श्री कृष्ण श्लोक - Shri Krishna Shloka

श्री कृष्ण श्लोक | Top 18

श्री कृष्ण की भक्ति और स्तुति में संस्कृत श्लोकों का महत्वपूर्ण स्थान है। ये श्लोक श्री कृष्ण की दिव्यता, उनके अद्वितीय गुणों और भक्तों के प्रति उनकी असीम कृपा को प्रकट करते हैं। नीचे श्री कृष्ण के प्रमुख 18 श्लोक दिए गए हैं, जो उनकी स्तुति और उनके भक्ति की भावना को व्यक्त करते हैं।


1. वसुदेव सुतं देवं

"वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम्।
देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥1॥"

भावार्थ:
मैं वसुदेव के पुत्र, देवकी के परम आनंद, कंस और चाणूर का मर्दन करने वाले, समस्त विश्व के गुरु भगवान कृष्ण की वंदना करता हूँ।


2. ईश्वरः परमः कृष्णः

"ईश्वरः परमः कृष्णः सच्चिदानन्दविग्रहः।
अनादिरादिर्गोविन्दः सर्वेकारणकारणम्॥2॥"

भावार्थ:
भगवान श्री कृष्ण हैं, जो सच्चिदानंद स्वरूप हैं। उनका कोई आदि नहीं है, क्योंकि वे प्रत्येक वस्तु के आदि हैं, और भगवान गोविंद समस्त कारणों के कारण हैं।


3. कलि काले नाम रूपे

"कलि काले नाम रूपे कृष्ण अवतार।
नाम हइते सर्व जगत निस्तार।।3॥"

भावार्थ:
श्री कृष्ण और उनके नाम अभिन्न हैं। कलियुग में श्री कृष्ण स्वयं हरिनाम के रूप में अवतार लेते हैं। केवल हरिनाम से ही सम्पूर्ण संसार का उद्धार संभव है।


4. ॐ कृष्णाय वासुदेवाय

"ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:॥4॥"

भावार्थ:
हे वासुदेव नंदन परमात्मा स्वरूप श्री कृष्ण, आपको प्रणाम। उन गोविन्द को पुनः प्रणाम, जो हमारे कष्टों को समाप्त करते हैं।


5. ॐ कृष्णाय नमः

"ॐ कृष्णाय नमः॥5॥"

भावार्थ:
हे श्री कृष्ण, मेरा नमन स्वीकार करें।


6. ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः

"ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः॥6॥"

भावार्थ:
हे श्री कृष्ण! मैं विनती करता हूँ कि आप मुझे अपने संरक्षण में ले लें।


7. मन्दं हसन्तं प्रभया लसन्तं

"मन्दं हसन्तं प्रभया लसन्तं जनस्य चित्तं सततं हरन्तम्।
वेणुं नितान्तं मधु वादयन्तं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥7॥"

भावार्थ:
मृदुल हंसने वाले, तेज से चमकने वाले, सदैव लोगों का चित्त आकर्षित करने वाले, अत्यंत मधुर बांसुरी बजाने वाले बालकृष्ण का मैं मन से स्मरण करता हूँ।


8. जिह्वे सदैवम् भज सुंदरानी

"जिह्वे सदैवम् भज सुंदरानी,
नामानि कृष्णस्य मनोहरानी।
समस्त भक्तार्ति विनाशनानि,
गोविन्द दामोदर माधवेति॥8॥"

भावार्थ:
हे जिह्वा! तू सदैव श्री कृष्ण के इन मनोहर नामों- गोविन्द, दामोदर, माधव का जाप कर, जो अपने भक्तों की समस्त बाधाओं का विनाश करने वाले हैं।


9. वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो

"वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वरः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥9॥"

भावार्थ:
श्री राधा रानी वृन्दावन की स्वामिनी हैं और श्री कृष्ण वृन्दावन के स्वामी हैं। हे प्रभु! मेरे जीवन का हर एक क्षण श्री राधा कृष्ण के आश्रय में बीते।


