गंगाध्यानार्चन विधि: दशपापहर स्तोत्र - Gangadhyanarchana Vidhi: Dashapapahar Stotra

गंगाध्यानार्चन विधि: दशपापहर स्तोत्र

गंगा, जिसे भारतीय संस्कृति में पवित्र और दिव्य नदी माना जाता है, का महत्व केवल जल तक सीमित नहीं है। गंगा के माध्यम से मनुष्य आत्मिक शुद्धि, मोक्ष और समृद्धि की प्राप्ति कर सकता है। दशपापहर स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य न केवल पापों से मुक्त होता है, बल्कि उसके जीवन में रोग, भय, शत्रु और बंधनों का नाश होता है। इस लेख में हम इस स्तोत्र का महत्व, इसके पाठ का फल, और इसका विधिपूर्वक पाठ कैसे करना है, इस पर चर्चा करेंगे।

गंगा का महत्व

गंगा का जल केवल पवित्र नहीं है, बल्कि यह जीवनदायिनी भी है। भारत में गंगा नदी का विशेष महत्व है क्योंकि इसे माँ माना जाता है। इसका जल सभी पापों को धोने की शक्ति रखता है। इसलिए, गंगा का दर्शन और जल का सेवन करना मनुष्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।

दशपापहर स्तोत्र का महत्व

इस स्तोत्र का प्रतिदिन श्रद्धा पूर्वक पाठ करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:

  1. दश पापों से मुक्ति: इस स्तोत्र के नियमित पाठ से मनुष्य को दस प्रकार के पापों से छुटकारा मिलता है।
  2. सभी भय दूर होते हैं: रोग, शत्रु और अन्य प्रकार के भय समाप्त होते हैं।
  3. सुख-समृद्धि: जो व्यक्ति इस स्तोत्र को अपने घर में रखकर पूजा करता है, उसके जीवन में सुख और समृद्धि का संचार होता है।
  4. गंगा की पूजा का फल: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगाजल में खड़े होकर इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य को गंगाजी की पूजा का फल प्राप्त होता है।

दशपापहर स्तोत्र का पाठ विधि

इस स्तोत्र को पढ़ने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:

  • स्थान: एक स्वच्छ स्थान पर बैठें, जहां से गंगा का जल दिखे।
  • संकल्प: संकल्प करें कि आप इस स्तोत्र का पाठ कर रहे हैं, जिससे आपके पाप दूर हों।
  • पाठ: निम्नलिखित श्लोकों का पाठ करें।

दशपापहर स्तोत्र के श्लोक

ऊँ  नम: शिवायै  गंगायै शिवदायै नमोऽस्तु ते ।
नमस्ते विष्णुरूपिण्यै गंगायै ते नमो नम: ।।1।।

सर्वदेवस्वरूपिण्यै      नमो भेषजमूर्तये ।
सर्वस्य सर्वव्याधीनां भिषक् श्रेष्ठे नमोऽस्तु ते ।।2।।

स्थाणुजंगमसम्भूतविषहन्त्रि    नमोऽस्तु ते ।
संसारविषनाशिन्यै     जीवनायै नमो नम: ।।3।।

तापत्रितयहन्त्र्यै   च प्राणेश्वर्यै नमो नम: ।
शान्त्यै संतापहारिण्यै नमस्ते सर्वमूर्तये ।।4।।

सर्वसंशुद्धिकारिण्यै       नम: पापविमुक्तये ।
भुक्तिमुक्तिप्रदायिन्यै   भोगवत्यै नमो नम: ।।5।।

मन्दाकिन्यै नमस्तेऽस्तु स्वर्गदायै नमो नम: ।
नमस्त्रैलोक्यमूर्त्तायै   त्रिपथायै नमो नम: ।।6।।

नमस्ते शुक्लसंस्थायै   क्षमावत्यै नमो नम: ।
त्रिदशाशनसंस्थायै   तेजोवत्यै नमोऽस्तु ते ।।7।।

मन्दायै लिंगधारिण्यै  सुधाधारात्मने नम: ।
नमस्ते विश्वमुख्यायै रेवत्यै  ते नमो नम: ।।8।।

बृहत्यै ते नमस्तेऽस्तु लोकधात्र्यै नमोऽस्तु ते ।
नमस्ते  विश्वमित्रायै  नन्दिन्यै ते नमो नम: ।।9।।

पृथ्व्यै   शिवामृतायै च  विरजायै नमो नम: ।
परावरगताद्यायै  तारायै ते नमो  नम: ।।10।।

नमस्ते स्वर्गसंस्थायै अभिन्नायै नमो   नम: ।
शान्तायै  च प्रतिष्ठायै वरदायै नमोऽस्तु ते ।।11।।

उग्रायै  मुखजल्पायै संजीवन्यै  नमोऽस्तु ते ।
ब्रह्मगायै  ब्रह्मदायै दुरितघ्न्यै  नमो नम: ।।12।।

प्रणतार्तिप्रभंजिन्यै जगन्मात्रे  नमो नम: ।
निर्लेपायै  दुर्गहन्त्र्यै  दक्षायै ते नमोऽस्तु ते ।।13।।

