मेजर शैतान सिंह पीवीसी: रेज़ांग ला के वीर योद्धा (Major Shaitan Singh PVC: The Brave Warrior of Rezang La)

मेजर शैतान सिंह पीवीसी: रेज़ांग ला के वीर योद्धा

रेज़ांग ला की लड़ाई (भारत-चीन युद्ध): 18 नवंबर 1962
भारत के वीर सपूत मेजर शैतान सिंह ने 1962 के भारत-चीन युद्ध में रेज़ांग ला में अपने नेतृत्व और अदम्य साहस का परिचय देते हुए इतिहास रच दिया। उनकी वीरता और बलिदान आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।


रेज़ांग ला: युद्ध का मैदान

रेज़ांग ला चुशूल सेक्टर में, समुद्र तल से लगभग 17,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह एक महत्वपूर्ण सैन्य क्षेत्र था, जो स्पैंगगुर गैप और चुशूल घाटी को जोड़ता था।

युद्ध की पृष्ठभूमि

जून 1962 में, मेजर शैतान सिंह की 13 कुमाऊं बटालियन को जम्मू-कश्मीर के बारामुल्ला से लेह भेजा गया। उनकी बटालियन को ब्रिगेडियर टीएन रैना की कमान में 114 इन्फैंट्री ब्रिगेड का हिस्सा बनाया गया।

रेज़ांग ला में तैनात 13 कुमाऊं बटालियन की ‘चार्ली’ कंपनी, जिसे अहीर कंपनी भी कहा जाता था, ने कठिन भूभाग, खराब मौसम और कम संसाधनों के बावजूद अपनी वीरता से दुश्मन को कड़ी टक्कर दी।


युद्ध का प्रारंभ

18 नवंबर 1962 की सुबह, चीनी सेना ने रेज़ांग ला पर हमला किया। दुश्मन ने तोपखाने, मोर्टार और भारी गोलाबारी का सहारा लिया।

प्रमुख घटनाएं:

  1. पहला हमला (सुबह 2 बजे): जमादार हरि राम के नेतृत्व में 8वीं प्लाटून ने पहले चीनी हमले को असफल कर दिया।
  2. दूसरा हमला (सुबह 4 बजे): जमादार सुरजा राम और उनकी टुकड़ी ने दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
  3. तीसरा से सातवां हमला: भारतीय सैनिकों ने अपनी जान की बाजी लगाकर दुश्मन के लगातार हमलों का सामना किया।

मेजर शैतान सिंह ने युद्ध के दौरान प्लाटून से प्लाटून तक जाकर सैनिकों का मनोबल बढ़ाया।


अंतिम बलिदान

युद्ध के दौरान, मेजर शैतान सिंह को दुश्मन की गोली लगी। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद, उन्होंने अपनी पिस्तौल सैनिक मामचंद को सौंप दी, ताकि वह दुश्मन के हाथों में न पड़े।

मेजर शैतान सिंह ने अंत तक अपने कर्तव्य को निभाया और अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया।


परिणाम और वीरता

रेज़ांग ला की इस लड़ाई में 'चार्ली' कंपनी के 124 सैनिकों में से 114 ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए। फिर भी उन्होंने दुश्मन के सैकड़ों सैनिकों को मार गिराया।

सम्मान:

  • मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
  • जमादार हरि राम, सुरजा राम और राम चंदर को वीर चक्र प्रदान किया गया।
  • अन्य कई सैनिकों को भी वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

रेज़ांग ला स्मारक

रेज़ांग ला में भारतीय सैनिकों की वीरता को याद करते हुए एक स्मारक बनाया गया है, जो उनकी गौरवगाथा का प्रतीक है।


मेजर शैतान सिंह: एक प्रेरणा

मेजर शैतान सिंह का जीवन और बलिदान हमें सिखाता है कि देश के प्रति समर्पण और साहस का क्या महत्व है। उनका यह बलिदान हमेशा याद किया जाएगा।

नमन है ऐसे अमर वीर को!

