी आंदोलन के समय कुमाऊँ कमिश्नर कैम्पवेल था, जिसका कार्यकाल 1906 से 1914 ई0 तक था 1884 को रैम्जे के बाद कुमाऊँ कमीश्नर फिशर था
- 1885 ई0 में कांग्रेस की स्थापना के समय कुमाऊँ कमिश्नर जी० रोस थे
- लुशिगंटन ने 1845 में खैरना-नैनीताल मार्ग पर कार्य आरम्भ किया 1848 में बागेश्वर के गोमती नदी में पुल का निर्माण लुशिगंटन द्वारा किया गया
- 1847 ई0 में नैनीताल में एक सर्जन नियुक्त किया गया
- 1848 में अल्मोड़ा में डिसपेंसरी कमेटी गठित की गयी और अल्मोंडा में एक औषधालय की स्थापना की गयी
लुशिगंटन के सम्बन्ध में कवि गुमानी पंत ने कुछ छंद लिखे है
- लुशिंगटन के बाद बैटन 1848 से 1856 तक कुमाऊँ कमिश्नर रहा • बेटन ने बीस साला बन्दोबस्त किया इसकी विशेषता खसरा सर्वेक्षण था
- कमिश्नर स्ट्रैची द्वारा गढ़वाल में लोहे का प्रथम संस्पेशन पुल का निर्माण श्रीनगर में कराया, इसकी लागत 17078-1853 में पूर्ण हुआ
सर हेनरी रैम्जे
- रैम्जे कुमाऊँ में 44 वर्षो तक विभिन्न पदो पर कार्यरत थे, कमिश्नर के रूप में 28 वर्षों तक कार्य किया
- हेनरी रैम्जे 1856 से 1884 तक कमिश्नर के पद पर रहे, जो कुमाऊँ के 6वें कमिश्नर थे
- कुमाऊँ में उन्हे रामजी साहब कहा जाता था
- रैम्जे मूल रूप से स्कॉटलैंड के निवासी थे और गवर्नर जनरल डलहौजी के चचेरे भाई थे
- रैम्जे का विवाह पूर्व कमिश्नर लुशिगंटन की बेटी से हुआ था
- रैम्जे को कुमाऊँ का बेताज बादशाह भी कहा जाता है
- रैम्जे पहाड़ी बोली बोलने में सक्षम थे, और किसानों व मजदूरों घर मंडुवे की रोटी खा लेते थे
- रैम्जे ने कुमाऊँ में अंग्रेजों को बसाने का विरोध किया था
- उत्तराखण्ड में आपदा प्रबन्धन का प्रथम प्रयास रैम्जे ने किया था
- हेनरी रैम्जे ने नैनीताल शहर को स्कूली शिक्षा के केन्द्र के रूप मे विकसित किया
- हेनरी रैम्जे चार-चार महीने के अंतराल में बिनसर, अल्मोंडा व भाबर में निवास करते थे
- पादरी विलियम बटलर ने नैनीताल में 1858 में भारत के प्रथम मैथोडिस्ट चर्च की स्थापना की रैम्जे ने तराई भाबर के विकास हेतु तराई इम्प्रूवमेन्ट फण्ड 1883 में स्थापित की
- 1867 में नैनीताल में प्रथम बार भूस्खलन हुआ, इसके कारणों का पता लगाने के लिए हिलसाइट सेफ्टी कमेटी गठित की गयी।
- नैनीताल में 1880 मे संकटपूर्ण भूस्खलन हुआ, जिसमे 151 लोग मारे गए
- विकेट बन्दोबस्त 1863-73 ई0 पहली बार वैज्ञानिक तरीके से भूमि बंदोबस्त किया और यह अंग्रेजों द्वारा 9 वां भूमि बन्दोबस्त था
- रैम्जे ने उत्तराखण्ड में कन्जरवेटर के पद पर कार्य करते हुये
ठेकेदारी प्रथा को समाप्त किया
- अधिसूचित जिला अधिनियम 1874 को पारित किया गया, 1931 में कुमाऊँ में वन पंचायतों के लिए बनाए गए नियम इस अधिनियम के तहत थे
- 1884 में सेवानिवृत होने के बाद भी रैम्जे 1892 तक अल्मोड़ा में रहते थे
ब्रिटिश प्रशासन के नियम
- कुमाऊँ जल नियम 1917- जल संसाधनों के नियमतीकरण हेतु
- अनुसूचित जिला अधिनियम 1874 के अधीन नियम बनाया गया
- कुमाऊँ जल नियम 1930 - नियम 1917 में सुधार किया गया, इनमें घराटों के लिए विस्तृत प्रावधान किया गया
- कुमाऊँ ग्रीवेन्स कमेटी -1921 में कमेटी स्थापित की, इसका कार्य वन हानि से सम्बन्धित मामले में अपनी रिपोर्ट देना, इस कमेटी ने 1926 में अपनी रिपोर्ट दी