सर्वापत्प्रतिपक्षायै मंगलायै नमो नम: ।
परापरे परे तुभ्यं नमो मोक्षप्रदे सदा ।।14।।

शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे  देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ।।15।।

परापरपरायै  च गंगे निर्वाणदायिनि ।
गंगे  ममाग्रतो  भूया गंगे मे तिष्ठ  पृष्ठत: ।।16।।

गंगे मे पार्श्वयोरेधि गंगे त्वय्यस्तु मे स्थिति: ।
आदौ त्वमन्ते मध्ये च सर्वं त्वं गांगते शिवे ।।17

त्वमेव  मूलप्रकृतिस्त्वं पुमान्  पर एव हि ।
गंगे त्वं परमात्मा च शिवस्तुभ्यं नम: शिवे ।।18।।

पाठ के लाभ

  • पापों से मुक्ति: दशमी तिथि को इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य के पाप नष्ट होते हैं।
  • सुख-शांति: घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  • मोक्ष की प्राप्ति: मृत्यु के बाद वह व्यक्ति ब्रह्म में लीन होता है।

पाठ के लिए आवश्यक सामग्री

  1. गंगाजल: गंगा का पवित्र जल।
  2. दीपक और अगरबत्ती: पूजा के लिए।
  3. फल और मिठाई: देवी-देवताओं को भोग लगाने के लिए।
  4. स्वच्छ वस्त्र: पूजा करते समय पहनने के लिए।

निष्कर्ष

दशपापहर स्तोत्र का पाठ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और शांति की ओर बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करता है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करके हम न केवल अपने पापों से मुक्त होते हैं, बल्कि अपने जीवन में सुख और समृद्धि भी ला सकते हैं।

आप सभी को इस पवित्र स्तोत्र के पाठ का लाभ लेने के लिए प्रेरित करता हूँ। हर दिन इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ें और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन महसूस करें।

अंत में

इस लेख में हमनें गंगाध्यानार्चन विधि के महत्व और दशपापहर स्तोत्र के पाठ की विधि को समझा। हमें विश्वास है कि आप इस स्तोत्र का पाठ करके अपने जीवन को सफल और सुखमय बना पाएंगे। यदि आपके पास कोई प्रश्न या सुझाव हैं, तो कृपया नीचे कमेंट करें।

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प्रश्न और उत्तर (Q&A)

  1. प्रश्न: गंगाध्यानार्चन विधि क्या है?

    • उत्तर: गंगाध्यानार्चन विधि एक धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें भक्त गंगा माता की पूजा करते हैं। इसमें विशेष रूप से दशपापहर स्तोत्र का पाठ किया जाता है, जिससे पापों से मुक्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  2. प्रश्न: गंगा का महत्व क्या है?

    • उत्तर: गंगा को भारतीय संस्कृति में जीवनदायिनी और पवित्र नदी माना जाता है। इसका जल पवित्र माना जाता है और यह सभी पापों को धोने की क्षमता रखता है, जिससे मनुष्य आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है।
  3. प्रश्न: दशपापहर स्तोत्र के क्या लाभ हैं?

    • उत्तर: इस स्तोत्र के नियमित पाठ से मनुष्य को दस प्रकार के पापों से मुक्ति, रोग, भय और शत्रुओं से छुटकारा, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  4. प्रश्न: दशपापहर स्तोत्र का पाठ कैसे करना चाहिए?

    • उत्तर: इसे स्वच्छ स्थान पर बैठकर संकल्प के साथ गंगाजल के सामने पाठ करना चाहिए। पाठ के दौरान श्रद्धा और भक्ति से श्लोकों का उच्चारण करना आवश्यक है।
  5. प्रश्न: दशमी तिथि का क्या महत्व है?

    • उत्तर: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगाजल में खड़े होकर दशपापहर स्तोत्र का पाठ करने से विशेष फल प्राप्त होता है और गंगाजी की कृपा का अनुभव होता है।
  6. प्रश्न: दशपापहर स्तोत्र के कुछ प्रमुख श्लोक कौन से हैं?

    • उत्तर:
      • "ऊँ नम: शिवायै गंगायै शिवदायै नमोऽस्तु ते।"
      • "सर्वदेवस्वरूपिण्यै नमो भेषजमूर्तये।"
  7. प्रश्न: गंगाध्यानार्चन विधि में कौन सी सामग्री की आवश्यकता होती है?

    • उत्तर: गंगाजल, दीपक, अगरबत्ती, फल, मिठाई और स्वच्छ वस्त्र की आवश्यकता होती है।
  8. प्रश्न: क्या इस स्तोत्र का पाठ केवल एक बार करना होता है?

    • उत्तर: नहीं, इस स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए, विशेषकर दशमी तिथि को अधिक महत्व दिया जाता है।
  9. प्रश्न: क्या दशपापहर स्तोत्र का पाठ किसी विशेष दिन के लिए निर्धारित है?

    • उत्तर: हाँ, विशेष रूप से ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इस स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
  10. प्रश्न: गंगाध्यानार्चन विधि के बाद जीवन में क्या सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है?

    • उत्तर: नियमित पाठ से व्यक्ति के जीवन में शांति, सुख, समृद्धि और पापों से मुक्ति का अनुभव होता है।

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