सूबेदार सुज्जन सिंह यादव: वीरता का प्रतीक (Subedar Sujjan Singh Yadav: A symbol of bravery)

सूबेदार सुज्जन सिंह यादव: वीरता का प्रतीक

सूबेदार सुज्जन सिंह यादव, भारतीय सेना के एक महान वीरता के प्रतीक थे, जिन्होंने अपनी बहादुरी और साहस के कारण मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च शांतिकाल वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया। उनका जीवन एक प्रेरणा है, जो हमें देशभक्ति, निष्ठा और कर्तव्य के प्रति अपने समर्पण को समझने का अवसर देता है।

प्रारंभिक जीवन:

सूबेदार सुज्जन सिंह का जन्म 30 मार्च 1953 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के कनीना खास गांव में हुआ था। वे श्री मंगल सिंह और सरती देवी के पुत्र थे। वे एक किसान परिवार से थे, और अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही प्राप्त की। बाद में, उन्होंने राजकीय हाई स्कूल में पढ़ाई की और सातवीं कक्षा तक अपनी शिक्षा पूरी की। स्कूल के दिनों में खेलों में रुचि रखने वाले सुज्जन सिंह को हॉकी खेलना बहुत पसंद था।

सैन्य वृत्ति:

सूबेदार सुज्जन सिंह का सेना के प्रति आकर्षण बचपन से था, और उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने से पहले ही भारतीय सेना में भर्ती होने का फैसला किया। उन्हें कुमाऊं रेजिमेंट की 13वीं बटालियन में भर्ती किया गया, जो अपनी वीरता और सैन्य कारनामों के लिए प्रसिद्ध है। 1971 के भारत-पाक युद्ध में उन्हें राजस्थान के लोंगेवाला क्षेत्र में तैनात किया गया था, जहां उनकी यूनिट को वीरता के लिए थिएटर सम्मान मिला था।

सूबेदार के पद की ओर:

सूबेदार सुज्जन सिंह को 01 अगस्त 1991 को नायब सूबेदार के पद पर पदोन्नत किया गया और उन्हें NCC कोलकाता की 20वीं बटालियन में तैनात किया गया। बाद में, उन्होंने सूबेदार के पद पर पदोन्नति प्राप्त की और अपनी मूल इकाई 13 कुमाऊं में वापस लौटे। 1994 में, उनकी इकाई को जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में उग्रवाद विरोधी अभियानों में तैनात किया गया था।

कुपवाड़ा में ऑपरेशन:

26 सितंबर 1994 को, सुज्जन सिंह कुपवाड़ा के जालुराह गांव के पास आतंकवादियों को नष्ट करने के लिए एक ऑपरेशन की सर्च पार्टी के कमांडर थे। टीम ने आतंकवादी ठिकानों की पहचान की, लेकिन जब वे ठिकाने के करीब पहुंचे, तो उन्हें भारी गोलीबारी का सामना करना पड़ा। सिंह ने अपनी टीम के सुरक्षा के लिए खुद को कवर प्रदान किया और शारीरिक रूप से ठिकाने की ओर बढ़े। उन्हें कई गोलियां लगीं, लेकिन वे फिर भी आगे बढ़ते रहे। अंततः गोलियां उनके हेलमेट को भेदते हुए उन्हें मार डाला। सिंह के साहस और वीरता के कारण उनकी टीम बच गई और सभी आतंकवादी मारे गए।

अशोक चक्र पुरस्कार:

सूबेदार सुज्जन सिंह यादव को उनकी साहसिक कार्रवाई के लिए मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। यह भारत का सर्वोच्च शांतिकाल वीरता पुरस्कार है, जो केवल उन सैन्य कर्मियों को दिया जाता है जिन्होंने असाधारण वीरता का प्रदर्शन किया हो।

परंपरा और श्रद्धांजलि:

सूबेदार सुज्जन सिंह के बलिदान को सम्मानित करने के लिए, गुड़गांव में आर्मी वेलफेयर हाउसिंग ऑर्गनाइजेशन की आवासीय कॉलोनी सुज्जन विहार का नाम उनके नाम पर रखा गया है। 2008 में, सुज्जन विहार वेलफेयर मैनेजमेंट सोसाइटी ने उनके बलिदान की याद में सिंह की एक प्रतिमा स्थापित की।

निष्कर्ष:

सूबेदार सुज्जन सिंह यादव का जीवन एक प्रेरणा का स्रोत है। उनके साहस और कर्तव्य के प्रति निष्ठा को हमेशा याद किया जाएगा। उनका बलिदान देश की रक्षा में अपने कर्तव्यों को निभाने का सर्वोत्तम उदाहरण है, जो हमें यह सिखाता है कि वीरता और देशभक्ति का कोई मोल नहीं हो सकता।

सूबेदार सुज्जन सिंह यादव पर FQCs (Frequently Asked Questions and Answers):

1. सूबेदार सुज्जन सिंह यादव कौन थे?