- कुमाऊँ ग्रीवेन्स कमेटी 1921 को तीन जिला कमेटी में विभाजित किया गया था- अल्मोड़ा, नैनीताल, गढवाल द कुमाऊँ रेवेन्यू पुलिस बिल 1932 को पारित हुआ
- कुमाऊँ टेनेन्सी (जूरिडिक्सन एंड प्रोसिजर) बिल 1931 ई0 को पारित हुआ
- कोर्ट आफ क्रिमिनल प्रोसीजर 1898 के अनुसार कानूनगो को पुलिस इंसपैक्टर तथा पटवारी को सब-इंसपैक्टर का अधिकार दिया गया था
- थोकदार व पधान को पुलिस पावर दी गई थी जो अपराध की जानकारी पटवारी को देते थे
- मेमोरी ऑफ राज कुमाऊँ के लेखक जी. आर. काला
ब्रिटिश उत्तराखण्ड में शिक्षा व्यवस्था
- सर्वप्रथम अंग्रेजो ने 1840 में श्रीनगर में एलिमेंटरी वर्नाक्यूलर स्कूल की स्थापना की
- ब्रिटिश शासन में 1854 ई0 में शिक्षा के लिए पृथक विभाग की स्थापना की गई।
- 1870-71 ई0 में रामजे कॉलेज की स्थापना हुयी
- 1869 ई0 में शेरवुड कालेज 1884 ई0 में वैलेजली हाईस्कूल 1888 ई० में सेन्ट जोजफ कॉलेज स्थापित हुये
- कुमाऊँ में सर्वप्रथम 1871 ई0 को बुद्धिबल्लभ पंत शिक्षा इंस्पेक्टर नियुक्त हुए
- कुमाऊँ में आधुनिक शिक्षा की नींव बुद्धिबल्लभ पंत ने रखी
- ईसाई धर्म की शिक्षा लेने वाला प्रथम गढ़वाली ख्याली रमोडा था जिसे गढ़वाल का पीटर कहा जाता है।
उत्तराखंड में ब्रिटिश वन प्रबंधन/British Forest Management
- 1826 में ट्रैल ने सरकारी वनों की नींव रखी, और सरकारी भूमि पर साल काटने पर प्रतिबंध लगाया
- सर्वप्रथम वन प्रबंधन का कार्य कमिश्नर ट्रैल ने किया
- 1858 में रैम्जे ने ठेकेदारी प्रथा समाप्त करके वन प्रबंधन का कार्य शुरू किया
- ब्रिटिश सरकार ने 1864 ई0 में जर्मन विशेषज्ञों की मदद से वन विभाग की स्थापना की गयी और इसके प्रथम महानिरीक्षक डिट्रिच ब्रैंडिस बनाए गये
- बैंडिस की सलाह पर वन अधिनियम 1865 पारित हुआ 1858 ई0 से 1868 ई0 तक रैम्जे ने जंगलात अफसर पद पर कार्य किया
- 1868 में कुमाऊँ में अलग वन विभाग की स्थापना हुयी वन विभाग के संरक्षक पियर्सन थे
- 1869 ई0 में कुमाऊँ वन प्रबंधन का कार्यभार मेजर पियरसन द्वारा संभाला गया था
Frequently Asked Questions (FAQs) दिए गए हैं:
1. उत्तराखंड में स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत कब हुई थी?
उत्तराखंड में स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत 1824 ईस्वी में रूड़की के कुंजा तालुका से हुई थी।
2. उत्तराखंड के पहले स्वतंत्रता सेनानी कौन थे?
उत्तराखंड के पहले स्वतंत्रता सेनानी कालू सिंह महरा थे, जिन्होंने 1857 में कुमाऊं में अंग्रेजों के खिलाफ क्रांतिकारी आंदोलन चलाया।
3. कालू सिंह महरा को किसने प्रेरित किया था?
कालू सिंह महरा को अवध नवाब वाजिद अली शाह ने गुप्त संगठन चलाने के लिए प्रेरित किया था।
4. 1857 की क्रांति में उत्तराखंड का क्या योगदान था?
1857 की क्रांति में उत्तराखंड के हल्द्वानी में 17 सितंबर 1857 को लगभग 1000 क्रांतिकारियों ने हल्द्वानी पर अधिकार कर लिया था।
5. नाना साहब और घोडू पंत किस क्षेत्र में सक्रिय थे?
नाना साहब और घोडू पंत जोगी के भेष में उत्तरकाशी में रहे थे और उन्होंने 1857 की क्रांति में सक्रिय भाग लिया था।
6. अल्मोड़ा में डिबेटिंग क्लब की स्थापना कब हुई थी?
