दशहरा स्तोत्र - पापों का नाशक
दशहरा स्तोत्र का पाठ धार्मिक ग्रंथों में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति अनेक प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है और उसे अनेक रोग, भय, शत्रु और बंधनों से भी मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र श्रद्धा पूर्वक पाठ करने वाले भक्तों को अपार लाभ देता है और उनके सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करता है। विशेषकर ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में दशमी तिथि को इसका पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
स्तोत्र का महत्व:
पापों से मुक्ति: इस स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करने से व्यक्ति दस प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है।
भय और शत्रुओं से सुरक्षा: घर में इसकी पूजा करने से आग और चोर का भय नहीं रहता है।
संपूर्ण मनोकामनाएँ: मनुष्य की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और मृत्यु के बाद वह ब्रह्म में लीन होता है।
विशेष फल: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगाजल में खड़े होकर इस स्तोत्र का दस बार पाठ करने से दरिद्रता और असमर्थता दूर होती है।
संकल्प और पाठ विधि:
संकल्प:
इति वैश्वानरनारदसम्वादे दशपापहरायाः श्रीगङ्गाध्यानार्चनविधिः।
पाठ विधि:
पाठ करने से पहले गंगाजल लेकर इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
दशहरा स्तोत्र पाठ
निष्कर्ष:
दशहरा स्तोत्र का नियमित पाठ न केवल आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है, बल्कि यह पापों के नाश के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार के भय और बंधन दूर होते हैं, और व्यक्ति को सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
भक्तों को यह ध्यान रखना चाहिए कि पाठ करते समय पूर्ण श्रद्धा और मनन से किया गया पाठ सबसे फलदायी होता है।
ॐ नमो भगवत्यै दशपापहरायै गङ्गायै नारायण्यै रेवत्यै।
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प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: दशहरा स्तोत्र क्या है?
उत्तर: दशहरा स्तोत्र एक धार्मिक पाठ है जो विशेष रूप से दशमी तिथि को पढ़ा जाता है। इसका पाठ करने से व्यक्ति अनेक प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है और उसे रोग, भय, शत्रु और बंधनों से मुक्ति मिलती है।
प्रश्न 2: इस स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: विशेष रूप से ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगाजल में खड़े होकर इसका पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
प्रश्न 3: दशहरा स्तोत्र के पाठ का महत्व क्या है?
उत्तर: इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति पापों से मुक्ति, भय और शत्रुओं से सुरक्षा, और सभी मनोकामनाएँ पूरी होने का लाभ प्राप्त करता है।
प्रश्न 4: इस स्तोत्र का पाठ कैसे करना चाहिए?
उत्तर: पाठ करने से पहले गंगाजल लेकर इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। श्रद्धा पूर्वक पाठ करना सबसे फलदायी होता है।
प्रश्न 5: इस स्तोत्र का संकल्प क्या है?
उत्तर: संकल्प: "इति वैश्वानरनारदसम्वादे दशपापहरायाः श्रीगङ्गाध्यानार्चनविधिः।"
प्रश्न 6: क्या दशहरा स्तोत्र का नियमित पाठ करना चाहिए?
उत्तर: हां, नियमित पाठ करने से व्यक्ति को न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है।
प्रश्न 7: क्या दशहरा स्तोत्र पाठ से डर और बंधन समाप्त होते हैं?
उत्तर: हां, इस स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार के भय और बंधन दूर होते हैं, जिससे व्यक्ति को सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
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