उत्तर:
सूबेदार सुज्जन सिंह यादव भारतीय सेना के 13 कुमाऊं रेजिमेंट के एक वीर सैनिक थे, जिन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। उन्होंने 26 सितंबर 1994 को कुपवाड़ा, जम्मू-कश्मीर में एक आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन में अपने प्राणों की आहुति दी।


2. सूबेदार सुज्जन सिंह का जन्म कब और कहां हुआ था?

उत्तर:
उनका जन्म 30 मार्च 1953 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के कनीना खास गांव में हुआ था।


3. सूबेदार सुज्जन सिंह किस रेजिमेंट से जुड़े थे?

उत्तर:
वे भारतीय सेना की 13 कुमाऊं रेजिमेंट से जुड़े थे, जो अपने वीर सैनिकों और युद्ध में किए गए साहसिक कार्यों के लिए प्रसिद्ध है।


4. उन्हें अशोक चक्र क्यों दिया गया?

उत्तर:
सूबेदार सुज्जन सिंह यादव को अशोक चक्र इसलिए प्रदान किया गया क्योंकि उन्होंने कुपवाड़ा में आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान अद्वितीय बहादुरी और साहस का प्रदर्शन किया। उनकी इस वीरता के कारण उनकी टीम बच गई और सभी आतंकवादी मारे गए।


5. सुज्जन सिंह यादव का सेना में कार्यकाल कब शुरू हुआ?

उत्तर:
सूबेदार सुज्जन सिंह ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने से पहले भारतीय सेना में भर्ती होकर अपनी सैन्य सेवा शुरू की थी।


6. ऑपरेशन रक्षक में उनकी भूमिका क्या थी?

उत्तर:
ऑपरेशन रक्षक के दौरान, सुज्जन सिंह यादव ने आतंकवादियों के ठिकानों को नष्ट करने के लिए अपनी टीम का नेतृत्व किया। दुश्मनों की भारी गोलीबारी के बावजूद, उन्होंने अपने प्राणों की परवाह किए बिना अपनी टीम की सुरक्षा सुनिश्चित की।


7. सुज्जन सिंह यादव ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में क्या भूमिका निभाई?

उत्तर:
1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान, उनकी यूनिट को राजस्थान के लोंगेवाला क्षेत्र में तैनात किया गया, जहां उन्होंने अपनी वीरता से थिएटर सम्मान प्राप्त किया।


8. कुपवाड़ा ऑपरेशन में उन्होंने किस प्रकार से बलिदान दिया?

उत्तर:
26 सितंबर 1994 को, कुपवाड़ा में आतंकवादियों से लड़ते हुए उन्होंने अपनी टीम के लिए कवर प्रदान किया। उन्हें कई गोलियां लगीं, लेकिन वे तब तक लड़ते रहे जब तक उनके प्राण नहीं चले गए। उनके साहसिक कार्य ने मिशन की सफलता सुनिश्चित की।


9. उनके सम्मान में क्या स्मारक बनाए गए हैं?

उत्तर:
गुड़गांव में एक आवासीय कॉलोनी सुज्जन विहार का नाम उनके नाम पर रखा गया है। 2008 में, वहां उनकी एक प्रतिमा भी स्थापित की गई।


10. उनके परिवार और गांव के लोग उन्हें कैसे याद करते हैं?

उत्तर:
हर साल 26 सितंबर को उनके परिवार और "जालूरा सूर्य समिति" द्वारा उनके बलिदान को याद करते हुए उनके गृह नगर में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाती है।


11. अशोक चक्र किस प्रकार का पुरस्कार है?

उत्तर:
अशोक चक्र भारत का सर्वोच्च शांतिकाल वीरता पुरस्कार है, जो असाधारण बहादुरी और आत्म-बलिदान के लिए प्रदान किया जाता है।


12. सूबेदार सुज्जन सिंह का सेना सेवा संख्या क्या थी?

उत्तर:
उनकी सेना सेवा संख्या जेसी-216611 थी।


13. उनकी शिक्षा और प्रारंभिक जीवन कैसा था?

उत्तर:
वे एक किसान परिवार से थे। उन्होंने सातवीं कक्षा तक पढ़ाई की और स्कूल के दिनों में खेलों, विशेष रूप से हॉकी, में गहरी रुचि रखते थे।


14. सुज्जन सिंह यादव का नाम भारतीय इतिहास में क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर:
उनका नाम भारतीय इतिहास में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने अपनी वीरता और देशभक्ति से यह दिखाया कि अपने कर्तव्य के लिए बलिदान देना सर्वोच्च सम्मान है।

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