अल्मोड़ा में डिबेटिंग क्लब की स्थापना 1870 में हुई थी।
7. स्वामी दयानंद ने किस स्थान पर पाखंड खंडनी पताका फहराई थी?
स्वामी दयानंद ने 1867 में हरिद्वार में कुम्भ मेले के अवसर पर पाखंड खंडनी पताका फहराई थी।
8. अल्मोड़ा में किसने 'हैप्पी क्लब' की स्थापना की?
अल्मोड़ा में 'हैप्पी क्लब' की स्थापना 1903 में गोविन्द बल्लभ पंत और हरगोविन्द पंत के प्रयासों से हुई थी।
9. कुमाऊं क्षेत्र में गढ़वाली पत्रिका का प्रकाशन कब हुआ था?
1905 में गढ़वाल यूनियन की ओर से देहरादून से 'गढ़वाली' पत्रिका का प्रकाशन हुआ था।
10. स्वदेशी आंदोलन के समय कुमाऊं के कमिश्नर कौन थे?
स्वदेशी आंदोलन के समय कुमाऊं के कमिश्नर कैम्पवेल थे, जिनका कार्यकाल 1906 से 1914 तक था।
11. कुमाऊं में 1907 में कौन सी सभा की स्थापना हुई थी?
1907 में कुमाऊं में गोरक्षणी सभा की स्थापना धनीराम वर्मा ने की थी।
12. कुमाऊं में 'गढ़वाल भातृमंडल' की स्थापना कब हुई थी?
'गढ़वाल भातृमंडल' की स्थापना 1907 में मथुरा प्रसाद नैथानी ने की थी।
13. कुमाऊं में होमरूल लीग की शाखा कब स्थापित की गई थी?
1914 में मोहन जोशी, चिरंजीलाल, और बद्रीदत पांडे ने अल्मोड़ा में होमरूल लीग की शाखा स्थापित की थी।
14. ब्रिटिश कुमाऊं के पहले कमिश्नर कौन थे?
ब्रिटिश कुमाऊं के पहले कमिश्नर एडवर्ड गार्डनर थे, जो 1815 में नियुक्त हुए थे।
15. उत्तराखंड में ब्रिटिश शासन कब प्रारंभ हुआ था?
उत्तराखंड में ब्रिटिश शासन 1815 ई. में प्रारंभ हुआ था।
16. कुमाऊं में ब्रिटिश शासन के दौरान कितने कमिश्नर हुए थे?
कुमाऊं में कुल 23 ब्रिटिश कमिश्नर और 1 भारतीय कमिश्नर रहे थे।
17. स्वामी सत्यदेव परिव्राजक ने किस संस्था की स्थापना की थी?
स्वामी सत्यदेव परिव्राजक ने 1913 में अल्मोड़ा में शुद्ध साहित्य समिति की स्थापना की थी।
18. कुमाऊं में शिक्षा व्यवस्था का प्रारंभ कब हुआ था?
कुमाऊं में शिक्षा व्यवस्था का प्रारंभ 1840 में श्रीनगर में एलिमेंटरी वर्नाक्यूलर स्कूल की स्थापना से हुआ था।
19. कुमाऊं के किस कमिश्नर ने उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन का पहला प्रयास किया था?
उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन का पहला प्रयास हेनरी रैम्जे ने किया था।
20. कुमाऊं में जल नियमों का कब और कौन सा महत्वपूर्ण सुधार हुआ था?
कुमाऊं में जल नियम 1917 में लागू किए गए थे, जो जल संसाधनों के नियमन के लिए थे।
21. कुमाऊं में 'कोटद्वार' का ऐतिहासिक महत्व क्या था?
1907 में कोटद्वार में गढ़वाल भातृमंडल की पहली बैठक हुई थी, जिसकी अध्यक्षता कुलानंद बड़थ्वाल ने की थी।
22. उत्तराखंड में असहयोग आंदोलन के दौरान कौन कुमाऊं के कमिश्नर थे?
असहयोग आंदोलन के दौरान कुमाऊं के कमिश्नर पीं विढम थे, जिनका कार्यकाल 1914 से 1921 तक था।
23. कुमाऊं में कितनी बार भूस्खलन की घटनाएं हुई थीं?
1867 और 1880 में नैनीताल में दो बड़े भूस्खलन हुए थे, जिनमें कई लोग मारे गए थे।
24. कुमाऊं में किसने 'तराई इम्प्रूवमेंट फंड' की स्थापना की थी?
हेनरी रैम्जे ने 1883 में 'तराई इम्प्रूवमेंट फंड' की स्थापना की थी।
25. कुमाऊं में 'विकेट बन्दोबस्त' किस वर्ष किया गया था?
कुमाऊं में 'विकेट बन्दोबस्त' 1863-73 ई. के दौरान किया गया था, जो अंग्रेजों द्वारा किया गया नौवां भूमि बंदोबस्त था।
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