स्मृतियों में विचरण - पहाड़ी कविता यादों में बदलाव - Variance in Memories - Pahari Poetry Changes in Memories

स्मृतियों में विचरण - पहाड़ी कविता यादों में बदलाव

(कविता)

ये मौसम, मेरे बचपन का, प्रिय मौसम,
प्रथम बुराँश खिले, कानन को नव किसलय मिले।
नव कुसुम के संग, नव वधू सा सजा,
वन प्रदेश में सृष्टि का नवल रूप रचा।

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बदल-बदल कर, सजीले वेश,
हर दृश्य में छिपा कोई नया संदेश।
अब काफल के मीठे फल भी पक आये,
मन के गगन में खुशियों के बादल छाये।


भूल वर्तमान को, खो गए कहीं,
स्मृतियों में फिर से विचरण करने के दिन आए।
वो बचपन की मिठास, वो मासूम खेल,
हर याद में बसा है, सुखद वो झमाझम मेल।

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अब न वो समय, न वो दिन दोबारा लौटें,
पर स्मृतियों में तो हम अनगिनत बार होते।
प्रकृति की गोद में, वही बचपन के पल,
मन में जाग उठे फिर से वो सुनहरे कल।

स्मृतियों में विचरण, आज भी अनमोल है,
वो बीता हुआ कल, आज भी मेरे संग बोल है।



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