3 अक्टूबर, 1994 देहरादून गोलीकाण्ड में मारे गए शहीद (Martyrs killed in Dehradun shooting on October 3, 1994)

3 अक्टूबर, 1994: उत्तराखंड आंदोलन के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि

3 अक्टूबर, 1994 को उत्तराखंड के अलग राज्य की मांग के आंदोलन में देहरादून, कोटद्वार और नैनीताल में घटित गोलीकांडों ने कई निर्दोष लोगों की जान ली। ये घटनाएं उस समय की हैं जब उत्तराखंड के लोग अपने अधिकारों और पृथक राज्य के लिए संघर्ष कर रहे थे। इस दौरान पुलिस की गोलीबारी में कई युवा शहीद हो गए। उनके बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा। आइए, इन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके बलिदान को याद करते हैं।

3 अक्टूबर, 1994 देहरादून गोलीकाण्ड में मारे गए शहीद (Martyrs killed in Dehradun shooting on October 3, 1994) 

3 अक्टूबर, 1994 देहरादून गोलीकाण्ड में शहीद हुए वीर सपूत

  1. अमर शहीद बलवन्त सिंह सजवाण

    • पिता: श्री भगवान सिंह सजवाण
    • ग्राम: मल्हाण, नयागाँव, देहरादून
    • बलवन्त सिंह सजवाण ने अपने जीवन का बलिदान उत्तराखंड की पृथक राज्य की मांग को समर्थन देते हुए दिया। उनका नाम इस आंदोलन के इतिहास में अमर हो गया है।
  2. अमर शहीद दीपक वालिया

    • पिता: श्री ओम प्रकाश वालिया
    • ग्राम: बद्रीपुर, देहरादून
    • दीपक वालिया एक युवा थे जिन्होंने अपने क्षेत्र के लिए समर्पण दिखाते हुए अपने जीवन की आहुति दी। उनका साहस और संघर्ष हमें प्रेरणा देता है।
  3. अमर शहीद राजेश रावत

    • माता: श्रीमती आनन्दी देवी
    • पता: 27-चंद्र रोड, नई बस्ती, देहरादून
    • राजेश रावत ने उत्तराखंड आंदोलन के दौरान अपने प्राणों की आहुति दी। उनका संघर्ष हमेशा याद रखा जाएगा।

3 अक्टूबर, 1994 कोटद्वार काण्ड में शहीद हुए वीर सपूत

  1. अमर शहीद राकेश देवरानी

    • राकेश देवरानी ने कोटद्वार काण्ड में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। उनके बलिदान ने आंदोलन को और भी मजबूती प्रदान की।
  2. अमर शहीद पृथ्वी सिंह बिष्ट

    • ग्राम: मानपुर ख़ुर्द, कोटद्वार
    • पृथ्वी सिंह बिष्ट ने भी कोटद्वार काण्ड में अपने प्राणों की आहुति दी। उनका नाम इतिहास में वीरता और समर्पण का प्रतीक है।

नैनीताल गोलीकाण्ड में शहीद हुए वीर सपूत

  1. अमर शहीद प्रताप सिंह
    • प्रताप सिंह ने नैनीताल में आंदोलन के दौरान अपने जीवन का बलिदान दिया। उनका योगदान आंदोलन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण रहा।

शहीदों के बलिदान को नमन

इन सभी अमर शहीदों ने उत्तराखंड राज्य की मांग के आंदोलन के दौरान अपने प्राणों की आहुति देकर पूरे क्षेत्र को एकजुट करने का कार्य किया। उनका बलिदान हमें यह सिखाता है कि सच्चे संघर्ष और बलिदान से ही कोई बड़ा परिवर्तन संभव होता है। उत्तराखंड की धरती इन वीर सपूतों की कृतज्ञ रहेगी और आने वाली पीढ़ियाँ उनके योगदान को कभी नहीं भूलेंगी।

जय उत्तराखंड, जय शहीदों की अमर गाथा।

टिप्पणियाँ