कृष्ण श्लोक संस्कृत
1. वसुदेव सुतं देवं
श्लोक:
"वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम्।
देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥1॥"
अर्थ: मैं वसुदेव के पुत्र, देवकी के परमानंद, कंस और चाणूर का मर्दन करने वाले, समस्त विश्व के गुरु भगवान कृष्ण की वंदना करता हूँ।
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2. ईश्वरः परमः कृष्णः
श्लोक:
"ईश्वरः परमः कृष्णः सच्चिदानन्दविग्रहः।
अनादिरादिर्गोविन्दः सर्वेकारणकारणम्॥2॥"
अर्थ: भगवान श्री कृष्ण हैं, जो सच्चिदानंद स्वरूप हैं। उनका कोई आदि नहीं है, क्योंकि वे प्रत्येक वस्तु के आदि हैं, भगवान गोविंद समस्त कारणों के कारण हैं।
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3. कलि काले नाम रूपे
श्लोक:
"कलि काले नाम रूपे कृष्ण अवतार।
नाम हइते सर्व जगत निस्तार।।3॥"
अर्थ: श्री कृष्ण तथा कृष्ण नाम अभिन्न हैं। कलियुग में श्री कृष्ण स्वयं हरिनाम के रूप में अवतार लेते हैं। केवल हरिनाम से ही सम्पूर्ण संसार का उद्धार संभव है।
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4. ॐ कृष्णाय वासुदेवाय
श्लोक:
"ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:॥4॥"
अर्थ: हे वासुदेव नंदन परमात्मा स्वरूप श्री कृष्ण आपको प्रणाम है। उन गोविन्द को पुनः प्रणाम, वह हमारे कष्टों का हरण करने वाले हैं।
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5. ॐ कृष्णाय नमः
श्लोक:
"ॐ कृष्णाय नमः॥5॥"
अर्थ: हे श्री कृष्ण, मेरा नमन स्वीकार करो।
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6. ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः
श्लोक:
"ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः॥6॥"
अर्थ: हे श्री कृष्ण! मैं विनती करता हूं कि आप मुझे अपने संरक्षण में ले लें।
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7. मन्दं हसन्तं प्रभया लसन्तं
श्लोक:
"मन्दं हसन्तं प्रभया लसन्तं जनस्य चित्तं सततं हरन्तम्।
वेणुं नितान्तं मधु वादयन्तं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥7॥"
अर्थ: मृदुल हंसने वाले, तेज से चमकने वाले, सदैव लोगों का चित्त आकर्षित करने वाले, अत्यंत मधुर बांसुरी बजाने वाले बालकृष्ण का मैं मन से स्मरण करता हूं।
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8. जिह्वे सदैवम् भज सुंदरानी
श्लोक:
"जिह्वे सदैवम् भज सुंदरानी,
नामानि कृष्णस्य मनोहरानी।
समस्त भक्तार्ति विनाशनानि,
गोविन्द दामोदर माधवेति॥8॥"
अर्थ: हे जिह्वा! तू सदैव श्री कृष्ण के इन मनोहर नामों- गोविन्द, दामोदर, माधव का जाप कर, जो अपने भक्तों की समस्त बाधाओं का विनाश करने वाले हैं।
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9. वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो
श्लोक:
"वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वरः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥9॥"
अर्थ: श्री राधा रानी वृन्दावन की स्वामिनी हैं और श्री कृष्ण वृन्दावन के स्वामी, हे प्रभु! मेरे जीवन का हर एक क्षण श्री राधा कृष्ण के आश्रय में बीते।
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10. यत्र योगेश्वरः कृष्णो
श्लोक:
"यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
तत्र श्रीविजयो भूतिर्धुवा नीतिर्मतिर्मम।।10।।"
अर्थ: जहां योगेश्वर श्री कृष्ण हैं और जहां धनुर्धारी अर्जुन हैं, वहीं पर लक्ष्मी, विजय, विभूति और नीति है – ऐसा मेरा मानना है।
