ज्येष्ठ शुक्ल दशमी व्रत विधि
ज्येष्ठ शुक्ल दशमी (या अधिकमास के समय अधिक ज्येष्ठ की शुक्ल दशमी) को गंगातटवर्ती क्षेत्र में स्नान करना विशेष महत्व रखता है। यदि गंगा के तट पर स्नान की सुविधा नहीं हो, तो किसी भी जलाशय या घर के शुद्ध जल से स्नान करें। इसके बाद एक स्वर्ण पात्र में श्री गंगा जी की मूर्ति अंकित करें, जिसमें त्रिनेत्र, चतुर्भुज, सर्वावयवविभूषित, रत्नकुम्भधारिणी और श्वेत वस्त्र पहने हुए गंगा जी की चित्रित मूर्ति हो। वर और अभय मुद्रा से युक्त मूर्ति की स्थापना करें। फिर किसी साक्षात् शिवलिंग के समीप बैठें।

दशहरे की पूजा विधि
दशहरे के दिन, श्रद्धालुओं को गंगाजी की पूजा में निम्नलिखित विधियों का पालन करना चाहिए:
- अवहारण पूजन:
- दस प्रकार के फूल, दस प्रकार की गंध (जैसे चंदन, रोली, अष्टगंध), दस प्रकार के नैवेद्य (भोग), दस ताम्बूल और दस दीपों से पूजा करें।
- मन्त्र जप:
- इस मन्त्र की एक माला (108 बार या 11, 21, 31 बार) जप करें:
- "ॐ नमो दशहरायै नारायण्यै गंगायै नमः।"
- "ॐ नमः शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नमः।"
- "ॐ नारायणाय नमः।"
- "ॐ पर ब्रह्मणे नमः।"
- "ॐ द्रव ब्रह्मणे नमः।"
- "ॐ जगद्वीजरूप अकूपाराय नमः।"
- "ॐ भागीरथाय नमः।"
- "ॐ जनहवे नमः।"
- "ॐ महाभिषाय नमः।"
- "ॐ शिवाय नमः।"
- "ॐ ब्रह्मणे नमः।"
- "ॐ विष्णवे नमः।"
- "ॐ ऋषिभ्यो नमः।"
ध्यान और ध्यान मंत्र
ध्यान मंत्र:
- सूक्ष्मा सौम्यस्वरूपा निखिल जनमते बीजभूता हि सत्या।
- नित्याऽनन्ताऽचलाया प्रथम भवमती व्यापिका व्यापकोद्भः ॥
ध्यान विधि:
- ध्यान में गंगाजी को चतुर्भुज, त्रिनेत्र और सर्वावयवविभूषित स्वरूप में चित्रित करें।
- ध्यान करें:
- "श्वेतवस्त्रपरीधानां मुक्तामणिविभूषिताम्।"
- "चन्द्रायुतसमप्रभाम्।"
पूजा में सामग्री का समर्पण
पूजा में निम्नलिखित सामग्री का समर्पण करें:
- पाद्यम्:
- "ॐ गंगा देव्यै नमः पाद्यम् समर्पयामि।"
- आचमनम्:
- "ॐ गंगा देव्यै नमः आचमनम् समर्पयामि।"
- स्नानम्:
- "ॐ गंगा देव्यै नमः स्नानम् समर्पयामि।"
- पञ्चामृतम्:
- "ॐ गंगा देव्यै नमः पञ्चामृत स्नानम् समर्पयामि।"
- धूप और दीप:
- "ॐ गंगा देव्यै नमः धूपं समर्पयामि।"
- "ॐ गंगा देव्यै नमः दीपम समर्पयामि।"
निष्कर्ष
ज्येष्ठ शुक्ल दशमी का यह व्रत और पूजा विधि गंगाजी के प्रति भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करने का एक अद्भुत अवसर है। श्रद्धालु इस दिन विशेष रूप से गंगाजी के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हैं और सभी सुखों की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
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FAQ
ज्येष्ठ शुक्ल दशमी का व्रत क्यों मनाया जाता है?
- ज्येष्ठ शुक्ल दशमी का व्रत गंगाजी की पूजा और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन स्नान और पूजा का विशेष महत्व होता है।
ज्येष्ठ शुक्ल दशमी पर स्नान कैसे करना चाहिए?
- इस दिन गंगातटवर्ती क्षेत्र में स्नान करना विशेष है। यदि वहाँ नहीं जा सकते, तो किसी भी जलाशय या घर के शुद्ध जल से स्नान करें।
गंगाजी की पूजा में किन सामग्रियों का उपयोग किया जाता है?
- पूजा में दस प्रकार के फूल, गंध, नैवेद्य, ताम्बूल और दीपों का उपयोग किया जाता है।
पूजा के दौरान कौन से मन्त्र का जप करना चाहिए?
- श्रद्धालु निम्नलिखित मन्त्रों का जप कर सकते हैं:
- "ॐ नमो दशहरायै नारायण्यै गंगायै नमः।"
- "ॐ नमः शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नमः।"
- "ॐ नारायणाय नमः।"
- श्रद्धालु निम्नलिखित मन्त्रों का जप कर सकते हैं:
ध्यान में गंगाजी का स्वरूप कैसा होना चाहिए?
- ध्यान में गंगाजी को चतुर्भुज, त्रिनेत्र और सर्वावयवविभूषित स्वरूप में चित्रित किया जाना चाहिए।
पूजा में सामग्री का समर्पण कैसे करें?
- श्रद्धालु निम्नलिखित श्लोकों के साथ सामग्री का समर्पण कर सकते हैं:
- "ॐ गंगा देव्यै नमः पाद्यम् समर्पयामि।"
- "ॐ गंगा देव्यै नमः आचमनम् समर्पयामि।"
- "ॐ गंगा देव्यै नमः स्नानम् समर्पयामि।"
- श्रद्धालु निम्नलिखित श्लोकों के साथ सामग्री का समर्पण कर सकते हैं:
इस दिन का महत्व क्या है?
- ज्येष्ठ शुक्ल दशमी का यह व्रत गंगाजी के प्रति भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करने का एक अद्भुत अवसर है, और श्रद्धालु इस दिन सभी सुखों की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
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