🌸🌸 नवरात्रि विशेष नवार्ण मंत्र साधना 🌸🌸
नवरात्रि के पावन अवसर पर साधना और मंत्र जाप की एक विशेष विधि आपके लिए प्रस्तुत है। यह नवार्ण मंत्र साधना माँ दुर्गा के तीन प्रमुख रूपों—महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती—की कृपा प्राप्ति हेतु की जाती है। इस साधना को करने से मनुष्य को असीम शक्ति, ज्ञान और समृद्धि प्राप्त होती है।
🌺 साधना प्रारंभ करने का सही समय 🌺
इस साधना को किसी भी शुक्रवार या नवरात्रि के पहले दिन से प्रारंभ कर सकते हैं। ध्यान रहे कि आप इसे रोज एक ही समय पर करें और साधना के दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करें। अगर साधना के दौरान स्वप्न में कोई संकेत या मंत्र प्राप्त हो, तब भी आपको अपनी साधना नहीं छोड़नी चाहिए। साथ ही, अपने साधना के अनुभव किसी से साझा न करें।
🌸 साधना की आवश्यकताएँ 🌸
- माला: रुद्राक्ष
- दिशा: उत्तर
- दीपक: घी या तेल का
- आसन एवं वस्त्र: लाल रंग के
- साधना के दिन: अपने सामर्थ्य अनुसार 9, 11, या 21 दिन
🔱 नवार्ण मंत्र साधना विधि 🔱
🌼 विनियोगः 🌼
🌻 ऋष्यादिन्यास 🌻
- शिरसि (सिर): ब्रह्मविष्णुरुद्रऋषिभ्यो नमः
- मुखे (मुख): गायत्र्युष्णिगनुष्टुप्छन्दोभ्यो नमः
- हृदि (हृदय): महाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वतीदेवताभ्यो नमः
- गुह्ये (गुहा): ऐं बीजाय नमः
- पादयोः (पैर): ह्रीं शक्तये नमः
- नाभौ (नाभि): क्लीं कीलकाय नमः
🌼 करन्यास 🌼
करन्यास में सभी उंगलियों और करतल एवं करपृष्ठ का स्पर्श करते हुए मंत्र जाप करें:
- ऐं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः
- ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः
- क्लीं मध्यमाभ्यां नमः
- चामुण्डायै अनामिकाभ्यां नमः
- विच्चे कनिष्ठिकाभ्यां नमः
- ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः
🌸 हृदयादिन्यास 🌸
- ऐं हृदयाय नमः (हृदय स्पर्श करें)
- ह्रीं शिरसे स्वाहा (सिर स्पर्श करें)
- क्लीं शिखायै वषट् (शिखा स्पर्श करें)
- चामुण्डायै कवचाय हुम् (बाहों का स्पर्श करें)
- विच्चे नेत्रत्रयाय वौषट् (नेत्र और मस्तक स्पर्श करें)
- ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे अस्त्राय फट् (ताली बजाकर अंग शुद्ध करें)
🌼 अंगन्यास 🌼
- शिखा: नमः
- दाहिना नेत्र: ह्रीं नमः
- बायां नेत्र: क्लीं नमः
- दाहिना कान: चां नमः
- बायां कान: मुं नमः
- मुख: विं नमः
🌻 दिङ्न्यास 🌻
सभी दिशाओं में मंत्र का उच्चारण करते हुए चुटकी बजाएँ:
- प्राच्यै (पूर्व): ऐं प्राच्यै नमः
- आग्नेय्यै (अग्नि कोण): ऐं आग्नेय्यै नमः
- दक्षिणायै (दक्षिण): ह्रीं दक्षिणायै नमः
- नैर्ऋत्यै (नैऋत्य कोण): ह्रीं नैर्ऋत्यै नमः
- प्रतीच्यै (पश्चिम): क्लीं प्रतीच्यै नमः
- ऊर्ध्वायै (ऊपर): ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ऊर्ध्वायै नमः
- भूम्यै (नीचे): ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे भूम्यै नमः
🌸 देवी का ध्यान 🌸
अब पुष्प अर्पित कर देवी का ध्यान करें:
🌺 माला पूजन 🌺
अब माला को दाहिने हाथ में लेकर इस मंत्र से पूजन करें:
🌼 मूल मंत्र 🌼
अब इस नवार्ण मंत्र का जाप करें:
“ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
🌸 समापन मंत्र 🌸
साधना समाप्त होने पर इस श्लोक का पाठ कर देवी को प्रणाम करें:
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