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11. अधरं मधुरं वदनं मधुरं
श्लोक:
"अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥11॥"
अर्थ: हे श्री कृष्ण! आपके होंठ मधुर हैं, आपका मुख मधुर है, आपकी आँखे मधुर हैं, आपकी मुस्कान मधुर है, आपका हृदय मधुर है, आपकी चाल मधुर है। हे मधुरता के ईश्वर श्री कृष्ण आप सभी प्रकार से मधुर हैं।
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12. वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः
श्लोक:
"वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥12॥"
अर्थ: हे श्री कृष्ण! आपकी बांसुरी मधुर है, आपके हाथ मधुर हैं, आपके चरण मधुर हैं, आपका नृत्य मधुर है, आपकी मित्रता मधुर है। हे मधुरता के ईश्वर श्री कृष्ण आप सभी प्रकार से मधुर हैं।
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13. देवकीसुतं गोविन्दम्
श्लोक:
"देवकीसुतं गोविन्दम् वासुदेव जगत्पते।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।13।।"
अर्थ: मां देवकी और वासुदेव के पुत्र, अखंड जगत के स्वामी श्री कृष्ण मुझे एक पुत्र प्रदान करें; मैं आपकी शरण में आया हूं।
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14. ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे
श्लोक:
"ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात्॥14॥"
अर्थ: देवकी और वसुदेव के पुत्र श्री कृष्ण ध्यानस्थ अपने उपासकों के विचारों को नियंत्रित करते हैं, उनकी शक्तियां असीमित हैं। ना तो देवता और ना ही शैतान उनकी शक्ति की व्याख्या कर सकते हैं, ऐसे परम देवता को मैं नमन करता हूं, हे प्रभु! मेरा नमन स्वीकार करें।
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15. अच्युतं केशवं रामनारायणं
श्लोक:
"अच्युतं केशवं रामनारायणं
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरीम।
श्रीधरम माधवम गोपिकावल्लभम
जानकीनायकम रामचन्द्रम भजे॥15॥"
अर्थ: हे अच्युत! हे केशव! जो नारायण के रूप हैं, मैं आपको भजता हूं। हे कृष्ण! हे दामोदर! हे वासुदेव! मैं आपको भजता हूं। हे हरि! हे श्रीधर! हे माधव! जो गोपियों के प्रिय थे, मैं आपकी पूजा करता हूं। देवी जानकी के स्वामी प्रभु श्री रामचन्द्र को मैं भजता हूं।
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16. हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
श्लोक:
"हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।॥16॥"
अर्थ: 16 अक्षरों का यह मंत्र श्री कृष्ण के सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली मंत्रों में से एक है। विश्व भर में श्री कृष्ण के करोड़ों भक्त इस महामंत्र का जप कर श्री कृष्ण की भक्ति मार्ग पर चल रहे हैं।
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17. श्रीकृष्णनामामृतमात्मह्लादं
श्लोक:
"श्रीकृष्णनामामृतमात्मह्लादं प्रेम्णा समास्वादनमङ्गिपूर्वम्।
यत् सेव्यते जिह्विकयाविरामं तस्यातुलं जल्पतु को महत्त्वम्॥17॥"
अर्थ: हृदय को अत्यन्त प्रिय लगने वाले श्री कृष्ण नाम के अमृत का रसास्वादन प्रेम से इच्छा के साथ जिस जिह्वा द्वारा अविराम सेवन किया जाता है, उसकी विशाल महत्ता का वर्णन कौन कर सकता है।
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18. हरे राम हरे कृष्ण
श्लोक:
"हरे राम हरे कृष्ण कृष्ण कृष्णेति मंगलम्।
एवं वदन्ति ये नित्यं न हि तान् बाधते कलिः॥18॥"
अर्थ: जो सदा हरे राम! हरे कृष्ण! कृष्ण! कृष्ण! जाप करते हैं, उस भक्त को कलियुग में कोई भी हानि नहीं दे सकता है।
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