गंगा का पृथ्वी पर अवतरण: भगीरथ की कथा - Descent of Ganga on Earth: The Story of Bhagirath

गंगा का पृथ्वी पर अवतरण: भगीरथ की कथा

गंगा, जिसे "पवित्र नदी" माना जाता है, का पृथ्वी पर अवतरण एक महान कथा है जो राजा सगर और उनके वंशज भगीरथ की तपस्या से जुड़ी हुई है। यह कथा न केवल गंगा की महिमा को दर्शाती है, बल्कि भारतीय संस्कृति में नदियों के महत्व को भी उजागर करती है। आइए इस कथा को विस्तार से जानते हैं।

कथा का प्रारंभ

एक बार युधिष्ठिर ने लोमश ऋषि से पूछा, "हे मुनिवर! राजा भगीरथ गंगा को किस प्रकार पृथ्वी पर ले आए?" लोमश ऋषि ने उत्तर दिया, "धर्मराज! इक्ष्वाकु वंश में सगर नामक एक बहुत ही प्रतापी राजा हुए। उनके वैदर्भी और शैव्या नामक दो रानियाँ थीं। राजा सगर ने कैलाश पर्वत पर जाकर भगवान शंकर की घोर आराधना की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने कहा कि तुम्हारी एक रानी के साठ हजार पुत्र होंगे, जबकि दूसरी रानी से तुम्हारा वंश चलाने वाला एक ही संतान होगा।"

सगर के पुत्रों का जन्म और उनकी कथा

समय बीतने पर शैव्या ने असमंज नामक पुत्र को जन्म दिया, जबकि वैदर्भी के गर्भ से साठ हजार पुत्र हुए। राजा सगर ने एक बार अश्वमेघ यज्ञ करने का निर्णय लिया। उन्होंने घोड़े को छोड़ दिया और उसके पीछे-पीछे अपने साठ हजार पुत्रों के साथ चल पड़े। लेकिन देवराज इन्द्र ने उस घोड़े को चुरा लिया और उसे कपिल मुनि के आश्रम में बाँध दिया।

सगर के पुत्रों ने घोड़े को खोजते-खोजते पाताल लोक तक पहुँच गए। वहाँ उन्होंने कपिल मुनि को कटु वचन सुनाया, जिससे कपिल मुनि ने क्रोधित होकर उन्हें भस्म कर दिया। राजा सगर को अपने पुत्रों के विनाश की सूचना मिली, तो उन्होंने अपने पौत्र अंशुमान को कपिल मुनि के पास भेजा। अंशुमान ने मुनि की कृपा से गंगा के जल से अपने दादाओं का उद्धार कराने की प्रार्थना की।

भगीरथ की तपस्या

अंशुमान के बाद उनके पुत्र दिलीप और फिर भगीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए तपस्या की। अंततः भगीरथ की तपस्या से गंगा प्रसन्न हुईं और उन्होंने कहा कि उनके वेग को केवल भगवान शिव ही सहन कर सकते हैं। भगीरथ ने भगवान शिव की घोर तपस्या की, जिससे शिव जी ने गंगा के वेग को रोकने के लिए अपनी जटाओं में उन्हें समाहित कर लिया।

गंगा ने स्वर्ग से शिव की जटाओं पर गिरकर पृथ्वी पर आना स्वीकार किया और भगीरथ ने गंगा को अपने पीछे-पीछे चलकर अपने पूर्वजों के अस्थियों तक ले आए। इस प्रकार भगीरथ ने अपने पूर्वजों का उद्धार किया। अंत में, गंगा सागर में जा गिरीं और वहाँ जल भर गया।

गंगा की महिमा

इस प्रकार भगीरथ ने गंगा का वरण करके बड़े भाग्यशाली हुए। गंगा प्राणीमात्र को जीवनदान ही नहीं देती, बल्कि मुक्ति भी प्रदान करती है। गंगा की धारा महाराज भगीरथ की कष्टमयी साधना की गाथा कहती है। इसी कारण गंगा की महिमा भारत और विदेशों तक गाई जाती है।

गंगाजी के बारह (द्वादश) नाम

गंगा दशहरा को गंगाजी में स्नान का विशेष महत्व है। यदि आप गंगातट या किसी नदी पर नहीं जा पाते हैं, तो घर पर ही स्नान करते समय इन बारह नामों का स्मरण करें। ये बारह नाम हैं:

  1. नन्दिनी
  2. नलिनी
  3. सीता
  4. मालती
  5. महापगा
  6. विष्णुपादाब्जसम्भूता
  7. गंगा
  8. त्रिपथगामिनी
  9. भागीरथी
  10. भोगवती
  11. जाह्नवी

इन नामों का स्मरण करने से उस जल में गंगाजी का वास हो जाता है।

निष्कर्ष

गंगा का पृथ्वी पर अवतरण केवल एक कथा नहीं, बल्कि भगीरथ की तपस्या और भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाता है। गंगा केवल एक नदी नहीं है, बल्कि यह जीवन, मुक्ति और पुनर्जन्म का प्रतीक है। इसलिए, हमें गंगा की महिमा को समझते हुए उसकी पूजा करनी चाहिए और उसका संरक्षण करना चाहिए।

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FAQ

  1. गंगा का पृथ्वी पर अवतरण कैसे हुआ?

    • गंगा का पृथ्वी पर अवतरण राजा सगर के वंशज भगीरथ की तपस्या के माध्यम से हुआ। भगीरथ ने गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने के लिए भगवान शिव की आराधना की, ताकि गंगा का वेग सहन किया जा सके।
  2. राजा सगर कौन थे?

    • राजा सगर इक्ष्वाकु वंश के प्रतापी राजा थे। उनके दो रानियाँ थीं, जिनसे उनके साठ हजार पुत्रों का जन्म हुआ।
  3. कपिल मुनि का क्या संबंध है इस कथा से?

    • कपिल मुनि ने राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को श्राप दिया था, जिसके कारण वे भस्म हो गए। उनके उद्धार के लिए भगीरथ ने गंगा के जल की प्रार्थना की थी।
  4. भगीरथ की तपस्या का परिणाम क्या था?

    • भगीरथ की तपस्या से गंगा प्रसन्न हुईं और उन्होंने कहा कि उनका वेग केवल भगवान शिव ही सहन कर सकते हैं। भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में समाहित किया और पृथ्वी पर आने दिया।
  5. गंगा की महिमा क्यों है?

    • गंगा को "पवित्र नदी" माना जाता है और यह जीवन, मुक्ति, और पुनर्जन्म का प्रतीक है। गंगा में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
  6. गंगा के बारह नाम कौन से हैं?

    • गंगा के बारह नाम हैं: नन्दिनी, नलिनी, सीता, मालती, महापगा, विष्णुपादाब्जसम्भूता, गंगा, त्रिपथगामिनी, भागीरथी, भोगवती, जाह्नवी।
  7. गंगा दशहरा क्या है?

    • गंगा दशहरा गंगा के पृथ्वी पर अवतरण के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन गंगा में स्नान का विशेष महत्व होता है।

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