10. यत्र योगेश्वरः कृष्णो

"यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
तत्र श्रीविजयो भूतिर्धुवा नीतिर्मतिर्मम।।10॥"

भावार्थ:
जहाँ योगेश्वर श्री कृष्ण हैं और जहाँ धनुर्धरी अर्जुन हैं, वहीं पर लक्ष्मी, विजय, विभूति और नीति है – ऐसा मेरा मानना है।


11. अधरं मधुरं वदनं

"अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥11॥"

भावार्थ:
हे श्री कृष्ण! आपके होंठ मधुर हैं, आपका मुख मधुर है, आपकी आँखें मधुर हैं, आपकी मुस्कान मधुर है, आपका हृदय मधुर है, आपकी चाल मधुर है। हे मधुरता के ईश्वर श्री कृष्ण, आप सभी प्रकार से मधुर हैं।


12. वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः

"वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥12॥"

भावार्थ:
हे श्री कृष्ण! आपकी वेणु मधुर है, बांसुरी मधुर है, आपकी चरण रज पर चढ़ाये पुष्प मधुर है, आपके हाथ मधुर हैं, आपके चरण मधुर हैं, आपका नृत्य मधुर है, आपकी मित्रता मधुर है। हे मधुरता के ईश्वर श्री कृष्ण, आप सभी प्रकार से मधुर हैं।


13. देवकीसुतं गोविन्दम्

"देवकीसुतं गोविन्दम् वासुदेव जगत्पते।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।13॥"

भावार्थ:
माँ देवकी और वासुदेव के पुत्र, अखंड जगत के स्वामी श्री कृष्ण, मुझे एक पुत्र प्रदान करें; मैं आपकी शरण में आया हूँ।


14. ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे

"ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात्॥14॥"

भावार्थ:
देवकी और वसुदेव के पुत्र श्री कृष्ण ध्यानस्थ अपने उपासकों के विचारों को नियंत्रित करते हैं, उनकी शक्तियाँ असीमित हैं। मैं उस परम देवता को नमन करता हूँ।


15. अच्युतं केशवं रामनारायणं

"अच्युतं केशवं रामनारायणं
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरीम।
श्रीधरम माधवम गोपिकावल्लभम
जानकीनायकम रामचन्द्रम भजे॥15॥"

भावार्थ:
हे अच्युत! हे केशव!, हे राम! जो नारायण के रूप हैं, मैं आपको भजता हूँ। हे कृष्ण! हे दामोदर! हे वासुदेव! मैं आपको भजता हूँ। हे हरि!, हे श्रीधर!, हे माधव!, जो गोपियों के प्रिय थे, मैं आपकी पूजा करता हूँ। देवी जानकी के स्वामी! प्रभु श्री रामचन्द्र को मैं भजता हूँ।


16. हरे कृष्ण हरे कृष्ण

"हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥16॥"

भावार्थ:
16 अक्षरों का यह मंत्र श्री कृष्ण के सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली मंत्रों में से एक है। विश्व भर में श्री कृष्ण के करोड़ों भक्त इस महामंत्र का जप कर श्री कृष्ण की भक्ति मार्ग पर चल रहे हैं।


17. श्री कृष्णनामामृतमात्मह्लादं

"श्रीकृष्णनामामृतमात्मह्लादं प्रेम्णा समास्वादनमङ्गिपूर्वम्।
यत् सेव्यते जिह्विकयाविरामं तस्यातुलं जल्पतु को महत्त्वम्॥17॥"

भावार्थ:
हृदय को अत्यन्त प्रिय लगने वाले श्री कृष्ण नाम के अमृत का रसास्वादन प्रेम से इच्छा के साथ जिस जिह्वा द्वारा अविराम सेवन किया जाता है, उसकी विशाल महत्ता का वर्णन कौन कर सकता है।


18. हरे राम हरे कृष्ण

"हरे राम हरे कृष्ण कृष्ण कृष्णेति मंगलम्।
एवं वदन्ति ये नित्यं न हि तान् बाधते कलिः॥18॥"