जय हिंद।

FAQs: मेजर शैतान सिंह और रेजांग ला की लड़ाई

1. मेजर शैतान सिंह कौन थे?

मेजर शैतान सिंह भारतीय सेना के एक बहादुर अधिकारी थे, जिन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान अद्वितीय वीरता का प्रदर्शन किया। वह 13 कुमाऊं बटालियन की 'सी' कंपनी के कमांडर थे और उन्हें उनकी वीरता के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।


2. रेजांग ला की लड़ाई कब और क्यों हुई?

रेजांग ला की लड़ाई 18 नवंबर 1962 को भारत-चीन युद्ध के दौरान हुई। यह लड़ाई लद्दाख के चुशूल सेक्टर में strategically महत्वपूर्ण क्षेत्र पर कब्ज़े के लिए लड़ी गई थी।


3. रेजांग ला में 13 कुमाऊं बटालियन का क्या योगदान था?

13 कुमाऊं बटालियन की 'सी' कंपनी ने रेजांग ला की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाली थी। कंपनी ने दुश्मन के भारी हमलों के बावजूद आखिरी आदमी और आखिरी गोली तक लड़ाई लड़ी, जिससे चुशूल हवाई क्षेत्र की रक्षा संभव हुई।


4. इस लड़ाई में कितने भारतीय सैनिक शहीद हुए?

रेजांग ला की लड़ाई में 13 कुमाऊं की 'सी' कंपनी के 124 सैनिकों में से 114 सैनिक शहीद हुए।


5. मेजर शैतान सिंह को कौन सा सम्मान मिला?

मेजर शैतान सिंह को उनकी असाधारण वीरता और नेतृत्व के लिए मरणोपरांत "परमवीर चक्र" से सम्मानित किया गया, जो भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है।


6. रेजांग ला की लड़ाई में भारतीय सैनिकों ने कितने दुश्मनों को मार गिराया?

भारतीय सैनिकों ने भारी नुकसान सहने के बावजूद, दुश्मन को लगभग चार से पाँच गुना अधिक हताहत किया।


7. क्या रेजांग ला भारतीय तोपखाने के दायरे में था?

नहीं, रेजांग ला की भौगोलिक स्थिति के कारण यह भारतीय तोपखाने की सीमा से बाहर था, जिससे वहां तैनात सैनिकों को अकेले ही दुश्मन का सामना करना पड़ा।


8. मेजर शैतान सिंह का बलिदान कैसे हुआ?

मेजर शैतान सिंह ने युद्ध के दौरान कई चोटें खाई, लेकिन फिर भी अपने सैनिकों का नेतृत्व करते रहे। जब वह गंभीर रूप से घायल हो गए, तो उन्होंने अपनी पिस्तौल एक सैनिक को सौंप दी और एक चट्टान के सहारे वीरगति को प्राप्त हुए।


9. रेजांग ला की इस लड़ाई के बाद क्या हुआ?

युद्ध विराम के बाद रेजांग ला नो मैन्स लैंड में आ गया। भारतीय सेना ने शहीदों के शवों को तीन महीने बाद बरामद किया।


10. क्या रेजांग ला की लड़ाई का कोई स्मारक है?

जी हां, रेजांग ला युद्ध स्मारक लद्दाख में शहीद सैनिकों की बहादुरी को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया गया है।


11. मेजर शैतान सिंह के परिवार के बारे में क्या जानकारी है?

मेजर शैतान सिंह के पुत्र श्री नरपत सिंह जोधपुर में रहते हैं।


12. क्या मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में अन्य सैनिकों को वीरता पुरस्कार मिले?

जी हां, मेजर शैतान सिंह के अलावा इस लड़ाई में बहादुरी दिखाने वाले कई सैनिकों को वीर चक्र से सम्मानित किया गया।

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