श्री स्कन्दमाता महामंत्र जप विधि - Shri Skandamata Mahamantra Chanting Vidhi

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श्री स्कन्दमाता महामंत्र जप विधि

स्कन्दमाता देवी की पूजा नवरात्रि के पांचवे दिन की जाती है। यह माता दुर्गा के पांचवे स्वरूप की आराधना का दिन होता है। स्कन्दमाता की पूजा से श्रद्धालुओं को सुख, समृद्धि, शांति, और ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह विशेष महामंत्र और जप विधि आपको स्कन्दमाता की कृपा प्राप्त करने में मदद करेगी।

श्री स्कन्दमाता महामंत्र जप विधि

1. महामंत्र की संरचना

  • ऋषिः: भैरव ऋषि
  • छन्दः: त्रिष्टुप छन्द
  • देवता: श्री स्कन्दमाता
  • बीजम: ह्रीं
  • शक्तिः: हौं
  • कीलकम्: हः
  • नमः: दिग्बन्धन

2. महामंत्र विनियोग:

श्री स्कन्दमाता की प्रसन्नता और सिद्धि प्राप्ति के लिए इस महामंत्र का जाप किया जाता है।

3. कर न्यास (हाथों पर देवताओं की स्थापना)

  • ह्रां - अंगूठे से नमः
  • ह्रीं - तर्जनी से नमः
  • हूं - मध्यम अंगुली से नमः
  • हैं - अनामिका से नमः
  • ह्रौं - कनिष्ठा से नमः
  • ह्रः - दोनों हथेलियों और हाथ के पिछले भाग से नमः

4. अंग न्यास (शरीर के विभिन्न अंगों पर मंत्रों की स्थापना)

  • ह्रां - हृदय को नमः
  • ह्रीं - शिर को स्वाहा
  • हूं - शिखा (सिर के ऊपर) को वषट्
  • हैं - कवच (रक्षा कवच) को हूं
  • ह्रौं - नेत्रत्रय (तीन आंखों) को वौषट्
  • ह्रः - अस्त्र को फट्

5. ध्यानम् (स्कन्दमाता का ध्यान)

"सितांशुकोटि स्फुरदास्यशोभां त्रिलोचनां कुङ्कमपीतवस्त्रां।
सिंहासनां नागमुखादियुक्तां भजेहदिस्कन्दयुतां भवानीम्॥"

अर्थ: सफेद कपड़ों से सजी हुई, तीन नेत्रों वाली, और अत्यंत तेजस्वी माता स्कन्दमाता सिंह पर विराजमान हैं। उनके आसपास नागमुख से युक्त शक्तियां हैं। हम उन भवानी की आराधना करते हैं जो स्कन्द कुमार (कार्तिकेय) की माता हैं।

6. पञ्चपूजा (पांच तत्वों की पूजा)

  1. लं - पृथ्वी तत्व के लिए गंध (सुगंधित पदार्थ) समर्पित करते हैं।
  2. हं - आकाश तत्व के लिए पुष्प अर्पित करते हैं।
  3. यं - वायु तत्व के लिए धूप समर्पित करते हैं।
  4. रं - अग्नि तत्व के लिए दीप अर्पित करते हैं।
  5. वं - अमृत तत्व के लिए नैवेद्य (भोग) अर्पित करते हैं।

7. श्री स्कन्दमाता महामंत्र

"ॐ ह्रीं श्रीं हौं स्कन्दमात्रै हः स्वाहा।"

8. अंग न्यास पुनरावृत्ति (शरीर पर मंत्रों का दोहराव)

  • ह्रां - हृदय को नमः
  • ह्रीं - शिर को स्वाहा
  • हूं - शिखा को वषट्
  • हैं - कवच को हूं
  • ह्रौं - नेत्रत्रय को वौषट्
  • ह्रः - अस्त्र को फट्

9. ध्यानम् (स्कन्दमाता का पुनः ध्यान)

"सितांशुकोटि स्फुरदास्यशोभां त्रिलोचनां कुङ्कमपीतवस्त्रां।
सिंहासनां नागमुखादियुक्तां भजेहदिस्कन्दयुतां भवानीम्॥"

10. पञ्चपूजा की पुनरावृत्ति

  • पृथ्वी तत्व के लिए गंध अर्पित करें।
  • आकाश तत्व के लिए पुष्प अर्पित करें।
  • वायु तत्व के लिए धूप अर्पित करें।
  • अग्नि तत्व के लिए दीप अर्पित करें।
  • अमृत तत्व के लिए नैवेद्य अर्पित करें।

स्कन्दमाता का महत्व और कृपा

स्कन्दमाता की पूजा विशेष रूप से उन भक्तों के लिए लाभकारी मानी जाती है जो ज्ञान, विवेक और विद्या की प्राप्ति चाहते हैं। उनकी कृपा से महामूढ़ कालिदास जैसे विद्वान बने और महान काव्यों की रचना की। जो भी भक्त सच्चे मन से मां के चरणों में समर्पण करता है, उसे दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है। स्कन्दमाता सदैव अपने चरणों में उन लोगों को आश्रय देती हैं जो समाज से तिरस्कृत होते हैं और उन्हें आत्मज्ञान की दिशा में मार्गदर्शन करती हैं।

महत्वपूर्ण: नवरात्रि के पांचवे दिन स्कन्दमाता की विशेष पूजा-अर्चना करने से बुद्धि का विकास होता है और परिवार में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

उपसंहार

स्कन्दमाता का जाप और पूजन विधि ज्ञान के साथ-साथ मानसिक और आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है। यह पूजा विधि नियमित रूप से करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में शुभता, समृद्धि, और शांति बनी रहती है।

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