भावार्थ:
जो सदा हरे राम! हरे कृष्ण! कृष्ण! कृष्ण! जाप करते हैं, उस भक्त को कलियुग में कोई भी हानि नहीं दे सकता है।


जय श्री कृष्ण भगवान कृष्ण और मक्खन की चोरी: माखन चोर की अद्भुत कथा - Bhagwan Krishna aur Makhan ki Chori: Makhan Chor ki Adbhut Katha

जय श्री कृष्ण भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त अक्रूर: स्नान के समय हुआ दिव्य दर्शन - bhagavan shrikrishn ke param bhakt akroor: snan ke samay hua divya darshan

जय श्री कृष्ण कृष्ण

भगवान कृष्ण और केशी: साहस और दृढ़ता की कथा - Bhagwan Krishna Aur Keshi: Sahas Aur Dhridhta Ki Prernadayak Katha

और मक्खन के प्रति उनका अद्भुत प्रेम और शरारत। - Krishna aur Makhan ke prati unka adbhut prem aur sharaarat

जय श्री कृष्ण भगवान कृष्ण और भगवान ब्रह्मा: मित्रता और विश्वास की कहानी - Bhagwan Krishna Aur Bhagwan Brahma: Mitrata Aur Vishwas Ki Kahani

जय श्री कृष्ण भगवान कृष्ण और अरिष्टासुर: गुरु का सम्मान करने की महत्ता - Bhagwan Krishna Aur Arishtasur: Guru Ka Samman Aur Jeevan Ka Mahattv

जय श्री कृष्ण

जय श्री कृष्ण कृष्ण और कालिया: अहंकार पर विजय की कथा - Krishna Aur Kaliya: Ahankar Par Vijay Ki Divya Katha

जय श्री कृष्ण हरे कृष्ण: भगवान कृष्ण की महिमा और उनकी अनंत लीलाओं की कथा - Bhagwan Shri Krishna Ki Mahima: Unki Anant Leelaon Aur Sarvashaktimanata Ki Katha

जय श्री कृष्ण कृष्ण और मिट्टी खाने की लीला: ब्रह्मांड के दर्शन - Krishna aur Mitti Khane ki Leela: Brahmand ke Darshan

जय श्री कृष्ण भगवान कृष्ण और माँ यशोदा: ममतामयी बंधन की कथा - Bhagwan Krishna Aur Maa Yashoda: Mamta Aur Bhakti Ki Kahani

जय श्री कृष्ण भगवान कृष्ण और राक्षसी पुतना की कथा - Bhagwan Krishna Aur Rakshasi Putna Ki Katha: Dharma Aur Adharma Ki Yudh

जय श्री कृष्ण भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत: क्रोध और माफी की कथा - Bhagwan Krishna Aur Govardhan Parvat: Krodh Aur Maafi Ki Kahani

जय श्री कृष्ण भगवान कृष्ण और कामधेनु: सम्मान और कृतज्ञता की कहानी - Bhagwan Krishna Aur Kamadhenu: Samman Aur Krutagnata Ki Kahani

जय श्री कृष्ण भगवान कृष्ण और अघासुर: शैतान के खिलाफ विजय की कथा - Bhagwan Krishna Aur Aghasura: Shaitan Ke Khilaf Vijay Ki Katha

जय श्री कृष्ण भगवान कृष्ण द्वारा कंस की मृत्यु: सत्य की विजय की कथा - Bhagwan Krishna Dwara Kansa Ki Mrityu: Satya Ki Vijay Ki Katha

जय श्री कृष्ण भगवान कृष्ण का जन्म: जन्माष्टमी की पावन कथा - Bhagwan Krishna Ka Janm: Janmashtami Ki Pavan Kahani

जय श्री कृष्ण कृष्ण के माता-पिता की कहानी: एक अद्भुत कहानी - Krishna Ke Mata-Pita Ki Kahani: Ek Adbhut Kahani

टिप्पणियाँ