बिना काली मां के दर्शन के युद्ध में नहीं जाते कुमाऊं रेजीमेंट के जवान (Soldiers of Kumaon Regiment do not go to war without seeing Kali Maa)

बिना काली मां के दर्शन के युद्ध में नहीं जाते कुमाऊं रेजीमेंट के जवान

महाकाली की जय घोष के साथ शांत हो गई थीं समुद्र की लहरें

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित गंगोलीहाट का हाट कालिका मंदिर, कुमाऊं रेजिमेंट के सैनिकों के लिए एक विशेष महत्व रखता है। यह केवल एक देवी क्षेत्र नहीं, बल्कि कुमाऊं रेजिमेंट के लिए आराध्य देवी का स्थल है। 1971 में जब पाकिस्तान के साथ युद्ध शुरू हुआ, तब कुमाऊं रेजिमेंट ने सुबेदार शेर सिंह के नेतृत्व में इस मंदिर में महाकाली की मूर्ति की स्थापना की थी। सेना द्वारा स्थापित की गई यह मूर्ति कुमाऊं रेजिमेंट के सैनिकों के लिए एक आस्था का प्रतीक बनी।

महाकाली के मंदिर में आस्था और श्रद्धा
इसके बाद 1994 में कुमाऊं रेजिमेंट ने इस मंदिर में एक बड़ी मूर्ति स्थापित की। हर साल माघ महीने में यहां सैनिकों की भारी भीड़ लगती है। मंदिर में समय-समय पर सहस्त्र चण्डी यज्ञ, सहस्रघट पूजा, शतचंडी महायज्ञ और अष्टबलि अठवार का पूजन आयोजित किया जाता है। यहां की आस्था से यह माना जाता है कि महाकाली के चरणों में श्रद्धापुष्प अर्पित करने से रोग, शोक और दरिद्रता दूर होती है।

पुराने समय में माना जाता था कि यही वह स्थान है, जहां काली के रौद्र रूप को शांत किया गया था। आज भी यह स्थान श्रद्धा और आस्था का केंद्र बना हुआ है।

आदि शंकराचार्य का काली मंदिर से संबंध
हाट कालिका मंदिर से जुड़ी एक और प्रसिद्ध कथा आदि गुरु शंकराचार्य से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि जब शंकराचार्य बद्री-केदार की स्थापना कर लौट रहे थे, तो वे इस मंदिर के करीब पहुंचे, लेकिन उन्हें यहां काली के रौद्र रूप का अहसास हुआ। वह मंदिर के 20 मीटर पहले अचेत हो गए। इस स्थिति में देवी ने उन्हें दर्शन दिए और उन्हें सामान्य स्थिति में लौटने का अवसर दिया। शंकराचार्य ने तब इस मंदिर में यज्ञ कर देवी को शांत किया और फिर इस स्थान को कालिका मंदिर के रूप में पुनः स्थापित किया।

कुमाऊं रेजिमेंट का महाकाली से संबंध
कुमाऊं रेजिमेंट के बारे में एक और दिलचस्प कहानी प्रचलित है जो दूसरे विश्व युद्ध से जुड़ी है। कहा जाता है कि जब कुमाऊं रेजिमेंट के जवान समुद्र की तेज लहरों में फंसे एक जहाज पर थे, तो उन्होंने महाकाली का जय घोष किया और लहरें शांत हो गईं। तब से कुमाऊं रेजिमेंट के जवान महाकाली की जय के साथ युद्ध में जाते हैं।

16 दिसंबर 1971 को विजय दिवस से पहले कुमाऊं रेजिमेंट ने करीब एक लाख पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बनाया। इस विजय के बाद, यहां महाकाली की एक बड़ी मूर्ति स्थापित की गई। कुमाऊं रेजिमेंट का हर छोटा और बड़ा अधिकारी यहां आकर मां के चरणों में शीश झुकाता है। सेना के अन्य बटालियनों के जवान और अधिकारी भी यहां मां काली की पूजा करने आते हैं।

निष्कर्ष
हाट कालिका मंदिर, महाकाली की शक्ति और कुमाऊं रेजिमेंट की आस्था का अद्वितीय संगम है। इस स्थान ने न केवल सैनिकों को आशीर्वाद दिया है, बल्कि यहां की पूजा और पूजा पद्धतियों ने कुमाऊं रेजिमेंट को एक अद्वितीय पहचान दी है। युद्धों में विजय और कठिन परिस्थितियों में शांति के लिए महाकाली की कृपा का यह स्थान आज भी हर सैनिक के दिल में बसा हुआ है।

FQCs 

  1. हाट कालिका मंदिर कहां स्थित है?
    हाट कालिका मंदिर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट में स्थित है।

  2. कुमाऊं रेजीमेंट का इस मंदिर से क्या संबंध है?
    कुमाऊं रेजीमेंट के सैनिक महाकाली की इस मूर्ति की पूजा करते हैं और युद्ध में विजय की प्राप्ति के लिए इस स्थान पर आस्था रखते हैं। 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान इस मंदिर में महाकाली की मूर्ति स्थापित की गई थी।

  3. हर साल इस मंदिर में किस प्रकार के अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं?
    यहां हर साल सहस्त्र चण्डी यज्ञ, सहस्रघट पूजा, शतचंडी महायज्ञ और अष्टबलि अठवार जैसे पूजन अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।

  4. महाकाली के चरणों में श्रद्धापुष्प अर्पित करने से क्या लाभ होते हैं?
    कहा जाता है कि श्रद्धापुष्प अर्पित करने से रोग, शोक और दरिद्रता दूर होती है।

