नवरात्रि विशेष नवार्ण मंत्र साधना
नवरात्रि का पर्व देवी शक्ति की आराधना का विशेष समय होता है, जो जीवन के तीन गुणों—तामस, रजस, और सत्व—को संतुलित करने के लिए किया जाता है। इस समय साधक अपने अंदर की नकारात्मक शक्तियों को जीतते हुए देवी दुर्गा, लक्ष्मी, और सरस्वती की कृपा प्राप्त करते हैं।
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नवरात्रि की 9 तिथियाँ और उनकी विभाजन
नवरात्रि के दौरान, 9 तिथियाँ तीन भागों में विभाजित की जाती हैं:
प्रथम 3 दिन (माँ दुर्गा की पूजा): इन दिनों में तामस को जीतने के लिए माँ दुर्गा की आराधना की जाती है। यह आराधना मनुष्य के अंदर के दैत्यों, विघ्न, रोग, पाप, और शत्रुओं का नाश करने के लिए की जाती है।
मध्य 3 दिन (माँ लक्ष्मी की पूजा): अगले तीन दिन रजस को जीतने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस पूजा से साधक भौतिक और आध्यात्मिक धन, समृद्धि, और सुख प्राप्त करता है।
अंतिम 3 दिन (माँ सरस्वती की पूजा): आखिरी तीन दिन सत्व गुण को जागृत करने के लिए देवी सरस्वती की आराधना की जाती है। यह पूजा कला, ज्ञान, और आध्यात्मिक उन्नति के उद्देश्य से की जाती है।
तीनों देवियों के मंत्र साधना
माँ दुर्गा के लिए नवार्ण मंत्र:
यह महामंत्र 'मंत्रराज' कहा गया है। इसकी साधना से धन, सुख, और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
मंत्र:
"ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे"
माँ लक्ष्मी का मूल मंत्र:
भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि प्राप्त करने के लिए लक्ष्मी माता की आराधना इस मंत्र से की जाती है।
मंत्र:
"ऊँ श्री ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा"
माँ सरस्वती का वैदिक अष्टाक्षर मूल मंत्र:
यह मंत्र भगवान शिव, श्री नारायण, और ब्रह्मा जी द्वारा सिद्ध किया गया है। इस मंत्र से साधक ब्रह्मस्पति के समान विद्वान और ज्ञानी हो सकता है।
मंत्र:
"श्री ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा"
नवार्ण मंत्र साधना विधि

नवार्ण मंत्र की साधना किसी भी शुक्रवार या नवरात्रि से प्रारंभ की जा सकती है। साधना करते समय निम्नलिखित नियमों का पालन करना आवश्यक है:
साधना का समय:
साधना का समय एक ही रखें और नियमपूर्वक प्रतिदिन उसी समय जाप करें।ब्रम्हचर्य का पालन:
साधना के दिनों में ब्रम्हचर्य का पालन करें। अगर साधना के दौरान कोई स्वप्न आता है, तो भी साधना जारी रखें।संकल्प:
रोजाना संकल्प लें कि आप कितनी माला जाप करेंगे और उसे पूर्ण करें।गोपनीयता का पालन:
अपने साधना के अनुभव किसी से साझा न करें।साधना के उपकरण:
- माला: रुद्राक्ष माला
- दिशा: उत्तर
- दीपक: घी या तेल
- आसन और वस्त्र: लाल
- साधना की अवधि: 9 दिन, 11 दिन, या 21 दिन अपने सामर्थ्य अनुसार साधना करें।
साधना में उपयोग होने वाले मंत्र
विनियोग:
साधना से पहले मंत्र का विनियोग करें:श्रीगणपतिर्जयति। ॐ अस्य श्रीनवार्णमन्त्रस्य ब्रह्मविष्णुरुद्रा ऋषयः, गायत्र्युष्णिगनुष्टुभश्छन्दांसि, श्रीमहाकाली महालक्ष्मी महासरस्वत्यो देवताः, ऐं बीजम्, ह्रीं शक्तिः, क्लीं कीलकम्, श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वतीप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।
ध्यान मंत्र:
ध्यान के समय देवी का ध्यान करते हुए निम्नलिखित श्लोक पढ़ें:"खड्गं चक्रगदेषुचापपरिघाञ्छूलं भुशुण्डीं शिरः शङ्खं संदधतीं करैस्त्रिनयनां सर्वाङ्गभूषावृताम्।"
माला की पूजा और प्रार्थना:
माला को निम्नलिखित मंत्र से पूजित करें:"ॐ मां माले महामाये सर्वशक्तिस्वरूपिणि। चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तस्तस्मान्मे सिद्धिदा भव ॥"
इस मंत्र से माला को दाहिने हाथ में धारण करें:
"ॐ अविघ्नं कुरु माले त्वं गृह्णामि दक्षिणेकरे। जपकाले च सिद्ध्यर्थं प्रसीद मम सिद्धये ॥"
मूल मंत्र जाप:
नवार्ण मंत्र का जाप करें:"ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे"
जाप पूरा होने के बाद निम्न श्लोक पढ़ें और देवी को प्रणाम करें:
"ॐ गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम्। सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादान्महेश्वरी ॥"
निष्कर्ष
नवार्ण मंत्र साधना देवी दुर्गा, लक्ष्मी, और सरस्वती की आराधना का मार्ग है जो जीवन को धन, समृद्धि, और ज्ञान से भरपूर बनाता है। नवरात्रि के इन 9 दिनों में की गई यह साधना साधक को तामस, रजस, और सत्व के संतुलन में लाने में सहायक होती है और उसे आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करती है।
जय माता दी!
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