  5. मंदिर से जुड़ी प्रमुख कथाएं क्या हैं?
    मंदिर से जुड़ी प्रमुख कथाओं में आदि गुरु शंकराचार्य के अचेत हो जाने और फिर महाकाली के दर्शन प्राप्त करने की घटना शामिल है। इसी स्थान पर पुरातन यज्ञों द्वारा काली के रौद्र रूप को शांत किया गया।

  6. कुमाऊं रेजिमेंट के जवान क्यों महाकाली की पूजा करते हैं?
    दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान समुद्र की लहरों में फंसे एक जहाज पर कुमाऊं रेजीमेंट के जवानों ने महाकाली का जय घोष किया और लहरें शांत हो गईं। तब से यह युद्ध में विजय की देवी मानी जाती हैं।

  7. कुमाऊं रेजिमेंट के जवान हर बार युद्ध में क्यों महाकाली का जय घोष करते हैं?
    यह परंपरा इसी स्थान पर स्थापित महाकाली की मूर्ति से जुड़ी है, जिसे सेना द्वारा युद्ध में विजय की प्राप्ति के लिए आस्था और श्रद्धा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

  8. कुमाऊं रेजीमेंट के अन्य बटालियनों के जवान भी यहां क्यों आते हैं?
    यह मंदिर और महाकाली की शक्ति कुमाऊं रेजीमेंट के जवानों के बीच आद्य और श्रद्धा की एक अद्वितीय पहचान बना चुकी है, जिसके कारण अन्य बटालियनों के जवान भी यहां महाकाली की पूजा करने आते हैं।

  9. महाकाली की मूर्ति कब स्थापित की गई थी?
    महाकाली की मूर्ति 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के बाद सुबेदार शेर सिंह के नेतृत्व में इस स्थान पर स्थापित की गई थी।

  10. क्या मंदिर से जुड़े पुराणिक और ऐतिहासिक संदर्भ हैं?
    हां, आदि शंकराचार्य की कथा से जुड़ी एक महत्वपूर्ण घटना भी मंदिर के पास घटित हुई थी, जहां काली के रौद्र रूप को शांत करने हेतु पुरातन यज्ञ करवाए गए थे।

कुमाऊँ के शुभ अवसरों के गीत

कुमाऊँ क्षेत्र के पारंपरिक शुभ अवसरों पर गाए जाने वाले गीत।

उत्तराखंड की लोककथाएँ और सामाजिक संदर्भ

उत्तराखंड की लोककथाएँ और उनके सामाजिक प्रभाव।

कुमाऊँनी साहित्य की भाषाई संपदा

कुमाऊँनी साहित्य की भाषाई विविधता और इसकी महत्ता।

कुमाऊँ की संस्कृति और लोककथाओं की झलकियाँ

कुमाऊँ की संस्कृति और लोककथाओं की अनमोल झलक।

कुमाऊँनी लोक साहित्य का इतिहास

कुमाऊँनी लोक साहित्य के विकास का ऐतिहासिक विवरण।

कुमाऊँनी लिखित साहित्य में समाज

कुमाऊँनी साहित्य में वर्णित समाज की संरचना।

कुमाऊँनी साहित्य के संरक्षण की समस्या और समाधान

कुमाऊँनी साहित्य के संरक्षण से जुड़े मुद्दे और उनके समाधान।

कुमाऊँनी लिखित पद्य साहित्य

कुमाऊँनी पद्य साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश।

कुमाऊँनी भाषा और साहित्य

कुमाऊँनी भाषा के साहित्यिक योगदान की गहराई।

कुमाऊँनी साहित्य में समाज की झलक

साहित्य के माध्यम से समाज की तस्वीर।

कुमाऊँ क्षेत्र की बोलियाँ

कुमाऊँ क्षेत्र की भाषाई विविधता का वर्णन।

कुमाऊँनी लोककथाएँ: इतिहास और स्वरूप

कुमाऊँनी लोककथाओं का इतिहास और उनके रूप।

टिप्पणियाँ

उत्तराखंड के नायक और सांस्कृतिक धरोहर

उत्तराखंड के स्वतंत्रता सेनानी और उनका योगदान

उत्तराखंड के उन स्वतंत्रता सेनानियों की सूची और उनके योगदान, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई।

पहाड़ी कविता और शब्दकोश

उत्तराखंड की पारंपरिक पहाड़ी कविताएँ और शब्दों का संकलन, जो इस क्षेत्र की भाषा और संस्कृति को दर्शाते हैं।

गढ़वाल राइफल्स: एक गौरवशाली इतिहास

गढ़वाल राइफल्स के गौरवशाली इतिहास, योगदान और उत्तराखंड के वीर सैनिकों के बारे में जानकारी।

कुमाऊं रेजिमेंट: एक गौरवशाली इतिहास

कुमाऊँ रेजिमेंट भारतीय सेना की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित पैदल सेना रेजिमेंटों में से एक है। इस रेजिमेंट की स्थापना 18वीं शताब्दी में हुई थी

लोकप्रिय पोस्ट

केदारनाथ स्टेटस हिंदी में 2 लाइन(kedarnath status in hindi 2 line) something

जी रया जागी रया लिखित में , | हरेला पर्व की शुभकामनायें (Ji Raya Jagi Raya in writing, | Happy Harela Festival )

हिमाचल प्रदेश की वादियां शायरी 2 Line( Himachal Pradesh Ki Vadiyan Shayari )

हिमाचल प्रदेश पर शायरी स्टेटस कोट्स इन हिंदी(Shayari Status Quotes on Himachal Pradesh in Hindi)

महाकाल महादेव शिव शायरी दो लाइन स्टेटस इन हिंदी (Mahadev Status | Mahakal Status)

गढ़वाली लोक साहित्य का इतिहास एवं स्वरूप (History and nature of Garhwali folk literature)

हिमाचल प्रदेश पर शायरी (Shayari on Himachal Pradesh )